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स्पेशल: हादसों की डगर पर राहगीर...फुट ओवर ब्रिज, फुटपाथ और पेडेस्ट्रियन Walkway की कमी

राजस्थान में हर साल करीब 25 हजार से ज्यादा रोड एक्सीडेंट होते हैं. इन हादसों में करीब 28 हजार से ज्यादा लोग घायल होते हैं. जबकि 10 हजार 500 से ज्यादा लोग काल का ग्रास बन जाते हैं. इनमें करीब 37 फीसदी मामले सड़कों पर पैदल चलने वाले राहगीरों से जुड़े हुए होते हैं. हालांकि, प्रशासन सड़कों पर पैदल चलने वाले लोगों को प्राथमिकता देने की बात जरूर करता है. बावजूद इसके फुट ओवर ब्रिज, फुटपाथ और पेडेस्ट्रियन वॉकवे की कमी के चलते हर दिन सैकड़ों राहगीर अस्पताल की दहलीज तक जा पहुंचते हैं.

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Published : Feb 17, 2021, 1:25 PM IST

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हादसों की डगर पर राहगीर

जयपुर.किसी भी शहर या अर्बन एरिया में पैदल चलने वालों को प्राथमिकता दी जाती है. लेकिन वर्तमान में सड़कें बनाते समय प्रशासन का पूरा फोकस दोपहिया और चौपहिया वाहन सरपट कैसे दौड़े, इस पर रहता है. ऐसे में शहरी सड़कों पर पैदल चलने से लोग कतराने लगे हैं. वहीं जिम्मेदारों की अनदेखी और लापरवाही लोगों के स्वास्थ्य के साथ-साथ दीर्घायु पर भी भारी पड़ रही है.

हादसों की डगर पर राहगीर

शहर के अस्पतालों में हर महीने सैकड़ों राहगीरों के दुर्घटनाग्रस्त होने के मामले पहुंचते हैं. एक स्टडी के अनुसार राजधानी में कुल दुर्घटना के मामलों में 37 फीसदी पैदल चलने वाले राहगीर चोटिल होते हैं. एसएमएस के अतिरिक्त अधीक्षक डॉ. जगदीश मोदी के अनुसार अस्पताल में हर महीने दुर्घटना में घायल पैदल चलने वालों के 100 से 150 केस आते हैं. इनमें कुछ के गंभीर चोटें भी होती हैं. उन्होंने बताया कि फुटपाथ से अलग हटकर चलने वाले या रात्रि के समय अमूमन ऐसे केस सामने आते हैं.

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हालांकि, राष्ट्रीय परिवहन नीति कहती है कि सड़क पर चलने का पहला अधिकार राहगीर का है. लेकिन 60 फ़ीसदी फुटपाथ पर अतिक्रमण या वाहनों का कब्जा है. यही नहीं लगभग सभी प्रमुख चौराहे महज वाहनों के लिए डिजाइन किए हुए हैं. हालांकि, जेडीए प्रशासन का दावा है कि सभी प्रमुख सड़कों पर फुटपाथ का प्रोविजन है और जहां सड़कें लंबी हैं, वहां रोड क्रॉस करने के लिए हर 200 मीटर पर क्रॉसिंग या पेडेस्ट्रियन बना हुआ है या जेडीए के जरिए मीडियन को काटकर जेब्रा क्रॉसिंग बना रखी है. जेएलएन रोड, टोंक रोड, जनपथ को उदाहरण के तौर पर देखा जा सकता है. भविष्य में भी जो ट्रैफिक इंप्रूवमेंट के काम किए जा रहे हैं. उसमें पेडेस्ट्रियन सेफ्टी और पेडेस्ट्रियन क्रॉसिंग पहली प्राथमिकता होगी.

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वहीं जेडीसी गौरव गोयल की माने तो, सड़कों पर टू-व्हीलर, फोर-व्हीलर और दूसरे हेवी व्हीकल से पहले प्राथमिकता पैदल चलने वालों की है. उनके लिए फुटपाथ, फुटओवर ब्रिज और सबवे बनाए गए हैं. साथ ही जेब्रा क्रॉसिंग, एप्रोप्रियेट लाइटिंग और जो 700 करोड़ के नए प्रोजेक्ट जेडीए द्वारा लाए जा रहे हैं, उनमें भी पेडेस्ट्रियन के लिए माकूल व्यवस्था करने का प्रावधान है. उन्होंने बताया कि जहां तक बात शिक्षण संस्थानों के आसपास की है, तो वहां प्रॉपर साइन बोर्ड लगाए गए हैं. जहां तकनीकी रूप से आवश्यकता है, वहां स्पीड ब्रेकर, जेबरा क्रॉसिंग और सुरक्षा के दूसरे इंतजाम भी किए हुए हैं. हालांकि, जो फुटपाथ अतिक्रमण का शिकार हो रखे हैं, उनके खिलाफ नियमित अभियान चलाकर अतिक्रमण हटाए जा रहे हैं.

एक नजर इधर भी...

खैर, दावे अनेक हैं, लेकिन शहर की सड़कें और अस्पताल का रिकॉर्ड हकीकत खुद बयां करता है. बहरहाल, डॉक्टर्स कहते हैं जो पैदल चलने या साइकिल चलाने का अभ्यस्त होता है, वो स्वस्थ रहता है. बीमारियां भी उस पर हावी नहीं होती. लेकिन अंधाधुंध तरीके से बढ़ते शहरीकरण के बीच सड़कों के निर्माण में राहगीरों और साइकिल चालकों की जरूरतें बेदर्दी से दरकिनार होती जा रही है.

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