जयपुर.कोरोना का मनोवैज्ञानिक असर कम कैसे हो, इसका प्रचार-प्रसार कैसे किया जाए, यह बहुत जरूरी है. दूसरा जो परिधि के अस्पताल हैं, आसपास की सीएचसी, बड़े अस्पताल हैं. बड़े डिविजनल हेडक्वाटर्स हैं, सामान्य बीमारी के लोग भी वहां उपचार करा सकें. इस व्यवस्था को सुदृढ़ करने पर विशेष ध्यान देने की जरूरत है.
डॉ सतीश पूनिया ने कहा कि होम आइसोलेशन व्यवस्था को व्यवस्थित करने पर राज्य सरकार को ध्यान देने की जरूरत है. उन्होंने उदाहरण देते हुए कहा कि, अहमदाबाद की एक रिपोर्ट के अनुसार एक हजार गाड़ी हायर की गईं, जिसमें प्रत्येक गाड़ी में एक डॉक्टर्स, एक नर्स, एक कम्पाउंडर, एक सहायक, ये बिना खौफ के लोगों की कॉल पर टेस्टिंग करते हैं. इसके अच्छे परिणाम सामने आ रहे हैं. सुबह-शाम देखभाल करते हैं, ये डेडिकेटेड टीमें चिन्हित इलाकों में जाकर लोगों की चिकित्सकीय देखभाल करती हैं. ऐसे में राजस्थान में भी कोरोना के बारे में अभी भी व्यापक जागरुकता अभियान की जरूरत है. इसके लिए स्वयंसेवी संगठनों का सहयोग भी लिया जाना चाहिए. कोरोना के बारे में भ्रांतियां, भय और लापरवाही को दूर करने के लिए भी लोगों का मनोबल बढ़े. इसके लिए सुदृढ़ काउंसलिंग की आवश्यकता है.
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डॉ. पूनिया ने कहा कि, निजी अस्पतालों में आमजन के इलाज को सुगम बनाने को लेकर सुझाव दिए कि, निजी अस्पतालों की अपनी समस्या है और मरीजों की अपनी समस्या है. इसलिए दोनों की समुचित व्यवस्था हो, कोई समाधान निकले. अस्पतालों की सुरक्षा सुनिश्चित हो, पिछली योजनाओं की बकाया राशि का भुगतान हो इत्यादि. मरीजों को निजी अस्पतालों में कम दर पर अच्छा कैसे इलाज मिले, यह सुनिश्चित हो. निजी अस्पतालों के साथ सरकार को व्यवस्थित तरीके से टाई-अप करने की आवश्यकता है, जिससे आमजन को सरकारी अस्पतालों के अलावा निजी अस्पतालों में भी अच्छा इलाज मिल सके. निजी अस्पतालों से भी संवाद कर उनकी सुरक्षा और सहूलियत प्रदान कर कोविड- 19 के इलाज के लिए प्रोत्साहित करें और निजी अस्पतालों को मरीजों के हित को दृष्टिगत रखा जाए. संभाग के अस्पतालों के आसपास की परिधि वाले अस्पतालों को उपकरण, स्टाफ इत्यादि से सुदृढ़ किया जाए.
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प्रदेशाध्यक्ष पूनिया ने कहा कि, प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने पिछले दिनों सात राज्यों के मुख्यमंत्रियों के साथ जो संवाद किया, उसमें मुख्यमंत्रियों से निवेदन किया था कि उपखण्ड स्तर से संबंधित टीमों की स्वयं मुख्यमंत्री नियमित मॉनिटरिंग करें. उनका मनोबल बढ़ाया जाएगा तो सही रिपोर्ट मिलेगी. केन्द्र सरकार ने एसडीआरएफ के बजट को लेकर राज्यों को बड़ी सहूलियत दी है, जिसके मुताबिक पहले राज्य सरकारें एसडीआरएफ के बजट को 35 प्रतिशत स्वास्थ्य सेवाओं पर खर्च कर सकती थीं. अब 50 प्रतिशत तक खर्च कर सकते हैं. उन्होंने कहा कि, प्रदेश के अस्पतालों में ऑक्सीजन की मांग और आवश्यकता लगातार बढ़ रही है. विगत महीने 4200 सिलेंडर से 8000 बढ़ गई और लक्षित मांग 11,000 हैं तो सरकार को चाहिए कि इसकी उचित व्यवस्था करवाए. सरकारी और निजी अस्पतालों में बेड, आइसीयू, ऑक्सीजन बेड, वेंटिलेटर की उपलब्धता और दरें जारी कर प्रकाशित करके उसको सख्ती से लागू करवाना चाहिए.
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उन्होंने कहा कि, एचआरसीटी (HRCT) की सरकारी और निजी अस्पतालों की दरों में भारी अंतर है. इस पर कोई उचित कदम उठाएं. इस जांच को लेकर मामले सामने आ रहे हैं कि, निजी अस्पतालों में 5 हजार से लेकर 15 हजार तक लिए जा रहे हैं और सवाई मानसिंह इत्यादि सरकारी अस्पतालों में 700-800 रुपए ले रहे हैं. ऐसे में निजी अस्पतालों की उचित रेट दर तय की जाए. हेल्पलाइन 181 की व्यवस्था की समीक्षा करने, सहज सुलभ और सुदृढ़ करना चाहिए, जिससे लोगों का और भी भरोसा बढ़ेगा. रिपोर्ट्स में जो विरोधाभास आ रहा है, उसकी समीक्षा और समाधान करना चाहिए. जो कंटेनमेंट जोन्स हैं, किसी शहर या जिले में हो सकते हैं. जहां संक्रमण न बढ़े, उस पर विशेष ध्यान देने की आवश्यकता है. पिछले दिनों प्रधानमंत्री ने संबोधित करते हुए इस बात पर विशेष जोर दिया था कि संक्रमण को रोकने के लिए विशेष प्रयास करने की जरूरत है. उन्होंने कोरोना वॉरियर्स को बहुत धन्यवाद ज्ञापित करते हुए कहा कि, इन्होंने कोरोना काल में पूरी लगन और जज्बे के साथ लोगों की सेवा की. उनका मनोबल और सुविधाएं बढ़ाने को लेकर राज्य सरकार प्रयास करे.