जयपुर. फीस को लेकर हाई कोर्ट का निर्णय आने के बाद अभिभावकों ने राहत की सांस ली है, हालांकि इस निर्णय अभिभावक खुश नजर नहीं आए. इस निर्णय को लेकर अधिकतर अभिभावकों ने नाखुशी भी जताई है और कहा है कि वह फीस को लेकर आगे भी लड़ाई लड़ते रहेंगे. फीस को लेकर हाईकोर्ट ने निर्णय दिया है कि निजी स्कूल संचालक ट्यूशन फीस का 70 फीसदी फीस ले सकते हैं और यह फीस अभिभावक जनवरी तक तीन किस्तों में दे सकेंगे.
अभिभावकों ने कहा कि हाई कोर्ट का निर्णय से अभिभावकों के हाथ पूरी तरह से काट दिए गए हैं और यह निर्णय पूरी तरह से निजी स्कूल संचालकों के पक्ष में है. पेरेंट्स वेलफेयर सोसाइटी के अध्यक्ष दिनेश कांवट ने कहा कि लॉकडाउन के कारण अभिभावकों की आर्थिक स्थिति खराब हो गई है और बच्चों की स्कूल फीस देने में पूरी तरह से असमर्थ हैं. अनलॉक होने के बाद अभी भी अभिभावकों के सामने कई चुनौतियां हैं. सरकार को भी कई बार गुहार लगाई, लेकिन सरकार भी इस मामले में आगे नहीं आई.
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कांवट ने कहा कि सरकार चाहती थी कि कोर्ट इसमें दखल दे, ताकि वह पक्षकार नहीं बने. यह निर्णय किसी भी तरह से अभिभावकों के हित में नहीं है. इस निर्णय से अभिभावकों के हाथ ही काट दिए गए हैं. हाईकोर्ट ने केवल 30 फीसदी फीस माफ की है, जबकि कई निजी स्कूल संचालकों ने 50 फीसदी तक फीस पहले ही माफ कर दी. अभिभावकों को राहत जरूर दी है, यह गलत फैसला है.
कांवट ने कहा कि हम लोग हाई कोर्ट के निर्णय की विवेचना करेंगे और फीस माफ करने को लेकर हमारी लड़ाई आगे भी जारी रहेगी. उन्होंने कहा कि ऑनलाइन क्लास के लिए शुल्क लेने को भी कहा गया है और यह बहुत बड़ी बात है. यदि कोई अभिभावक फीस नहीं दे पाएगा तो बच्चे का नाम स्कूल से नहीं काटा जाएगा. ज्यादा बेहतर होता कि ऑनलाइन क्लासेज हाईकोर्ट बंद कर देता, क्योंकि ऑनलाइन क्लासेस से बच्चों में कई तरह की विकृतियां आ रही हैं.