जयपुर.राजस्थान प्रगतिशील लेखक संघ की ओर से हर साल 'पीएलएफ' के नाम से आयोजित किए जाने वाले साहित्य उत्सव का चौथा संस्करण इस बार फरवरी में ऑनलाइन आयोजित किया जाएगा. पीपुल्स लिटरेचर फेस्टिवल यानी जन साहित्य उत्सव 6 दिन तक चलेंगे. इसमें कुल 24 सत्रों में किसानों की समस्या, अर्थव्यवस्था और लव जिहाद के मुद्दों पर गहन मंथन होगा.
संघ के महासचिव ईशमधु ने बताया कि साहित्य के बाजारीकरण के प्रतिरोध में हिंदी और भारतीय भाषाओं को समर्पित यह साहित्य उत्सव कोरोना काल की बदली हुई परिस्थितियों के चलते अब ऑनलाइन आयोजित किया जा रहा है, जो 6 दिन का होगा. जिसमें फरवरी माह के चारों रविवार के साथ ही पहले और चौथे शनिवार को इसमें विभिन्न सत्र आयोजित किए जाएंगे. ऐसे में 6 दिन में कुल 24 सत्र प्लान किए जाएंगे. जिनमें कहानी, कविता के विविध रंगों के साथ ही कोरोनाकाल से जुड़े विषयों भी चर्चा होगी.
बता दें कि पीएलएफ पिछले कई संस्करण से अलग-अलग-अलग वेन्यू पर हो रहा था. इसमें बॉलीवुड के भी कुछ जाने-माने नाम हर साल अपनी उपस्थिति दर्ज करवाते नजर आते हैं. हालांकि इस बार ऑनलाइन सेशन में ये चेहरे फिर से दिखाई देंगे. वहीं फेस्टिवल की प्लानिंग के अनुसार फरवरी माह की 7, 13, 14, 21, 27 और 28 तारीख को पीएलएफ के रोजाना चार सत्र होंगे. जहां मुख्य रूप से लव जिहाद, किसानों की समस्या और पटरी से उतरी अर्थव्यवस्था जैसे जनहित के मुद्दों पर मंथन होगा.
कृष्ण त्रयोदशी पर शिव का उपासना
मार्गशीर्ष कृष्ण त्रयोदशी शनिवार को साल का अंतिम शनि प्रदोष होगा. मनोवांछित फल प्राप्ति के लिए शिवभक्त उपासना में लीन रहेंगे. वहीं छोटी काशी के शिव मंदिर में भक्त दर्शन करेंगे और शाम को मंदिरों में विशेष झांकियां भी सजाई जाएगी. हालांकि कोरोना के मद्देनजर जलाभिषेक सहित अन्य अनुष्ठान नहीं होंगे.
कृष्ण त्रयोदशी पर शिव का उपासना ऐसे में 12 दिसंबर को शनि प्रदोष व्रत, 13 को मासिक शिवरात्रि और 14 दिसंबर को सोमवती अमावस्या है. इस दिन व्रत रखकर भक्त दिनभर भोलेनाथ की भक्ति में लीन रहेंगे. वहीं अगले दिन मासिक शिवरात्रि का व्रत रखा जाएगा. साथ ही सोमवार को सोमवती अमावस्या का संयोग रहेगा. तीनों दिन शिव आराधना के लिए विशेष होंगे. हालांकि गलता तीर्थ सहित अन्य जगहों के सरोवर में धार्मिक स्नान के लिए भक्तों का प्रवेश निषेध रहेगा.
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ज्योतिषाचार्य पंडित पुरुषोत्तम गौड़ ने बताया कि, शनिवार या सोमवार का संयोग होना इस प्रदोष व्रत के फल को कई गुना बढ़ाएगा. इसलिए शनि की साढ़ेसाती और ढेय्या से मुक्ति पाने के लिए शिव जी का रुद्राभिषेक का पाठ करें. वहीं इस बार शनि भी अपनी स्वराशि मकर पर होने से शनि की पीड़ा में शिव पूजन से मुक्ति मिलने के साथ आयु, आरोग्य प्रदातादायी रहेगी. वहीं जिन भक्तों शनि, राहु खराब अवस्था में है, वह जातक व्रत रखकर शिवाराधना करें. वहीं भोलेनाथ को समर्पित इन तीनों दिन दान, पुण्य और आराधना का दौर चलेगा.