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कार-टैंकर एक्सीडेंट में मारे गए पिता-पुत्र के आश्रितों को 81.64 लाख रुपए की क्षतिपूर्ति दें - Cholamandalam General Insurance

कार-टैंकर एक्सीडेंट में मारे गए पिता-पुत्र के आश्रितों को मोटर दुर्घटना दावा अधिकरण-एक महानगर द्वितीय ने 81.64 लाख रुपए की क्षतिपूर्ति देने के निर्देश दिए हैं.

मोटर दुर्घटना दावा अधिकरण,  कार-टैंकर एक्सीडेंट, 81 लाख क्षतिपूर्ति
मोटर दुर्घटना दावा अधिकरण का आदेश

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Published : Oct 22, 2021, 6:21 PM IST

जयपुर. मोटर दुर्घटना दावा अधिकरण-एक महानगर द्वितीय ने 22 जनवरी 2015 को अजमेर जिले के बान्दर सिन्दरी थाना क्षेत्र में टैंकर एवं कार के बीच एक्सीडेंट में मारे गए पिता और पुत्र के आश्रितों को 81.64 लाख रुपए की क्षतिपूर्ति राशि देने का निर्देश दिया है. अधिकरण ने बीमा कंपनी चौलामंडलम जनरल इंश्योरेंस और वाहन मालिक और चालक सांवरमल जाट को निर्देश दिया है कि वह क्षतिपूर्ति राशि पर अप्रैल 2015 से 7 फीसदी ब्याज भी भुगतान करें. अधिकरण ने यह आदेश शारदा जैन, उनकी पुत्रवधु अलका जैन सहित अन्य की चार क्लेम याचिकाओं पर दिया.

याचिकाओं में बताया कि 22 जनवरी 2015 को प्रार्थिया शारदा जैन, उसका पति नरेश चन्द जैन, पुत्र कपिल जैन, पुत्रवधु अलका जैन एवं पांच वर्षीय पौत्र गर्वित जैन पाली से कार में वापस जयपुर आ रहे थे. इस दौरान सवा 11 बजे अजमेर के बान्दर सिन्दरी थाना इलाके में एक टैंकर चालक ने तेज गति व लापरवाही से आकर गलत दिशा से उनकी कार को टक्कर मार दी. इसमें गंभीर चोट लगने के कारण नरेश चन्द और कपिल जैन की मृत्यु हो गई और शारदा, अलका और गर्वित के गंभीर चाेटें आईं. एक्सीडेंट की रिपोर्ट घटना वाले दिन ही अलका के भाई अतुल ने बान्दर सिन्दरी पुलिस थाने में दर्ज करवा दी.

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प्रार्थियों ने मामले में वाहन मालिक और चालक सांवरमल सहित बीमा कंपनी चौलामंडलम जनरल इंश्योरेंस को पक्षकार बनाते हुए क्लेम याचिकाएं दायर कीं. वहीं मामले में पुलिस ने भी टैंकर चालक को दोषी मानते हुए उसके खिलाफ कोर्ट में चालान पेश किया. प्रार्थियों का कहना था कि यह एक्सीडेंट टैंकर चालक के तेज गति एवं लापरवाहीपूर्वक ड्राइविंग करने से हुआ था. एक्सीडेंट में मारे गए नरेश चन्द जैन ऑल इण्डिया रेडियो से रिटायर थे और अकाउंट्स का काम करते थे. जबकि कपिल एक कंपनी में सॉफ्टवेयर इंजीनियर था. इसलिए उन्हें बीमा कंपनी और वाहन मालिक से क्षतिपूर्ति दिलवाई जाए. अधिकरण ने दोनों पक्षों की बहस सुनकर बीमा कंपनी और वाहन मालिकों क्षतिपूर्ति राशि ब्याज सहित देने का निर्देश दिया.

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