जयपुर. CM अशोक गहलोत ने राजस्थान में जिलों के प्रभारी मंत्रियों को बदल दिया है. रमेश मीणा और विश्वेंद्र सिंह की बर्खास्तगी के बाद खाली जिलों को जहां नए प्रभारी मंत्री मिले हैं वहीं, अन्य मंत्रियों के जिलों में भी बदलाव किया गया है. राजस्थान में जहां एक ओर पंचायत चुनाव को लेकर तैयारियां चल रही हैं. वहीं दूसरी ओर गहलोत सरकार की ओर से प्रदेश के 22 मंत्रियों, राज्य मंत्रियों और मुख्य सचेतक और उप मुख्य सचेतकों को जिले का प्रभार देकर नई जिम्मेदारियां सौंपी गई है. मुख्यमंत्री अशोक गहलोत की अनुमति से कैबिनेट सचिवालय की ओर से जारी आदेश में सरकार के सभी मंत्री, मुख्य सचेतक और उप मुख्य सचेतक को प्रदेश के सभी 33 जिलों के प्रभारियों की जिम्मेदारी सौंपी गई है.
लेकिन इनमें 5 मंत्री ऐसे हैं, जो मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के विश्वश्नीय तो मानें ही जाते हैं, इसके साथ ही इन्हें जो टास्क मिला है, वह भी खासा चुनौतीपूर्ण होने वाला है. हम बात कर रहे हैं, उन जिलों के प्रभारियों की. जहां पायलट और उनके गुट के नेताओं का खासा प्रभाव है.
प्रदेश में इन 5 जिलों में प्रभारियों की जिम्मेदारी चुनौतपूर्ण...
- टोंक
- भरतपुर
- अजमेर
- दौसा
- नागौर
रघु शर्मा को मिला टोंक का कार्यभार
खास तौर पर पूर्वी राजस्थान और अजमेर में गहलोत के नेताओं के लिए काम सबसे ज्यादा चुनौतीपूर्ण होने वाला है. स्वास्थ्य मंत्री रघु शर्मा को सबसे बड़ी चुनौती मिली है. जिन्हें टोंक का प्रभारी बनाया गया है, क्योंकि टोंक से खुद सचिन पायलट विधायक हैं. जिस तरह से अजमेर में पायलट के समर्थकों और रघु शर्मा के समर्थकों में अजय माकन के फीडबैक कार्यक्रम के दौरान टकराव देखा गया. उससे आने वाली स्थितियों का खुद ही अंदाजा लगाया जा सकता है.
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अशोक चांदना संभालेंगे दौसा-करौली
इसके बाद दूसरे नंबर पर मंत्री अशोक चांदना को चुनौती मिली है जिन्हें दौसा और करौली का प्रभारी मंत्री बनाया गया है. दौसा से मुरारी लाल मीणा और करौली से रमेश मीणा आते हैं, तो वहीं इन जिलों में सचिन पायलट का असर भी किसी से छिपा नहीं है. जिस तरीके से सियासी महासंग्राम के दौरान मंत्री अशोक चांदना को सोशल मीडिया पर पायलट समर्थकों ने ट्रोल किया था, वह भी किसी से छिपा नहीं है.