जयपुर.नाहरगढ़ अभ्यारण में वाणिज्यिक गतिविधियों को लेकर एनजीटी ने उच्च स्तरीय कमेटी गठित कर मामले की जांच करने और कार्रवाई करके 4 सप्ताह में रिपोर्ट पेश करने के निर्देश दिए हैं. नारगढ़ सेंचुरी में अवैध वाणिज्यिक गतिविधियों को लेकर वन प्रेमी राजेंद्र तिवारी की ओर से याचिका पेश की गई थी. दायर याचिका की सुनवाई करते हुए एनजीटी की ओर से यह निर्देश जारी किए गए हैं. मामले में जांच और कार्रवाई के लिए कमेटी में जयपुर जिला कलेक्टर, वन विभाग के चीफ वाइल्ड लाइफ वार्डन और राजस्थान स्टेट पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड को शामिल किया गया है.
एनजीटी की ओर से निर्देश दिया गया है कि कमेटी मौके पर जाकर परिवाद में वर्णित तथ्यों की जांच करके कार्रवाई रिपोर्ट पेश करे. कोरोना संक्रमण के चलते एनजीटी ने परिवादी को सभी रेस्पोंडेंट को ईमेल, व्हाट्सएप, टेलीग्राम के जरिए नोटिस पहुंचाने की भी जिम्मेदारी दी है. मामले की अगली सुनवाई 23 अगस्त को होगी.
परिवादी वन प्रेमी राजेंद्र तिवारी के मुताबिक कोरोना काल में ऑक्सीजन का संकट गहरा रहा है. नाहरगढ़ अभ्यारण जयपुर वासियों के लिए ऑक्सीजन उत्पादन की फैक्ट्री के समान है, क्योंकि अभ्यारण में काफी संख्या में पेड़ पौधे लगे हुए हैं, जो कि आसपास की आबादी में ऑक्सीजन सप्लाई का काम करते हैं. ऐसी प्राकृतिक जगह पर वाणिज्यिक गतिविधियों का संचालन गलत है. पर्यटन विकास के नाम पर अभ्यारण को लगातार नुकसान पहुंचाया जा रहा था. मामले को एनजीटी तक लेकर गए. अवैध वाणिज्यिक गतिविधियां रोकने के साथ वन एवं वन्यजीव अधिनियम की पालना हो और पर्यटन विकास के लिए वन क्षेत्र को उजाड़ना बंद हो, इसकी अपील की गई है. इसके साथ ही दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करने के लिए भी मांग की गई है. अभ्यारण वन और वन्यजीव की सुरक्षा के लिए होता है, इस तरह अभ्यारण में वाणिज्यिक गतिविधियां करना अपराध की श्रेणी में माना जाता है. मामले में एनजीटी की ओर से जांच के लिए उच्च स्तरीय कमेटी का गठन किया गया है उम्मीद है कि जल्द ही कार्रवाई होगी.
वन प्रेमी राजेन्द्र तिवारी के मुताबिक नाहरगढ़ फोर्ट नाहरगढ़ वन्यजीव अभ्यारण की आरक्षित वन क्षेत्र के बीच स्थित है, इसलिए फोर्ट की सुरक्षा का दायित्व वन विभाग का है. फोर्ट परिसर पर वन्यजीव संरक्षण अधिनियम 1972 लागू है. नाहरगढ़ फोर्ट में 24 घंटे लोगों की आवाजाही रहती है, इसके चलते नियमों का उल्लंघन हो रहा है. वन विभाग की ओर से कोई चेकपोस्ट नहीं बनाई गई, ना ही अभ्यारण के नियमों का पालन हो रहा है.
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वन विभाग को करोड़ों रुपए के राजस्व का भी नुकसान हो रहा है. अवैध पार्किंग में प्रवेश शुल्क लिया जाता है. नाहरगढ़ फोर्ट में कई व्यवसायिक प्रतिष्ठान संचालित हैं जो कि वन विभाग की बिना अनुमति के ही वन एवं वन्यजीव संरक्षण अधिनियम 1972 के अंतर्गत अपराध की श्रेणी में आते हैं. सर्वोच्च न्यायालय के आदेश 1996 का भी उल्लंघन हो रहा है. नाहरगढ़ अभ्यारण में प्रतिष्ठानों को पुरातत्व विभाग की ओर से टेंडर के माध्यम से संचालित करवाया जा रहा है. पुरातत्व विभाग के पास मालिकाना हक नहीं होते हुए भी आरक्षित वन क्षेत्र में इस प्रकार के टेंडर जारी करना अवैध है. पुरातत्व विभाग, वन विभाग से किसी प्रकार की अनुमति नहीं ले रहा.
पुरातत्व विभाग की ओर से नाहरगढ़ अभ्यारण में आरक्षित वन क्षेत्र में पेड़ों का अवैध कटान कर जमीन समतल करके वन भूमि को पार्किंग का ठेका देकर अवैध वसूली की जा रही है. नाहरगढ़ फोर्ट में बीयर बार का संचालन रात्रि 11:00 बजे तक किया जाता है, जो कि बिना अनुमति के अपराध की श्रेणी में आता है. वन और वन्यजीव संरक्षण अधिनियम का उल्लंघन किया जा रहा है. नाहरगढ़ फोर्ट पर संचालित प्रतिष्ठानों में बिजली के कनेक्शन भी जारी कर दिया गया है, सारे अपराध में वन विभाग की मौन स्वीकृति रही है. नाहरगढ़ फोर्ट में रात्रि के समय लाइट एंड साउंड शो का आयोजन भी करवाया जाता है, इससे वन्यजीवों के विचरण में बाधा उत्पन्न होती है. नाहरगढ़ अभ्यारण में पर्यटक और आमजन घूमते हैं और शराब का सेवन करते हैं, इसके चलते कई बार नाहरगढ़ की पहाड़ियों पर दुर्घटनाएं भी हो चुकी हैं.