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राजस्थान एपिडेमिक अध्यादेश के तहत पुलिस ने काटे 1.36 लाख लोगों के चालान, 2.35 करोड़ का वसूला जुर्माना

कोरोना वायरस के संक्रमण की रोकथाम के लिए लागू हुए राजस्थान एपिडेमिक अध्यादेश के तहत अब तक 1 लाख से अधिक व्यक्तियों का चालान कर 2 करोड़ से ज्यादा का जुर्माना वसूल किया गया है. इसके अलावा सोशल मीडिया के दुरुपयोग के मामले में राजस्थान पुलिस की टीम लगातार नजर बनाए हुए है.

Rajasthan Epidemic Ordinance, Essential goods act
राजस्थान पुलिस ने 1 लाख से ज्यादा लोगों के काटे चालान

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Published : Jun 24, 2020, 8:17 PM IST

जयपुर.राजस्थान में वैश्विक महामारी कोरोना वायरस के संक्रमण की रोकथाम के लिए लागू हुए राजस्थान एपिडेमिक अध्यादेश के तहत अब तक 1 लाख 36 हजार से अधिक व्यक्तियों का चालान कर 2 करोड़ 35 लाख रुपये से अधिक का जुर्माना वसूल किया गया है. इसको लेकर महानिदेशक पुलिस अपराध भगवान लाल सोनी ने अहम आंकड़ों के साथ जानकारी दी है.

राजस्थान पुलिस ने 1 लाख से ज्यादा लोगों के काटे चालान

बीएल सोनी के अनुसार सार्वजनिक स्थानों पर मास्क नहीं पहनने वालों के 66 हजार से अधिक, बिना मास्क पहने लोगों और सामान बेचने वाले 7 हजार से अधिक दुकानदारों के अलावा निर्धारित सुरक्षित भौतिक दूरी नहीं रखने वाले 63 हजार से अधिक व्यक्तियों के चालान किये गए.

निषेधाज्ञा और क्वॉरेंटाइन मापदंडों का उल्लंघन करने पर 3 हजार 450 व्यक्तियों के विरुद्ध FIR दर्ज कर अब तक 7 हजार 135 व्यक्तियों को गिरफ्तार किया गया है. वहीं, निषेधाज्ञा और एमवी एक्ट के तहत चालान कर 5 लाख वाहनों का चालान किया गया और 1 लाख 45 हजार वाहनों को जब्त कर 9 करोड़ रुपये का जुर्माना वसूल किया जा चुका है. राजस्थान में 20 हजार से अधिक लोगों को सीआरपीसी के प्रावधानों के तहत शांति भंग के आरोप में गिरफ्तार किया गया.

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इसके अलावा सोशल मीडिया के दुरुपयोग के मामले में राजस्थान पुलिस की टीम लगातार नजर बनाए हुए है. पुलिस ने सोशल मीडिया के दुरुपयोग के मामलों में अब तक 216 मुकदमे दर्ज कर 298 असामाजिक तत्वों के खिलाफ अभियोग दर्ज किया और 222 को गिरफ्तार किया.

साथ ही कालाबाजारी करने वालों पर भी पुलिस की पैनी नजर है. लॉकडाउन के दौरान कालाबाजारी करते पाए गए दुकानदारों के विरुद्ध आवश्यक वस्तु अधिनियम के तहत 135 मुकदमे दर्ज कर कार्रवाई की जा रही है. इसके अलावा अब तक 85 लोगों को गिरफ्तार किया गया है.

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क्या है आवश्यक वस्‍तु अधिनियम

आवश्यक वस्‍तु अधिनियम, 1955 को उपभोक्‍ताओं को अनिवार्य वस्‍तुओं की सहजता से उपलब्‍धता सुनिश्चित कराने और कपटी व्‍यापारियों के शोषण से उनकी रक्षा के लिए बनाया गया है. अधिनियम के तहत अधिकांश शक्तियां राज्‍य सरकारों को दी गई हैं.

अनिवार्य घोषित की गई वस्‍तुओं की सूची की आर्थिक परिस्थितियों में, परिवर्तनों विशेषतया उनके उत्‍पादन मांग और आपूर्ति के संबंध में, आलोक में समय-समय पर समीक्षा की जाती है. 15 फरवरी, 2002 से सरकार ने पहले घोषित अनिवार्य वस्‍तुओं की सूची से 12 वस्‍तुओं को पूरी तरह और एक को आंशिक रूप से हटा दिया है. आर्थिक विकास त्‍वरित करने और उपभोक्‍ताओं को लाभ पहुंचाने के लिए 31 मार्च 2004 से और दो वस्‍तुओं को सूची से हटा दिया गया है. वर्तमान में अनिवार्य वस्‍तुओं की सूची में 16 नाम ही शामिल हैं.

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