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Exclusive: संक्रांति पर मस्त मौला 'PK मस्त' का संदेश- 'जिसने पी शराब न उभरा जिंदगानी में, हजारों बह गईं बोतलें इस बंद पानी में' - Inspector Praveen Kumar

पुलिस कमिश्नरेट जयपुर में तैनात इंस्पेक्टर पीके मस्त को हर कोई उनके मस्त मौला अंदाज से जानता है. जो मकर संक्रांति के त्योहार के दिन सभी को अपनी कविताओं से जागरूक कर रहे हैं. इसी कड़ी में इंस्पेक्टर पीके मस्त ने ईटीवी भारत से खास बातचीत की...

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मकर संक्रांति पर PK मस्त की ईटीवी भारत से खास बातचीत...

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Published : Jan 14, 2020, 12:52 PM IST

जयपुर.प्रदेश भर में मकर संक्रांति का त्योहार बड़े ही धूमधाम से मनाया जा रहा है. जयपुर में भी आसमान पतंगों से अटा पड़ा है. वहीं कई जगहों पर पुलिस बाजारों में चाइनीज मांझे की धरपकड़ में लगी है. पुलिस हर संभव अभियान चला कर आमजन को जागरूक कर रही है. वहीं खाकी का एक अफसर कविताओं के जरिए जनता को जागरूक करता नजर आ रहा है.

मकर संक्रांति पर PK मस्त की ईटीवी भारत से खास बातचीत...

बता दें कि पुलिस कमिश्नरेट जयपुर में तैनात इंस्पेक्टर पीके मस्त यानि प्रवीण कुमार को हर कोई उनके मस्त मौला अंदाज से जानता है. ऐसे में आज मकर संक्रांति का पर्व है और पीके मस्त कविताओं के जरिए चाइनीज मांझा का प्रयोग ना करने, शराब का सेवन ना करने और शांति सौहार्द के जरिए त्योहार मनाने की अपील कर रहे हैं. क्योंकि पुलिस अपनी ओर से भरसक कोशिश कर रही है. लेकिन पीके मस्त आम जनता और सोशल मीडिया के जरिए कविताओं के माध्यम से मार्मिक अपील कर रहे हैं, जिसका पॉजिटिव रेस्पॉन्स भी आ रहा है.

पीके मस्त की मकर संक्रांति को लेकर स्पेशल कविता...

पीके मस्त का कहना है कि जीवन में जिस तरह की जरूरत होती है, वो पूरी होनी चाहिए. क्योंकि जीवन की डोर बड़ी कमजोर होती है और इसको संभालना पड़ता है. जैसे कि कुछ दिन पूर्व 4 साल के बच्चे का और एक बच्ची की चाइनीज मांझे से गला कटने से मौत हो गई थी. इस तरह से बहुत सारे बेजुबान पक्षी भी गर्दन कटने से घायल हो जाते हैं. ऐसे में ऐसा कोई काम न करें कि किसी की जिंदगी चली जाए.

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पीके मस्त की कविता.....

'की हर तरफ सब गिरे हैं ये भी गिरा है वो भी गिरा है सब गिरे है, मान गिरता है, सम्मान गिरता है, बच्चों की नादानी से खानदान गिरता है, और अभिमान का तो गिरना तय है, फिर गिरने में काहें का भय...सरकारे गिरती हैं दीवारे गिरती हैं, सुबह ओस गिरती है तो दोपहर में धूप गिरती है और शाम को छांव गिरती है, गिरना जीवन का कर्म है और गिरने में काहें की शर्म है.'

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अवैध शराब पर भी एक कविता...

वहीं अवैध शराब को लेकर पुलिस महकमा अभियान चला रहा है और त्योहार के मौके पर भी शराबी उत्सव में भंग डालने का काम करते हैं. ऐसे में पुलिस तो सख्ती से निपटेगी ही. लेकिन पीके मस्त ने उनको भी अपनी कविता के जरिए लपेट दिया.

'जिसने पी शराब ना उभरा जिन्दगानी में, हजारों बह गए बोतलों के इस बंद पानी में...'

बता दें कि पीके मस्त अपनी रौबदार नौकरी के साथ ही लोगों को कॉमेडी पंच से हंसाने का भी काम करते हैं. वे कॉमेडी के लगभग सभी बड़े कार्यक्रम में टेलीविजन पर अपनी पहचान बना चुके हैं. प्रवीण कुमार मस्त के पिता भी आईपीएस अधिकारी रह चुके हैं.

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