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थानागाजी गैंगरेप मामले में तत्कालीन थाना इंचार्ज के खिलाफ FIR दर्ज करने के आदेश - थाना इंचार्ज

थानागाजी गैंगरेप मामले में लापरवाही बरतने वाले थानागाजी थाने के तत्कालीन इंचार्ज दशरथ सिंह के खिलाफ FIR दर्ज करने के आदेश दिए हैं. वहीं अलवर के तत्कालीन एसपी राजीव पचार, एएसपी चिरंजी लाल मीणा से स्पष्टीकरण मांगा गया है.

थानागाजी गैंगरेप मामले में तत्कालीन थाना इंचार्ज दोषी, FIR दर्ज करने के आदेश

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Published : Jun 7, 2019, 11:34 PM IST

जयपुर. थानागाजी गैंगरेप मामले में लापरवाही बरतने वाले पुलिसकर्मियों के खिलाफ सरकार ने कार्रवाई करते हुए थानागाजी थाने के तत्कालीन इंचार्ज दशरथ सिंह के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने के आदेश दिए हैं. गृह विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव राजीव स्वरूप ने अलवर के तत्कालीन एसपी राजीव पचार, एएसपी चिरंजी लाल मीणा से स्पष्टीकरण मांगने के साथ ही मीणा को अलवर जिले से बाहर तैनाती करने के आदेश भी दिए हैं.

थानागाजी गैंगरेप मामले में तत्कालीन थाना इंचार्ज दोषी, FIR दर्ज करने के आदेश

सरकार ने डीएसपी जगमोहन शर्मा को नॉन फील्ड पोस्टिंग देने के साथ ही राजस्थान सेवा नियम 16 सीसी के तहत कार्रवाई करने के आदेश दिए हैं. शर्मा के साथ तत्कालीन थाना इंचार्ज दशरथ सिंह और कांस्टेबल महेश के खिलाफ भी 16 सीसी की कार्रवाई की जाएगी. मामले में दोषी एसआई बाबूलाल, एएसआई रूपनारायण, कांस्टेबल महेश, घनश्याम सिंह, बृजेंद्र, राजेंद्र और रामरतन को रेंज से बाहर करने के साथ ही पूरे थाना स्टाफ को हटाने के आदेश भी दिए हैं.

इसके साथ ही एसआई बाबूलाल, एएसआई रूपनारायण कांस्टेबल घनश्याम सिंह बृजेंद्र राजेंद्र और राम रतन के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई भी होगी. कांस्टेबल महेश घटना के दिन से ही मुख्य अभियुक्त के संपर्क में था और उसे पीड़िता की तरफ से की जा रही कार्रवाई की जानकारी दे रहा था. सरकार ने आदेश संभागीय आयुक्त केसी वर्मा डीआईजी विजिलेंस जोस मोहन की रिपोर्ट के आधार पर दिए है.

थानागाजी के तत्कालीन थाना इंचार्ज दशरथ सिंह के खिलाफ अनुसूचित जाति जनजाति अत्याचार निवारण कानून की धारा 4 के तहत एफआईआर दर्ज होगी. इस धारा के अनुसार कोई भी लोक सेवा केंद्र एससी-एसटी परिवादी की शिकायत पर रिपोर्ट दर्ज नहीं करने या अनुसंधान में लापरवाही करता है तो यह आपराधिक कार्रवाई मानी जाएगी और उसके खिलाफ धारा 4 के तहत केस दर्ज होगा. मामले में दोषी पाए जाने पर 1 साल तक की सजा हो सकती है. इसके अतिरिक्त सरकार चाहे तो दोषी लोगों के खिलाफ आईपीसी धारा के तहत भी एफआईआर दर्ज कर सकती है. इसमें दोषी पाए जाने पर 2 साल तक की सजा का प्रावधान है.

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