जयपुर. प्रदेश में थानों में लगातार एफआईआर की संख्या बढ़ती जा रही है और उनका अनुसंधान करने के लिए अधिकारियों की काफी कमी देखी जा रही है. जिसके चलते थानों में पेंडेंसी बढ़ रही है और प्रकरण के अनुसंधान में भी काफी देरी देखने को मिल रही है.
अब कांस्टेबल को भी बनाया जा सकता है जांच अधिकारी, पुलिस मुख्यालय ने सरकार को भेजा प्रस्ताव प्रकरण के अनुसंधान में हो रही देरी को खत्म करने और साथ ही पेंडेंसी को कम करने के लिए पुलिस मुख्यालय ने एक नई पहल की है. पुलिस मुख्यालय में अला अधिकारियों ने एक मीटिंग कर प्रदेश में कॉन्स्टेबल को भी थानों में दर्ज प्रकरण के अनुसंधान के लिए अधिकृत करने पर विचार किया है.
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प्रदेश में कॉन्स्टेबल को अनुसंधान अधिकारी बनाने के लिए पुलिस मुख्यालय ने एक ड्राफ्ट बनाकर राज्य सरकार को भेजा है. एडीजी क्राइम बीएल सोनी का कहना है कि थानों में दर्ज होने वाले साधारण अपराधों का अनुसंधान करने के लिए कॉन्स्टेबल को अधिकृत करने के लिए पुलिस मुख्यालय ने राज्य सरकार को एक ड्राफ्ट बनाकर भेजा है.
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जिस पर राज्य सरकार भी उच्च स्तर पर अमल कर रही है और जल्द ही कॉन्स्टेबल को अनुसंधान अधिकारी बनाएं जाने के लिए राज्य सरकार की तरफ से हरी झंडी मिलने की संभावना है. कॉन्स्टेबल को अनुसंधान अधिकारी बनाने की स्वीकृति मिलने पर साइबर क्राइम के विभिन्न मामलों में भी कांस्टेबल का सहयोग लिया जाएगा.