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पेगासस फोन टैपिंग मामले में राजस्थान में आएगा सियासी उबाल...क्या सोचते हैं विश्लेषक और पत्रकार, सुनिए...

पेगासस स्पाइवेयर के जरिए फोन हैकिंग मामले ने सियासी तूल पकड़ लिया है. न्यूज एजेंसी द वायर ने इस मसले पर कड़ियां खोलीं तो उसमें पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे के निजी सचिव के फोन टैपिंग का भी दावा किया गया, जो राजस्थान की सियासत में नए उबाल का संकेत दे रहा है. राजस्थान से जुड़े राजनीतिक विश्लेषक और वरिष्ठ पत्रकार भी यही मानते हैं.

पेगासस फोन टैपिंग मामला
पेगासस फोन टैपिंग मामला

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Published : Jul 20, 2021, 5:43 PM IST

जयपुर.वरिष्ठ पत्रकार मनीष गोधा के अनुसार अगर इस मामले का खुलासा करने वाली न्यूज़ एजेंसी का दावा सही है तो यह राजस्थान की दृष्टि से एक बड़ी घटना बन सकती है. क्योंकि वसुंधरा राजे के निजी सचिव के फोन टैपिंग का जो समय बताया जा रहा है वह तब का है, जब वसुंधरा राजे राजस्थान की मुख्यमंत्री थीं, और कुछ समय बाद प्रदेश में चुनाव होने वाले थे.

राजस्थान के मौजूदा दौर में वसुंधरा राजे की पार्टी में स्थिति और पिछली घटनाओं को अगर पेगासस मामले से रिलेटेड करें तो यह राजस्थान के लिहाज से बड़ी राजनीतिक घटना है. हालांकि गोधा कहते हैं कि राजस्थान में फोन टैपिंग कोई नई बात नहीं है. लेकिन जो घटनाक्रम हुआ है, अगर उसकी जांच होती है तो निश्चित तौर पर एक बड़ा सियासी घटनाक्रम सामने आ सकता है.

पेगासस मामले का राजस्थान की राजनीति पर असर

वहीं राजनीतिक विश्लेषक और वरिष्ठ पत्रकार श्याम सुंदर शर्मा के अनुसार जो खुलासा हुआ है वो मौजूदा परिस्थितियों में राजस्थान के लिए काफी महत्वपूर्ण है. क्योंकि इस मामले में पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे के निजी सचिव के फोन टैपिंग का भी मामला सामने आ रहा है. ऐसे में राजस्थान में राजनीतिक उथल-पुथल भी तेज होना तय है.

शर्मा कहते हैं कि राजस्थान में फोन टैपिंग का मामला पुराना है. वर्तमान सरकार के कार्यकाल में जहां मुख्य सरकारी सचेतक महेश जोशी ने फोन टैपिंग से जुड़ा मामला एसीबी में दर्ज करा रखा है. तो वहीं केंद्रीय मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत ने भी फोन टैपिंग से जुड़ा ही मामला दिल्ली पुलिस में दर्ज कराया है.

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श्याम सुंदर शर्मा कहते हैं कि इससे पहले वसुंधरा राज्य सरकार के कार्यकाल में भाजपा के वरिष्ठ नेता घनश्याम तिवाड़ी ने भी फोन टैपिंग का आरोप लगाया था. तब विधानसभा में काफी हंगामा भी हुआ था. शर्मा बताते हैं कि राजनीतिक स्वार्थों की पूर्ति के लिए अक्सर सरकारें ऐसा करती हैं, लेकिन यह लोकतंत्र के लिए ठीक नहीं है.

श्याम सुंदर शर्मा ने कहा कि यूपीए सरकार के कार्यकाल में साल 2013 में एक आरटीआई में इस बात का खुलासा हुआ था कि फोन टैपिंग और ईमेल की निगरानी कराई जा रही है. शर्मा बताते हैं साल 2006 में सपा नेता अमर सिंह के फोन टैपिंग का मामला भी सामने आया था. साल 2004 में मनमोहन सरकार में सीताराम येचुरी, जयललिता और सी बी नायडू की फोन टैपिंग के मामले में एक व्यक्ति को गिरफ्तार भी किया गया था.

शर्मा के अनुसार सरकारें अपने राजनीतिक और अन्य उद्देश्यों की पूर्ति के लिए फोन टैपिंग कराती आई हैं. लेकिन इस बार जो मामला सामने आया है, वह और भी गंभीर है. साथ ही लोकतंत्र के लिए खतरनाक भी है. क्योंकि लोकतंत्र में सबको निजता का अधिकार मिला है. लेकिन यदि यह खुलासा सही है तो इसमें लोगों के निजता के अधिकार का हनन हो रहा है.

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