जयपुर. ट्रांस्क्युटेनियस बिलिरुबिनोमीटर (transcutaneous bilirubinometer) डिवाइस के जरिए अब बच्चों में पीलिया की जांच दर्द रहित हो सकेगी. इससे पहले नवजात और छोटे बच्चों में पीलिया (Jaundice) की जांच के लिए ब्लड सैंपल लेने पड़ते थे. यह प्रक्रिया काफी दर्द भरी होती थी. हाल ही में एक जयपुर के जेके लोन अस्पताल में इसे लेकर एक शोध भी प्रकाशित किया गया है.
नवजात और छोटे बच्चों में आमतौर पर पीलिया से जुड़ी बीमारी अधिक देखने को मिलती है. समय पर पीलिया की जांच नहीं होने के चलते कुछ बच्चों की स्थिति भी बिगड़ जाती है. मौजूदा समय की बात करें तो ब्लड सैंपल लेने के बाद तकरीबन 8 से 10 घंटे बाद पीलिया की रिपोर्ट प्राप्त होती है लेकिन जयपुर के जेके लोन के चिकित्सकों ने हाल ही में तकरीबन 100 बच्चों पर ट्रांस्क्युटेनियस बिलिरुबिनोमीटर डिवाइस के जरिए पीलिया का पता लगाने को लेकर शोध किया गया. इस डिवाइस के जरिए पीलिया की जांच शत-प्रतिशत सही पाई गई.
ट्रांस्क्युटेनियस बिलिरुबिनोमीटर से पीलिया की जांच यह भी पढ़ें.Special: चीन से MBBS कर रहे स्टूडेंट्स Online Study से परेशान....बिन प्रैक्टिकल कैसे सीखेंगे सर्जरी और इलाज ?
इस शोध को अंतरराष्ट्रीय स्तर के यूरोपियन जर्नल ऑफ पीडियाट्रिक्स में भी अस्पताल की ओर से भेजा गया है. ऐसे में सवाई मानसिंह मेडिकल कॉलेज से अटैच अस्पतालों में जल्द ही इस डिवाइस के जरिए बच्चों और नवजात में पीलिया की जांच हो सकेगी. जिसके तहत जेके लोन अस्पताल (JK Lone Hospital), जनाना अस्पताल, महिला अस्पताल, गणगौरी अस्पताल और अन्य अटैच अस्पतालों में जल्द ही यह सुविधा शुरू की जाएगी.
कैसे करती है काम
ट्रांस्क्युटेनियस बिलिरुबिनोमीटर डिवाइस की बात करें तो यह बैटरी से संचालित एक मशीन है. डिवाइस को नवजात या छोटे बच्चे की स्किन पर रखने के बाद पीलिया के स्तर को बताती है. खास बात यह है कि इससे महज दो से तीन मिनट में बच्चे में पीलिया के स्तर का पता लग जाता है.
आमतौर पर अस्पताल में पीलिया की जांच के लिए बच्चों के ब्लड सैंपल लेने पड़ते हैं, जो काफी दर्द भरा होता है. जांच रिपोर्ट आने भी तकरीबन 8 से 10 घंटे लग जाते हैं. अब चिकित्सा विभाग की ओर से राजस्थान मेडिकल सर्विस कॉरपोरेशन लिमिटेड को तकरीबन 50 मशीन खरीदने के निर्देश भी जारी कर दिए हैं.