जयपुर.राजस्थान सरकार का वार्षिक बजट (Rajasthan Budget 2022) बुधवार को मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने विधानसभा में पेश किया. इस बजट को लेकर विभिन्न सेक्टर अलग-अलग उम्मीदें रख रहे थे. ऐसे में बजट पेश होने के बाद इन क्षेत्रों से जुड़े लोगों ने राहत तो महसूस की, लेकिन कुछ कमियों का भी जिक्र किया. कुल मिलाकर सरकार के इस बजट को लेकर क्या स्थितियां रहीं इस विषय पर कुछ जानकारों से ईटीवी भारत ने विशेष बातचीत की.
इस दौरान किसान महापंचायत के नेता रामगोपाल गुर्जर, बजट एक्सपर्ट और सलाहकार अजय गुप्ता, बेटी बचाओ अभियान की पूर्व एंबेसडर डॉक्टर अनुपमा सोनी और एंटरप्रेन्योर और कारोबारी लीना शर्मा भी इस बातचीत में शामिल हुईं. इस दौरान बजट के उजले पक्ष और कमियों का जिक्र किया गया.
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किसान को MSP पर निराशा
अशोक गहलोत सरकार का इस मर्तबा बजट इस लिहाज से भी खास रहा क्योंकि इस बजट में किसानों के लिये अलग से प्रावधान किया गया था. कुल पांच हजार करोड़ रुपए के प्रावधान के जरिये खेती से जुड़े एक-बड़े वर्ग को रिझाने का प्रयास किया गया. इसमें फसली ऋण समेत कई बड़ी घोषणाएं हुईं तो फूड प्रोसेसिंग यूनिट्स, ऑर्गेनिक फार्मिंग और पशुपालकों से जुड़ी समस्याओं पर ध्यान देने की कोशिश की गई.
इस दौरान किसानों का कहना था कि सरकार को न्यूनतम समर्थन मूल्य पर काम करना चाहिए था, पर इस बजट में इस दिशा में कोई काम नहीं हुआ और न ही किसान की आय को लेकर इजाफे के लिए ठोस कदम उठाये गए हैं. किसानों ने माना कि पूर्वी राजस्थान नहर परियोजना निगम के गठन और दिन में किसान को बिजली दिये जाने जैसे फैसले बेहतर प्रयासों में शामिल रहे. हालांकि किसानों ने यह भी माना कि बजट पूर्व लिए गए सुझाव में से सरकार और कई मसलों पर भी अमल कर सकती थी.
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चिकित्सा और शिक्षा को बहुत मिला, व्यापारी रहे निराश
व्यापार वर्ग से जुड़े लोगों के नजरिये से बजट कुछ खास नहीं था. हालांकि कुछ जगहों पर स्टांप ड्यूटी और करों में राहत को जहां बेहतर माना गया, वहीं चिकित्सा और शिक्षा के क्षेत्र में भी बड़ी घोषणाएं की गईं. चिरंजीवी हेल्थ कार्ड के तहत 10 लाख तक के मुफ्त इलाज चिरंजीवी दुर्घटना बीमा योजना और सरकारी अस्पतालों में निशुल्क ओपीडी में परामर्श जैसे बड़े प्रावधान किए गए, तो नए मेडिकल कॉलेजों के लिए 1224 करोड़ रुपए की लागत से अस्पतालों का निर्माण, नर्सिंग महाविद्यालयों की घोषणा, राजधानी जयपुर के सवाई मानसिंह चिकित्सालय में 5 नए विभाग स्थापित करना, 2000 नए महात्मा गांधी स्कूल खोले जाने की घोषणाएं प्रमुख रहीं.
परंतु चर्चा में शामिल महिलाओं का मानना था कि प्रदेश की आधी आबादी का प्रतिनिधित्व करने वाली महिलाओं के नजरिए से भले ही सरकार ने पुत्री और पुत्रवधू के लिए गिफ्ट डीड में स्टांप ड्यूटी में राहत दे दी है, पर महिलाओं की सुरक्षा के लिए कोई ठोस नीति इस बजट में नजर नहीं आती. बालिका शिक्षा को लेकर भी सरकार को जिस रफ्तार से काम करना चाहिए वह फिलहाल धीमा है. बजट में 19 जिलों में 36 कन्या महाविद्यालय खोले जाने का भी स्वागत किया गया. महिलाओं के लिए मुख्यमंत्री वर्क फ्रॉम होम की घोषणा की भी उन्होंने सराहना की है.
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बजट में संतुलन की जरूरत
बजट पर चर्चा के दौरान विशेषज्ञ अजय गुप्ता ने बताया कि किसी भी सरकार के लिए योजना की घोषणा से ज्यादा अहम होता है उस पर अमल किया जाना. सरकार जिस आत्मविश्वास के साथ बड़े-बड़े ऐलान करती है, उसके लिए फंड जुटाना भी कम चुनौतीपूर्ण नहीं होता है. रिटायरमेंट के बाद पेंशन स्कीम, बिजली बिलों में सब्सिडी, शहरी रोजगार गारंटी योजना, मनरेगा में 25 दिन का अतिरिक्त रोजगार दिया जाना और पंचायती राज और नगरीय निकाय के जनप्रतिनिधियों के वेतन भत्तों में इजाफे जैसे बड़े कदम के लिए बजट का प्रावधान करने की बात भी खास है तो उसके लिए धनराशि भी जुटानी होगी.
गुप्ता ने बताया कि राजीव गांधी नॉलेज सर्विस और इन्नोवेशन हब स्टार्टअप शुरू करने वाली महिलाओं के लिए डब्ल्यू हब जैसी घोषणाएं भी खासा प्रभावित करने वाली है. रीट परीक्षा की तारीख का ऐलान और 32,000 से बढ़ाकर पदों की संख्या 62000 किया जाना भी इस घोषणा का प्रमुख हिस्सा रहा है. इस दौरान भर्ती परीक्षाओं में नकल रोकने के लिए एंटी चीटिंग सेल का अलग से एसओजी में गठन होना भी युवाओं के लिए लाभकारी होगा. विभिन्न विभागों में अलग से एक लाख अतिरिक्त पदों पर भर्ती को ही युवा हाथों-हाथ लेंगे.
प्रदेश में 64 उपखंड मुख्यालय पर अलग से औद्योगिक क्षेत्र की घोषणा व्यापारियों के लिए बेहतर कदम होगा. वहीं राजस्थान औद्योगिक सुरक्षा बल आरआईएएफ का गठन भी इस दिशा में बेहतर घोषणा कहा जा सकती है. सामाजिक सुरक्षा और अन्य घोषणाएं भी बेहतर रही है.