जयपुर. देशभर में कोरोना संक्रमण को रोकने का लगातार प्रयास किया जा रहा है, आमजन से लेकर सरकार तक इस में जुटी हुई है. दूसरी ओर कोरोना काल में एक बड़ी समस्या उभर कर सामने आई है, वो है निजी स्कूलों में पढ़ने वाले बच्चों की फीस. निजी स्कूल बच्चों के अभिभावकों से लगातार फीस देने की मांग कर रहे हैं जबकि सरकार ने साफ कर दिया है कि जब तक स्कूल नहीं खुलेंगे तब तक कोई फीस नहीं ली जाए.
जयपुर में स्कूल फीस माफी को लेकर अभिभावकों ने किया प्रदर्शन इन सब के बावजूद भी निजी स्कूल की ओर से अभिभावकों पर फीस देने के लिए दबाव बनाया जा रहा है. शनिवार को भी जयपुर के मालवीय नगर स्थित सेंट अंसलम पिंक सिटी सीनियर सेकेंडरी स्कूल के बाहर अभिभावकों ने फीस माफ करने को लेकर प्रदर्शन किया.
लगातार फीस देने का दबाव बनाने पर अभिभावक शनिवार को मालवीय नगर स्थित सेंट अंसलेम पिंक सिटी सीनियर सेकेंडरी स्कूल पहुंचे. यहां अभिभावकों ने स्कूल प्रबंधन की ओर से फीस मांगने पर विरोध जताया. मालवीय नगर में रहने वाली भाजपा महिला मोर्चा की महामंत्री एकता अग्रवाल भी सूचना पर स्कूल पहुंची और अभिभावकों का नेतृत्व किया. एकता अग्रवाल भी अभिभावकों के साथ इस प्रदर्शन में शामिल हुई.
अभिभावकों का नेतृत्व कर रही एकता अग्रवाल ने कहा कि कोरोना काल में देश और समाज ने एक अच्छा उदाहरण पेश किया. इस विकट परिस्थिति में सभी लोगों ने एक दूसरे की मदद की. लोगों ने गरीबों और जरूरतमंद लोगों को निशुल्क खाना भी खिलाया. इन सब के बावजूद भी बड़े ट्रस्टों की ओर से संचालित स्कूल अभिभावकों पर अकारण ही फीस देने का दबाव बना रहे हैं.
उन्होंने कहा कि लॉकडाउन में अभिभावकों की आर्थिक स्थिति खराब हो चुकी है. कई अभिभावक फीस देने में असमर्थ है. अभिभावकों के कामकाज ठप हो चुके हैं और नौकरी पर भी संकट आ गया है. ऐसी परिस्थिति में स्कूल संचालक की ओर से अभिभावकों पर फीस देने के लिए दबाव बनाना अनुचित है.
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एकता अग्रवाल ने कहा कि कई स्कूलों ने एक मिसाल पेश की है. कुछ स्कूलों ने बच्चों की लॉकडाउन के दौरान फीस माफ कर दी है और कइयों ने फीस में छूट भी दी है. इसके बावजूद भी सेंट अंसलेम पिंक सिटी सीनियर सेकेंडरी स्कूल ट्रस्ट की ओर से अभिभावकों को फीस में कोई रियायत नहीं दी जा रही. एकता अग्रवाल के नेतृत्व में अभिभावकों ने अपनी बात पुरजोर तरीके से स्कूल प्रबंधन के सामने रखी. स्कूल प्रबंधन का कोई भी नुमाइंदा अभिभावकों से बात करने तक नहीं आया.