जयपुर. राजस्थान सरकार ने 3 साल से ज्यादा लंबे इंतजार के बाद भले ही 44 आयोगों और बोर्ड में 58 नेताओं को राजनीतिक नियुक्ति दे दी है. इन 58 नेताओं में 11 विधायकों को भी राजनीतिक नियुक्ति दी गई है. लेकिन अब इन 11 विधायकों को मिली राजनीतिक नियुक्ति का हाल भी मुख्यमंत्री के सलाहकारों की तरह ही होने वाला है. क्योंकि सुप्रीम कोर्ट के निर्णय के अनुसार (Gehlot Government Political Decision) विधायक को मंत्री के अलावा कोई लाभ का पद नहीं दिया जा सकता है.
ऐसे में जिन विधायकों को राजनीतिक नियुक्ति दी गई है, उन्हें नाम के लिए पद और बैठने के लिए ऑफिस तो मिल सकता है. लेकिन वेतन भत्ते और अन्य सुविधाएं विधायकों को नहीं दी जा सकती हैं. केवल वेतन भत्ते ही नहीं, बल्कि विधायकों को राजनीतिक नियुक्ति मिलने के बावजूद कैबिनेट या राज्य मंत्री का दर्जा भी नहीं मिल सकता. ऐसे में अब कहा जा रहा है कि भले ही मुख्यमंत्री ने विधायकों से किए गए वादे को पूरा करने के लिए बीच का रास्ता निकालते हुए राजनीतिक नियुक्ति दे दी. लेकिन ऑफिस ऑफ प्रॉफिट के दायरे में आने के चलते इन विधायकों को सुविधाएं और कैबिनेट या राज्य मंत्री का दर्जा नहीं मिल सकता.
तो फिर संसदीय सचिवों को भी केवल नाम का ही मिलेगा पद : राजनीतिक नियुक्तियों में 11 विधायकों को मौका मिलने के बाद अब कहा जा रहा है कि राजस्थान में जल्द ही करीब 15 विधायकों को संसदीय सचिव बनाया जा सकता है. लेकिन पहले मुख्यमंत्री के छह सलाहकार और फिर 11 राजनीतिक नियुक्ति पाए विधायकों के बाद संसदीय सचिव (Power of Parliamentary Secretaries in Rajasthan) बनाए जाने में भी विधायकों के सामने यही ऑफिस ऑफ प्रॉफिट का नियम दिक्कत पैदा करेगा. भले ही संसदीय सचिव बना दिए जाएं, लेकिन उन्हें ऑफिस के अलावा किसी तरीके की सुविधाएं मिल सकेंगी, इस पर संशय है.