जयपुर.कोरोना वैश्विक महामारी के बीच वर्क फ्रॉम होम का नया कल्चर देखने को मिला है. अब बड़ी-बड़ी मल्टीनेशनल कंपनी में काम करने वाले वर्कर वर्क फ्रॉम होम कर रहे हैं, लेकिन इस वर्क फ्रॉम होम के दौरान कुछ शारीरिक और मानसिक हेल्थ से जुड़े मसले भी देखने को मिले हैं. चिकित्सकों का कहना है कि वर्क फ्रॉम होम कल्चर के कारण व्यक्ति एक तरह से घर में कैद हो जाता है. शारीरिक कार्य करना एकाएक बंद कर देता है तो ऐसे में मोटापे डायबिटीज आदि से जुड़ी कुछ शारीरिक समस्याएं देखने को मिली हैं.
क्या कहना है डॉक्टर्स का ?
ईएसआई हॉस्पिटल के मेडिसिन विभाग के चिकित्सक डॉ. श्याम सुंदर का कहना है कि वर्क फ्रॉम होम के बाद कुछ शारीरिक समस्याएं लोगों में देखने को मिली हैं. उनका कहना है कि पहले जब लोग काम पर जाया करते थे तो कुछ शारीरिक मेहनत भी होती थी. लेकिन अब लोग घर में कैद हो गए हैं और जो लोग वर्क फ्रॉम होम कर रहे हैं. उनमें डायबिटीज मोटापा और लोगों के खाने का रूटीन भी बदल गया है. इसके अलावा लंबे समय से जिम और अन्य व्यायामशाला भी बंद रही तो ऐसे में लोगों की सेहत पर असर देखने को मिला है.
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मानसिक परेशानियां भी...
वहीं वरिष्ठ मनोरोग विशेषज्ञ डॉक्टर अखिलेश जैन का कहना है कि शारीरिक समस्याओं के अलावा वर्क फ्रॉम होम से मानसिक परेशानियां भी देखने को मिली हैं. लंबे समय तक कंप्यूटर या लैपटॉप पर काम करने के कारण कुछ मानसिक समस्याएं उत्पन्न हो रही हैं और जिस में तनाव सबसे अधिक देखने को मिल रहा है. डॉक्टर जैन का कहना है कि वर्क फ्रॉम होम से जुड़े कुछ व्यक्ति फोन पर भी उनसे परामर्श ले रहे हैं. जहां देखने को मिला है कि वर्क फ्रॉम होम के कारण कुछ मानसिक परेशानियां जन्म लेने लगी हैं.