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Pitru Paksha 2021: श्राद्ध पक्ष में न करें ऐसे काम, इन बातों का ध्यान रखेंगे तो प्रसन्न होंगे पूर्वज - jaipur news

पितृ पक्ष चल रहा है और हर व्यक्ति अपने पूर्वजों की आत्मा की तृप्ति के लिए उनका श्राद्ध करता है. लेकिन कुछ खास बातों का इस दौरान ध्यान रखा जाए तो पूर्वजों का भरपूर आशीर्वाद मिलता है. वहीं, कुछ बातें ऐसी भी हैं जिनका ध्यान नहीं रखा जाए तो पूर्वजों की नाराजगी का सामना भी करना पड़ सकता है.

Pitru Paksha 2021, पितृपक्ष 2021
Pitru Paksha 2021

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Published : Sep 21, 2021, 11:13 AM IST

जयपुर. पूर्वजों की तृप्ति और उनका आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए श्राद्ध किए जाते हैं. अभी पितृ पक्ष चल रहा है और हर व्यक्ति अपने पूर्वजों की आत्मा की तृप्ति के लिए उनका श्राद्ध करता है. लेकिन कुछ खास बातों का इस दौरान ध्यान रखा जाए तो पूर्वजों का भरपूर आशीर्वाद मिलता है. वहीं, कुछ बातें ऐसी भी हैं जिनका ध्यान नहीं रखा जाए तो पूर्वजों की नाराजगी का सामना भी करना पड़ सकता है.

पढ़ें- Pitru Paksha 2021: दूसरे दिन तिल और सत्तू के तर्पण का विधान, पूर्वजों को प्रेत योनि से मिलती है मुक्ति

आचार्य पंडित श्रीराम गुर्जर बताते हैं कि पितृ पक्ष में पूर्वजों के श्राद्ध वाले दिन शरीर पर तेल नहीं लगाना चाहिए. दाढ़ी और बाल कटवाना भी पितृ पक्ष में वर्जित माना गया है. पान का सेवन और इत्र का प्रयोग भी इस दौरान नहीं करना चाहिए.

इस समयावधि में आचार, विचार और भोजन में संयम का भी विशेष ध्यान रखना चाहिए. इस दौरान सात्विक भोजन करने के नियम की पालना करनी चाहिए. श्राद्ध वाले दिन प्याज-लहसुन का प्रयोग भूलकर भी नहीं करना चाहिए. इस दौरान किसी का भी अपमान करने से भी बचना चाहिए. घर में भी आपस में वाद-विवाद से बचना चाहिए. पितृ पक्ष के दौरान जितना हो सके स्वाध्याय और प्रभु नाम का जाप करना चाहिए. इस दौरान श्रीमद्भगवतगीता का पाठ करने की भी परंपरा है. इस पखवाड़े में ब्रह्मचर्य का पालन करना चाहिए.

पितृ पक्ष में इन खाद्य पदार्थों के सेवन से बचें

कुछ अन्न और खाद्य पदार्थों का सेवन श्राद्ध में निषेध माना गया है. मसूर, राजमा, चना, अलसी का सेवन वर्जित माना गया है. बासी भोजन और समुद्र जल से बना नमक भी इस समय नहीं खाना चाहिए. भैंस, ऊंटनी और भेड़ जैसे एक खुर वाले पशु का दूध श्राद्ध पक्ष में वर्जित है.

श्राद्ध में ये काम करेंगे तो जल्द प्रसन्न होंगे पूर्वज

श्राद्ध में बनने वाले व्यंजनों में पूर्वजों की पसंद और नापसंद का खास ध्यान रखना चाहिए.

पिता का श्राद्ध पुत्र द्वारा करना शास्त्र सम्मत है. पुत्र की अनुपस्थिति में पत्नी श्राद्ध कर सकती है.

घर पर भोजन करने आने वाले ब्राह्मण को सोने, चांदी, कांसे और तांबे के बर्तनों में भोजन परोसना उत्तम बताया गया है.

श्राद्ध वाले दिन पितर स्तोत्र और पितृ गायत्री मंत्र का जाप किया जाता है. दक्षिण में मुख करके यह पाठ करने चाहिए.

श्राद्ध वाले दिन दक्षिण दिशा में मुख करके जल, काले तिल और जौ से अर्घ्य देना चाहिए.

गाय, कुत्ते और कौए को ग्रास देना चाहिए. घर पर आए भिखारी या पशु को बिना कुछ खिलाए भी नहीं भेजना चाहिए.

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