जयपुर. साइबर ठगों ने इन दिनों ऑनलाइन ठगी (fraud by online payment apps) का एक नया तरीका ईजाद किया है. जिसका प्रयोग अपराधी प्रवृत्ति के लोग भी बड़ी तादाद में करने लगे हैं. साइबर ठगों की ओर से विभिन्न ऑनलाइन पेमेंट एप्स की रेप्लिका एप (online fraud by Replica apps) तैयार की गई है जो दिखने में हूबहू किसी भी ऑनलाइन पेमेंट एप की तरह ही नजर आती है. रेप्लिका एप का प्रयोग कर साइबर ठग और बदमाश छोटे दुकानदारों से लेकर बड़े व्यापारियों तक को ठगी का शिकार (cyber fraud to traders by Replica apps) बनाने में लगे हुए हैं.
ताज्जुब की बात यह है कि ठगी का शिकार होने वाला व्यक्ति ठगी की शिकायत भी दर्ज करवाता है तो उसमें किसी भी तरह का कोई टेक्निकल एविडेंस पुलिस के हाथ नहीं लग पाता है. इस तरह की ठगी से बचने का केवल एक ही तरीका है और वह है व्यापारी की जागरूकता.
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ऑनलाइन पेमेंट एप्स की एपीके फाइल से तैयार की रेप्लिका एप
साइबर सिक्योरिटी एक्सपर्ट आयुष भारद्वाज ने (experts opinion on Replica apps) बताया कि एंड्रॉयड प्लेटफॉर्म पर काम करने वाली हर तरह की ऑनलाइन पेमेंट एप का एक कोड होता है. उस कोड को साइबर ठगों ने बड़ी आसानी से गूगल से एपीके फाइल के रूप में डाउनलोड किया और फिर उस एप की एपीके फाइल को ओपन कर उसमें एप के कोड के साथ छेड़खानी करते हुए ओरिजिनल एप की हुबहू रेप्लिका एप तैयार कर ली.
रेप्लिका एप का प्रयोग कर छोटे दुकानदारों से लेकर बड़े व्यापारियों को ठगी का शिकार बनाया जाने लगा. ओरिजिनल पेमेंट एप और रेप्लिका एप को देखकर दोनों में अंतर कर पाना नामुमकिन है, जिसका फायदा ठगों व बदमाशों की ओर से उठाया जा रहा है. साइबर ठग रेप्लिका एप तैयार करके उसे गैरकानूनी तरीके से विभिन्न प्लेटफॉर्म के माध्यम से 1000 से 2000 हजार रूपए में बेच देते हैं.
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रेप्लिका एप में मोबाइल नंबर और अमाउंट डाल की जा रही ठगी
साइबर सिक्योरिटी एक्सपर्ट आयुष भारद्वाज ने बताया कि रेप्लिका एप बिल्कुल ओरिजिनल एप की तरह ही काम करती है. रेप्लिका एप का प्रयोग करने वाला व्यक्ति दुकानदार का मोबाइल नंबर व जितना अमाउंट दुकानदार को पे करना है उसे एप में डालकर एंटर करता है और एप पेमेंट होना शो करती है. उस मैसेज को ठग, दुकानदार या व्यापारी को दिखा देता है जिसे देखकर दुकानदार पेमेंट पूरा हो जाना सोचकर निश्चित हो जाता है. ऑनलाइन पेमेंट एप की ओर से किया गया ट्रांजैक्शन कमर्शियल बैंक खाते में सेटल होने में 3 से 4 घंटे का समय लगता है. बदमाश रेप्लिका एप का प्रयोग कर ठगी की वारदात को अंजाम दे सामान खरीद कर चला जाता है और 3 से 4 घंटे बीतने के बाद भी जब दुकानदार के खाते में ट्रांजैक्शन नहीं होता है तब जाकर उसे ठगी का पता चलता है.
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ऐसे ठगी का शिकार होने से बचें
साइबर सिक्योरिटी एक्सपर्ट आयुष भारद्वाज ने बताया कि रेप्लिका एप से की जाने वाली ठगी का शिकार होने से बचने के लिए हर दुकानदार और व्यापारी को ऑनलाइन पेमेंट एप के जरिए दी जाने वाली मर्चेंट अलर्ट मशीन का प्रयोग करना चाहिए. यह अलर्ट मशीन सामान खरीदने वाले व्यक्ति की ओर से ऑनलाइन पेमेंट एप के जरिए की गई ट्रांजैक्शन की जानकारी कुछ ही सेकंड में बता देती है.
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हालांकि अमाउंट को खाते में सेटल होने में 3 से 4 घंटे का समय जरूर लगता है लेकिन मशीन की ओर से दिए गए अलर्ट से पेमेंट सही तरीके से हो जाने की जानकारी तुरंत ही मिल जाती है. इस तरह की ठगी का शिकार होने से बचने का दूसरा तरीका यह है कि प्रत्येक दुकानदार और व्यापारी पेमेंट करने वाले व्यक्ति के मोबाइल पर इस चीज को जरूर देखें कि जिस मोबाइल नंबर को एंटर करके ऑनलाइन पेमेंट एप की ओर से ट्रांजेक्शन किया जा रहा है, उस नंबर पर मर्चेंट का बैंक खाता शो हो रहा है या नहीं. रेप्लिका एप किसी भी ऑनलाइन पेमेंट एप के सर्वर से जुड़ी हुई नहीं होती है, जिसके चलते उसमें मर्चेंट का बैंक खाता शो नहीं होता है. जिसे जांच कर इस तरह की ठगी का शिकार होने से बचा जा सकता है.