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Special: मंदिरों का ऑनलाइन डोनेशन लॉकडाउन के दौरान हुआ 'डाउन', राजस्व में भारी गिरावट - राजस्थान की खबर

बुरे वक्त में लोग पूजा स्थलों और अपनी-अपनी आस्था के केंद्रों का रुख करते हैं. मंदिरों और पूजा स्थलों पर लोग मन्नत मांगकर चढ़ावा भी चढ़ाते हैं. लेकिन कोरोना की दूसरी लहर ने मंदिरों की व्यवस्थाओं को झकझोर दिया है.

online donation in lockdown period
मंदिरों में ऑनलाइन डोनेशन

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Published : Jun 9, 2021, 5:33 PM IST

जयपुर. भगवान के दर पर आस्था रखकर भक्त अपने आपको महफूज समझते हैं. लेकिन भगवान की चौखट भी कोरोना काल में सूनी रही. भगवान के दर पर न भक्त आए और न ही दान-पेटी में चढ़ावा. फिर भी ऑनलाइन डोनेशन (online donation) की सेवा जारी रही लेकिन उसमें भी भक्तों की आस्था बहुत कम देखी गई.

देवस्थान विभाग के अधीन आने वाले मंदिरों को दान-पेटी और नकद दान के रूप में 1 रुपया भी नहीं मिला. साथ ही ई-भुगतान (online donation) के जरिए भी कुछ खास राजस्व प्राप्त नहीं हुआ. देवस्थान के मंदिरों के राजस्व पर कोरोना ने जमकर अटैक किया है. देवस्थान विभाग में 59,414 मंदिर पंजीकृत हैं. जिसमें राजस्थान में 59,207 मंदिर और बाहरी राज्यों के 153 मंदिर शामिल हैं.

मंदिरों में ऑनलाइन डोनेशन

मंदिरों में ऑनलाइन दान

जनवरी 2021 से अब तक देवस्थान विभाग के अधीन मंदिरों में ऑनलाइन 1,25,813 रुपये का दान हुआ. जबकि लॉकडाउन में सिर्फ 30,145 रुपये ही ऑनलाइन डोनेशन (ई-भुगतान) आया. सबसे ज्यादा सालासर हनुमान मंदिर (Salasar Hanuman Mandir) में 9156 रुपए का ऑनलाइन दान आया. तो वहीं सबसे कम बाबा रामदेव मंदिर रामदेवरामें सिर्फ 31 रुपए का ही ऑनलाइ दान प्राप्त हुआ. जयपुर में सिर्फ खोले के हनुमान मंदिरमें 101 रुपए का ऑनलाइन चढ़ावा आया.

मंदिरों में ऑनलाइन डोनेशन

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जानिये किस मंदिर में कितना ऑनलाइन चढ़ावा आया

देवस्थान की वेबसाइट के आंकड़ों के अनुसार कई मंदिर तो 1-1 रुपए को तरस गए. देवस्थान के अन्य मंदिर मेहंदीपुर बालाजी को 6320 रुपए, मदनमोहनजी मंदिर को 4500 रुपए, पुष्कर के ब्रह्मा मंदिर को 5101 रुपए, सांवलियाजी मंदिर को 2001 रुपए का चढ़ावा आया. तो वहीं कैलादेवी मंदिर को 162 रुपए, खाटूश्यामजी मंदिर को 773 रुपए, श्रीनाथजी, केशवराय जी, गोगाजी और लक्ष्मीनारायण जी मंदिर में सिर्फ 500-500 रुपए का ऑनलाइन डोनेशन आया.

मंदिरों के राजस्व में भारी गिरावट

कोरोना काल में मंदिरों के पट श्रद्धालुओं के लिए बंद रहे लिहाजा दान-पेटियों में भी काफी समय से पैसा नहीं आया है. जबकि इनमें से कई मंदिर ऐसे हैं जिनका वार्षिक चढ़ावा लाखों-करोड़ों रुपए होता था. बहरहाल, अनलॉक 2.0 की शुरुआत हो चुकी है. भक्त और भगवान के बीच अभी भी कोरोना की दीवार खड़ी है. मंदिरों के पट बंद हैं जिसका सीधा असर इन मंदिरों के राजस्व पर पड़ रहा है.

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