जयपुर.जरूरतमंद मरीजों को नई जिंदगी मिले इसके लिए सरकार की ओर से अंगदान की मुहिम चलाई गई थी. इसकी शुरुआत की गई थी प्रदेश के सबसे बड़े सवाई मानसिंह अस्पताल से. बता दें कि पिछले कुछ समय से सरकार की कछुआ चाल के चलते यह मुहिम दम तोड़ती नजर आ रही है. पिछले 1 साल में एक भी कैडेबर ट्रांसप्लांट नहीं हो पाया है.
अंगदान की मुहिम को लेकर सरकार करोड़ों रुपए खर्च तो कर रही है, लेकिन यह मुहिम आगे नहीं बढ़ पा रही है. दरअसल ब्रेन डेड हो चुके मरीज के अंग किसी अन्य जरूरतमंद मरीज के काम में आ सकते हैं.
पढ़ेंः जयपुर: संगठन को मजबूत करने में लगे सतीश पूनिया, 29 नवंबर को प्रदेश के भाजपा सांसदों की लेंगे बैठक
इसे लेकर सरकार ने ब्रेन डेड पेशेंट के परिजनों को जागरूक करने के लिए NOTO यानी 'नेशनल ऑर्गन एंड टिशु ट्रांसप्लांट ऑर्गेनाइजेशन' की तर्ज पर SOTO यानी 'स्टेट ऑर्गन टिशु ट्रांसपोर्ट ऑर्गेनाइजेशन' की शुरुआत की थी. लेकिन चिकित्सकों की आपसी खींचतान और सरकार के ढुलमुल रवैए के चलते नतीजे शून्य है. ऐसे में ब्रेन डेड पेशेंट के परिजनों की काउंसलिंग को लेकर अभी भी सफलता नहीं मिल पा रही है.