जयपुर. कोविड-19 संक्रमण का असर ऑर्गन डोनेशन और ट्रांसप्लांट पर भी देखने को मिला है. कोविड-19 संक्रमण से पहले सवाई मानसिंह अस्पताल में दो हार्ट ट्रांसप्लांट किए गए थे और उत्तर भारत के सरकारी क्षेत्र के अस्पताल में हार्ट ट्रांसप्लांट का यह पहला मामला था. हालांकि दोनों हार्ट ट्रांसप्लांट रिसिपिएंट की मौत हो चुकी है और इनमें से एक हार्ट रिसिपिएंट की मौत कोरोना के चलते हुई थी.
ऑर्गन ट्रांसप्लांट पर कोविड-19 का असर बता दें कि राजस्थान में ऑर्गन रिसिपिएंट की संख्या काफी ज्यादा है और ऑर्गन डोनेशन काफी कम. ऐसे में राजस्थान सरकार की ओर से अभियान चलाया जा रहा है और इसे लेकर स्टेट ऑर्गन एंड टिशु ट्रांसप्लांट ऑर्गेनाइजेशन का गठन भी किया गया है जो ऑर्गन डोनेशन और ट्रांसप्लांट को लेकर काम कर रही है.
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हालांकि आंकड़ों की बात करें तो ऑर्गन रिसिपिएंट की लिस्ट काफी लंबी है और इसे देखते हुए डोनर काफी कम है. सरकार की ओर से अंगदान को लेकर काफी मुहिम भी चलाई जा रही है और जयपुर के सवाई मानसिंह मेडिकल कॉलेज में एक अलग से विभाग भी ऑर्गन डोनेशन और ट्रांसप्लांट को लेकर बनाया गया है.
राजस्थान में ऑर्गन रिसिपिएंट की संख्या काफी ज्यादा स्टेट ऑर्गन एंड टिशु ट्रांसप्लांट प्रोग्राम के नोडल ऑफिसर डॉक्टर मनीष शर्मा ने जानकारी देते हुए बताया कि कोविड-19 संक्रमण का असर ऑर्गन डोनेशन और ट्रांसप्लांट पर भी देखने को मिला है और बीते 8 माह में एक भी ऑर्गन ट्रांसप्लांट नहीं हुआ.
धीमी हुई अंग प्रत्यारोपण की रफ्तार 21 मरीज ब्रेन डेड घोषितः
डॉ. मनीष शर्मा ने जानकारी देते हुए बताया कि कोविड-19 संक्रमण के दौरान बीते 8 माह में करीब 21 मरीजों को ब्रेन डेड घोषित किया गया है, लेकिन कॉविड 19 के कारण उनके अंग अन्य मरीजों को नहीं लगाए जा सके, क्योंकि ब्रेन डेड होने के बाद लगभग 48 घंटे के अंदर मरीज के अंग काम में लिए जा सकते हैं, लेकिन जब तक कोविड-19 टेस्ट ब्रेन डेड का नहीं होगा तब तक वह अंग किसी भी जरूरतमंद मरीज को नहीं लगाया जा सकता.
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ऐसा करने पर जिस भी मरीज का इम्यूनिटी सिस्टम काफी कमजोर होता है और यदि सारी प्रक्रिया करके ऑर्गन ट्रांसप्लांट कर भी दिया जाए तो अस्पताल में संक्रमण का खतरा रहता है ऐसे में मरीज की जान जा सकती है. प्रदेश में अभी तक कुल 119 अंग जरूरतमंद मरीजों को प्रत्यारोपित किए जा चुके हैं. इसमें किडनी और लीवर की संख्या सबसे अधिक हैं.