जयपुर. केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने गुरुवार को प्रवासी मजदूरों को लेकर कई बड़ी घोषणाएं की. साथ ही मजदूरों को मिल रही सुविधाओं के बारे में भी जानकारी दी. लेकिन प्रवासी मजदूरों के लिए काम कर रहे सामाजिक कर्तकर्ताओं की मानें तो केंद्र सरकार की ओर से की जा रही घोषणाएं सिर्फ दिखावा हैं, हृदय हीन सरकार को कोरोना की वजह से दरबदर हुए मजदूरों के हाल दिखाई नहीं दे रहे हैं. तीन वक्त खाने और राशि उपलब्ध कराने की बात कही जा रही है, लेकिन तीन वक्त तो छोड़ो एक वक्त का खाना भी इन मजदूरों को नसीब नहीं हो रहा है.
इसको लेकर किसान नेता संजय माधव ने कहा कि मजदूरों को न्यूनतम वेतन के रूप में 18,000 मिलें, ये सरकार को सुनिश्चित करना चाहिए. साथ ही जो कोरोना वायरस की वजह से मजदूर दर-बदर हुए हैं, उन्हें राहत देने के लिए प्रत्येक मजदूर के खाते में 75,00 रुपये प्रतिमाह डाले जाएं, ताकि वह अपने परिवार का पेट पालने में सक्षम हो सके. उन्होंने कहा कि सरकार जिस राशन सामग्री को उपलब्ध कराने की बात कह रही है, उससे इन मजदूरों का परिवार नहीं चलने वाला. सरकार ने 2 महीने का राशन उपलब्ध कराने की बात कही है, लेकिन जो 2 महीने गुजर गए हैं, उनमें किस दौर से यह मजदूर निकले उसका अंदाजा सरकार को नहीं है. आने वाले 2 महीने के भोजन से क्या होगा. मजदूरों को अपना जीवन पटरी पर लाने में 6 महीने से अधिक लगेगा. ऐसे में सरकार को चाहिए कि वह हर महीने प्रत्येक मजदूर के खाते में 7500 रुपये डाले.
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