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गांव की ग्राउंड रिपोर्ट: कोरोना महामारी से 'जीने' का खौफ...काम-धंधा बंद होने से भूखे 'मरने' के हालात - People are troubling of hunger and employment in Rajasthan's villages

राजस्थान में कोरोना की दूसरी लहर कहर बरपा रही है. गांव के लोगों पर दोहरी मार पड़ी है. कोरोना महामारी का खौफ तो है ही, काम-धंधा बंद होने से भूखे मरने के भी हालात हैं.

कोरोना महामारी से 'जीने' का खौफ, Rajasthan Corona Update
कोरोना महामारी से 'जीने' का खौफ

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Published : May 20, 2021, 10:05 PM IST

जयपुर. कहते हैं देश गांव में बसा है. ग्रामीण परिवार चलाने के लिए कृषि के साथ ही छोटे-मोटे काम धंधे करते हैं. रोजी-रोटी का इंतजाम हो जाता है. लेकिन अब गांव में कोरोना महामारी से बचाव की चुनौती है तो काम-धंधा बंद होने से रोजी-रोटी पर भी संकट खड़ा हो गया है.

कोरोना महामारी से 'जीने' का खौफ

ईटीवी भारत की ग्राउंड रिपोर्ट

दौसा के एक गांव में जब ईटीवी भारत की टीम पहुंची तो गांव में एक परिवार चरखे पर सूत कात रहा था. परिवार की रोजी-रोटी का साधन यही है. इसलिए घर में ही परिवार के लोग मिलजुलकर चरखे से सूत कातने का काम करते हैं ताकि उनकी रोजी-रोटी पर संकट ना आए.

'कोई जांच नहीं, कोरोना का डर लगता है लेकिन काम तो करना ही पड़ेगा'

चरखे से सूत कातने का काम कर रहे परिवार की महिला मुखिया ने कहा कि उन्हें कोरोना से डर तो लगता है लेकिन कोरोना के चलते लगे लॉकडाउन से परिवार की रोजी-रोटी पर संकट खड़ा हो गया है. सरकार भले ही बड़े-बड़े दावे करती हो लेकिन उन तक कुछ नहीं पहुंचता है. ऐसे में अपना काम बंद नहीं कर सकते हैं. परिवार के लोग मिलजुलकर अब भी अपने छोटे से चरखे से सूत कातने का काम कर रहे हैं.

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वैक्सीन का टोटा!

गांव में हालात यह हैं कि 60 साल से ऊपर के सदस्यों का तो टीकाकरण हो गया है लेकिन 18 से 45 साल के लोगों का किसी तरह का टीकाकरण नहीं हुआ है.

कोई कोरोना जांच नहीं!

कोरोना संक्रमण के डर से ही लॉकडाउन लगाया गया है लेकिन आपको जानकर हैरत होगी कि कोरोना की जांच के लिए गांव में आज तक कोई टीम नहीं पहुंची है.

परिवार की मुखिया महिला ने कहा कि उन्होंने कोरोनावायरस का टीका लगा लिया लेकिन उन्हें जब बुखार हुआ तो कोई जांच नहीं हुई. वह 8 दिन बाद साधारण इलाज से ही ठीक हो गईं. परिवार के दूसरे सदस्य भी कहते हैं कि कोरोना का डर तो है लेकिन उस डर की वजह से काम बंद नहीं किया जा सकता. परिवार में किसी की भी कोरोना जांच नहीं हुई है. वे खुद भी कोरोना जांच कराने के लिए नहीं गए.

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हर सदस्य कमाता है 50 से 100 रुपए

चरखे से सूत कातकर रोजी-रोटी कमाने वाले लोगों की मानें तो परिवार का एक सदस्य जब अपनी बारी आने पर सूत कातने का काम करता है तो वह अपनी बारी में इतना काम कर लेता है कि 50 से 100 रुपए तक कमा लेता है. यानी पूरा परिवार मिलकर बमुश्किल 500 रुपए रोजाना कमा लेता है. इस काम में बच्चे-बड़े सभी जुड़े हुए हैं.

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