जयपुर. केंद्रीय मंत्री वीरेंद्र कुमार ने ईटीवी भारत से खास बातचीत में राजस्थान सहित कुछ राज्यों में केंद्र की जनकल्याणकारी योजनाओं का संबंधित परिवारों तक पूरा लाभ नहीं पहुंच पाने की बात भी कही. जयपुर प्रवास के दौरान रविवार को वीरेंद्र कुमार भाजपा अनुसूचित जाति मोर्चा की ओर से गौतम नगर वाल्मिकी बस्ती में आयोजित एक कार्यक्रम में भी शामिल हुए और यहीं उन्होंने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के मन की बात कार्यक्रम को भी सुना.
इस दौरान उनके साथ भाजपा प्रदेशाध्यक्ष सतिश पूनिया और मोर्चा प्रदेशाध्यक्ष कैलाश मेघवाल सहित विधायक मदन दिलावर व मोर्चा शहर अध्यक्ष जितेंद्र लोदिया भी मौजूद रहे. केंद्रीय मंत्री वीरेंद्र कुमार ने यहां बस्ती के लोगों से संवाद भी किया और इस दौरान उनके विभाग से जुड़ी जनकल्याणकारी योजनाओं की जानकारी भी दी.
एमबीसी आरक्षण पर यह बोले केंद्रीय मंत्री...
वहीं, जब केंद्रीय मंत्री से एमबीसी में शामिल समाजों द्वारा एमबीसी आरक्षण के नौवीं अनुसूची में शामिल करने से जुड़ा सवाल पूछा गया तो उन्होंने कहा कि ऐसा कोई प्रस्ताव विचाराधीन नहीं. हालांकि, जब उनसे वापस यही सवाल पूछा गया तो उन्होंने लोकसभा में हाल ही में लाए गए कांस्टीट्यूशनल अमेंडमेंट बिल, जिसके जरीए महाराष्ट्र के मराठा समाज के आरणक्ष के मामले का उदाहरण देकर कहा कि इस मामले में भी सुप्रीम कोर्ट ने रोक लगा दी थी.
जिसके बाद हमारे विभाग ने सुप्रीम कोर्ट में रिव्यू याचिका लगाई गई, जिसे भी कोर्ट ने खारिज कर दिया जिसके चलते ही केन्द्र सरकार लोकसभा में कॉस्टीट्यूशनल अमेंडमेंट बिल लेकर आए जिसके जरीए राज्य सरकारों को यह अधिकार दिए गए कि राज्यों भी अपनी सूची में नाम जोड़ने-घाटने का काम कर सकती है, जिससे वो संबंधित समाजों को रोजगार, शिक्षा सहित अन्य क्षेत्रों में लाभ दे सके. हालांकि, एमबीसी आरक्षण से जुड़े कोई भी प्रस्ताव केंद्र के पास विचाराधीन होने की बात से उन्होंने इंकार कर दिया.
राज्य सरकार केंद्र को भेज चुका है पत्र...
एमबीसी में शामिल गुर्जर सहित पांच जातियों को राजस्थान में 5 प्रतिशत आरक्षण का लाभ मिल रहा है, लेकिन इसे स्थायी सुरक्षा कवच मिल सके इसके लिए समाज की मांग पर पूर्व में राज्य सरकार ने इस मामले में केन्द्र को पत्र और प्रस्ताव भी भेजा है. वहीं, हाल ही में चले लोकसभा सत्र के दौरान भी राजस्थान के एमबीसी समाज और गुर्जर नेता कर्नल किरोड़ी बैंसला और उनके पुत्र विजय बैंसला ने पत्र और ई-मेल के जरिए राजस्थान के संसादों से संसद मेंं यह मांग उठाने की मांग की थी. इसके लिए समाज ने राजनीतिक दबाव बनाने के लिए सोशल मीडिया पर अभियान भी चलाया, लेकिन उसका कोई लाभ इस समाज को नहीं मिल पाया. केंद्रीय मंत्री वीरेंद्र कुमार का बयान तो यही बतता है कि इस मामले में केंद्र सरकार या राज्य से आने वाले सांसद भी गंभीर नहीं है.