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550वां प्रकाश पर्व स्पेशल: जयपुर के नरेना में स्थापित ये पैनोरमा दिलाता है सिख इतिहास और उनके बलिदान की याद

सिख धर्म के प्रथम गुरु नानक साहिब का 550वां प्रकाश पर्व देशभर में मनाया रहा हैं. इसी पावन पर्व पर आपको राजधानी जयपुर के नरेना के चरण कमल साहिब गुरुद्वारे लेकर चलते है. जहां सिख धर्म से जुड़े एक खास इतिहास को पैनोरमा के रूप में यादगार बनाया गया है. जिसमें आपको प्रथम धर्म गुरु नानक साहिब से लेकर 10वें गुरु गोविंद सिंह तक सहित देशभर में कैसे सिख धर्म का प्रचार प्रसार हुआ.

Gurudwara in Narena Village Jaipur, Panorama at Charan Kamal Sahib,

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Published : Nov 12, 2019, 6:10 PM IST

जयपुर.बताया जाता है कि सिख धर्म के प्रसार के दौरान नानक देव राजस्थान भी आए थे, तब उन्होंने पुष्कर में कई बड़े धर्मावलंबियों के साथ साक्षात्कार किया था. यहीं नहीं सिख धर्म के 10वें गुरु गोविंद सिंह ने अपने जीवन के अंतिम समय 1707 के मध्य राजस्थान का दो बार दौरा किया था. राजस्थान के जिन स्थानों पर गुरु साहिब आए उनमें जयपुर भी शामिल है. बताया जाता है कि उन्होंने जयपुर जिले के नरेना गांव में 13 दिन तक डेरा जमाया.

जयपुर के नरेना में स्थापित पैनोरमा की स्पेशल रिपोर्ट

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बताया जाता है कि 1706 और 1707 के बीच मार्च महीने में गुरु गोविंद सिंह नरेना आए थे. इसके बाद वह पुष्कर गए और गुरु नानक साहब के चरण कमलों के दर्शन किए. वहीं पूरे सिख धर्म से जुड़े इतिहास को दर्शाने के लिए नरेना गांव में पैनोरमा स्थापित किया गया है. जिसमें औरंगजेब द्वारा सिखों पर की गई यातनाओं का चित्रण भी किया गया है. भाई मती दास जी और गुरु तेग बहादुर जी की शहादत का किस्सा, भाई दयाला जी को धर्म परिवर्तन के लिए अमानवीय यातनाएं दी गई उसका भी चित्रण किया गया है.

जयपुर के नरेना में स्थापित पैनोरमा की स्पेशल रिपोर्ट

यहीं नहीं पैनोरमा में पंज प्यारों की दीक्षा. वैशाखी के दिन खालसा पंथ की स्थापना. इसके बाद गुरू गोविंद सिंह देशभर की यात्रा पर जाते हैं. जफरनामा में औरंगजेब के अत्याचारों का भी विवरण दिया गया है. बाबा जोरावर सिंह और फतेह सिंह की शहादत, चमकौर गढ़ी के ऐतिहासिक युद्ध की भी जानकारी दी गई है.

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जब गोविंद सिंह ने ली सिखों की परीक्षा
ग्रंथी ने दादू दयाल नगरी में एक और वाकया बताया. सिख धर्म को लेकर पिरपक्कव हैं यह जानने के लिए गुरू जी ने दादू दयाल में बनी एक समाधी पर तीर झुकाकर प्रणाम किया, जिसे की सिख नियमों के विरुद्ध माना जाता है. जब उनके साथ आए सिखों ने गुरू जी से सवाल किया तब उन्होंने बताया कि वे उनकी रहत-मर्यादा की परीक्षा ले रहे थे.

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