जयपुर.राजस्थान में गुरुवार से पंचायत चुनाव की आचार संहिता लागू हो गई है लेकिन खास बात यह है कि 3 चरणों में होने वाले मतदान से उन 173 ग्राम पंचायतों और उनसे प्रभावित 449 ग्राम पंचायतों को चुनाव प्रक्रिया से अलग रखा गया है, जिनका सरकार ने 1 दिसंबर को पंचायत पुनर्गठन का संशोधन किया था. हाईकोर्ट से रोक लगने के बाद इनको लेकर राज्य सरकार सुप्रीम कोर्ट में चली गई है.
3 चरणों में होने वाले पंचायत चुनाव 173 ग्राम पंचायतों को छोड़ दिया गया
सुप्रीम कोर्ट में राज्य सरकार की याचिका का असर रहा कि राज्य निर्वाचन आयोग ने जिला परिषद सदस्य और पंचायत समिति सदस्यों के चुनाव नहीं करवाने का निर्णय तो लिया है. इसके साथ ही राजस्थान में होने वाले ग्राम पंचायतों के चुनाव में भी उन 173 ग्राम पंचायतों को छोड़ दिया गया है. जो 1 दिसंबर को संशोधित पुनर्गठन में शामिल थी 173 पंचायतों के साथ ही 449 उन ग्राम पंचायतों में भी चुनाव नहीं होंगे.
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पंचायतों का किया गया पुनर्गठित
जिनमें से इन पंचायतों को पुनर्गठित किया गया था. ऐसे में साफ है कि सरकार कि सुप्रीम कोर्ट में दी गई. याचिका का असर है कि इस बार जिला परिषद सदस्यों पंचायत समिति सदस्यों और 449 ग्राम पंचायतों में भी चुनाव नहीं होंगे और राज्य निर्वाचन आयोग सुप्रीम कोर्ट के निर्णय का बची हुई जगह चुनाव करवाने के लिए इंतजार करेगा.
इस तरह से समझे की पंचायतों के पुनर्गठन का क्या हुआ है असर
दरअसल प्रदेश की 449 पंचायतों का पुनर्गठन कर नई 173 पंचायतें भी 1 दिसंबर को बनाई गई थी. जिसे जोधपुर हाईकोर्ट में चुनौती दी गई और जोधपुर हाईकोर्ट ने इन पर रोक लगा दी. जिसके चलते सरकार सुप्रीम कोर्ट की शरण में चली गई. जिस पर अभी सुनवाई होना बाकी है, ऐसे में गुरुवार राज्य निर्वाचन आयोग ने जब चुनाव अधिसूचना जारी की तो 173 पंचायतों पर चुनाव नहीं करवाने का निर्णय लिया. साथ ही उन सभी 449 प्रभावित पंचायतों में भी चुनाव नहीं होंगे.
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बिलोद, मातासुला और ताला में नहीं होंगे चुनाव
जैसे यह 173 नई ग्राम पंचायतें बनी थीं, उदाहरण के तौर पर जयपुर जिले के जमवारामगढ़ में ग्राम पंचायत ताला, ग्राम पंचायत बिलोद और ग्राम पंचायत मातासुला में से पुनर्गठन कर दंताला मीणा चौथी और नई पंचायत बनाई थी. ऐसे में अब न केवल नई पुनर्गठन दंताला मीणा बल्कि बिलोद, मातासुला और ताला में भी चुनाव नहीं होंगे. इसी तरीके से प्रदेश की 173 नई पंचायतें जिनका 1 दिसंबर को पुनर्गठन किया गया था और जिन 449 पंचायतों में से इन 173 पंचायतों को बनाया गया था उनमें भी पंच सरपंच का चुनाव नहीं होगा.