जयपुर. भाद्रपद मास के कृष्ण पक्ष की अमावस्या को पिठोरी अमावस्या (Pithori Amavasya 2021) मनाई जाती है. इस साल पिठोरी अमावस्या आज मनाई जा रही है. पिठोरी अमावस्या को कुशोत्पाटिनी अमावस्या के नाम से भी जाना जाता है.
धार्मिक मान्यता के अनुसार कुशोत्पाटिनी का अर्थ है कुशा को उखाड़ना अथवा उसका संग्रहण करना होता है. धार्मिक कार्य, पूजा, पाठ आदि के लिए वर्ष भर तक लगने वाली कुशा का संग्रहण इस अमावस्या पर किया जाता है. सामान्यत: किसी भी अमावस्या को उखाड़ा गया कुश का प्रयोग एक महीने तक किया जा सकता है.
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पिठोरी अमावस्या का शुभ मुहूर्त
अमावस्या तिथि 6 सितंबर को सुबह 7 बजकर 38 मिनट से प्रारंभ होकर 7 सितंबर को सुबह 6 बजकर 21 मिनट तक रहेगी.
पिठोरी अमावस्या का महत्व
पिठोरी अमावस्या के दिन आटे से मां दुर्गा सहित 64 देवियों की आटे से मूर्तियां बनाते हैं. महिलाएं इस दिन आटे से बनी देवियों की पूजा-अर्चना करती हैं और व्रत रखती हैं. इसलिए इसे पिठोरी अमावस्या कहते हैं. अमावस्या के दिन दान, तप और स्नान का विशेष महत्व है. स्नान के बाद पितरों की तृप्ति के लिए तर्पण और पिंडदान किए जाते हैंय मान्यता है कि ऐसा करने से पितर प्रसन्न होते हैं और उनका आशीर्वाद प्राप्त होता है.
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पूजन विधि
सुबह ब्रह्म मुहूर्त में उठें. नहाने के पानी में गंगाजल मिलाकर स्नान करें. स्नान करने के बाद घर के मंदिर में दीप प्रज्वलित करें. सूर्य देव को अर्घ्य दें. पितरों के निमित्त तर्पण और दान करें. भगवान विष्णु और महादेव की विधि-विधान से पूजन अर्चन के साथ दान पुण्य करें.