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जयपुर: फीस मामले में अनिश्चितकालीन धरने पर बैठे अभिभावक, आमरण अनशन की चेतावनी - शिक्षा मंत्री गोविंद सिंह डोटासरा

जयपुर में संयुक्त अभिभावक संघ के बैनर तले अपनी 15 सूत्री मांगों को लेकर अभिभावक अनिश्चितकालीन धरने पर बैठ गए हैं. इससे पहले भी उन्होंने प्रदर्शन किया था लेकिन सरकार की ओर से वार्ता के लिए कोई कदम नहीं उठाया गया था.

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Published : Nov 30, 2020, 3:10 PM IST

जयपुर.राजधानी में स्कूल शिक्षा निजी स्कूल संचालकों और अभिभावक संघों के निजी हितों के संघर्ष में पिस रही है. निजी स्कूल संचालकों की ओर से धरना-प्रदर्शन करने के बाद अब अभिभावक संघ मैदान में कूद गए हैं.

फीस मामले में धरने पर बैठे अभिभावक

सोमवार को संयुक्त अभिभावक संघ के बैनर तले अपनी 15 सूत्रीय मांगों को लेकर अभिभावक अनिश्चितकालीन धरने पर बैठ गए. अभिभावकों में इस बात को लेकर रोष है कि वार्ता के लिए सरकार की ओर से कोई पहल नहीं की जा रही है. इससे पहले भी उन्होंने प्रदर्शन किया था, उसमें भी सरकार ने वार्ता के लिए कोई कदम नहीं उठाया था. संयुक्त अभिभावक संघ के अध्यक्ष अरविंद अग्रवाल ने बताया कि फीस के मुद्दे को लेकर सरकार को कई बार ज्ञापन भी दिए गए हैं.

अग्रवाल ने कहा कि फीस को लेकर हाई कोर्ट का जो निर्णय आया था. उससे भी अभिभावक संतुष्ट नहीं है. इसलिए अभिभावक डबल बेंच में गए और वहां मामला चल रहा है. उन्होंने आरोप लगाया कि स्टे होने के बावजूद भी निजी स्कूल संचालक मनमानी कर अभिभावकों पर फीस के लिए दबाव बना रहे हैं.

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साथ ही जिन स्कूलों में ऑनलाइन क्लासेज चल रही है. वहां से अभिभावकों के पास फीस के लिए लगातार फोन आ रहे हैं. बोर्ड में रजिस्ट्रेशन के नाम पर अभिभावकों को फीस के लिए धमकाया जा रहा है. अभिभावकों का आरोप है कि इस मामले में सरकार भी निजी स्कूल संचालकों के साथ मिली हुई है.

अग्रवाल का कहना है कि निजी स्कूल संचालक अभिभावकों को फीस के लिए प्रताड़ित करने पर उतारू हैं. अभिभावक संघ का कहना है कि इसका जो मामला हाई कोर्ट में चल रहा है उसे लेकर हाईकोर्ट ने सरकार से रिपोर्ट मांगी थी. वह रिपोर्ट सरकार हाईकोर्ट में दे चुकी है और उस पर निर्णय आना अभी बाकी है.

गौरतलब है कि मार्च 2020 से ही स्कूल बंद हैं. ऐसे में निजी स्कूलों की ओर से बच्चों को ऑनलाइन पढ़ाई कराए जाने के साथ फीस की मांग की जाने लगी. अभिभावकों का कहना है कि जब स्कूल खुल ही नहीं रहे हैं तो वे फीस क्यों दें. इसी को लेकर निजी स्कूल संचालकों और अभिभावक संघों में अपने अपने हितों को लेकर तकरार चल रहा है.

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