राजस्थान

rajasthan

ETV Bharat / city

शहरी गरीबों के लिए रोजगार गारंटी योजना लाए केंद्र: मुख्यमंत्री

देश में फैले कोरोना संक्रमण को रोकने के लिए सरकार हर संभव प्रयास कर रही है. वहीं, 17 मई को लॉकडाउन खत्म होने वाला है. जिसकी रणनीति को लेकर सोमवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सभी राज्यों के मुख्यमंत्रियों के साथ स्थिति पर चर्चा की. जिसमें मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने राजस्थान की स्थिति के बारे में प्रधानमंत्री को अवगत कराया.

By

Published : May 12, 2020, 12:12 AM IST

जयपुर की खबर, rajasthan news
सोमवार को प्रधानमंत्री ने राज्यों के मुख्यमंत्रियों से की चर्चा

जयपुर. 17 मई को खत्म होने वाले लॉकडाउन के बाद कि रणनीति को लेकर प्रधानमंत्री नरेंद मोदी ने सभी राज्यों के मुख्यमंत्रियों के साथ चर्चा की. इस दौरान मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी से मनरेगा की तर्ज पर ही शहरी क्षेत्रों के लिए भी रोजगार की गारंटी देने वाली योजना शुरू करने का आग्रह किया है.

सीएम अशोक गहलोत ने कहा कि लॉकडाउन के कारण दिहाड़ी पर गुजर-बसर करने वाले, गरीब, मजदूर और जरूरतमंद तबके की आजीविका बुरी तरह प्रभावित हुई है. उन्हें रोजगार मिलता रहे, इसके लिए जरूरी है केन्द्र मनरेगा की भांति ही शहरी क्षेत्र के लिए भी ऐसी योजना लाने पर विचार करें. सीएम गहलोत सोमवार को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के साथ मुख्यमंत्रियों की वीडियो कॉन्फ्रेंस में कोरोना से बचाव, लॉकडाउन और इस संकट से मुकाबला करने के लिए सुझावों के साथ-साथ राज्य सरकार की ओर से उठाए गए कदमों की जानकारी दे रहे थे.

सोमवार को प्रधानमंत्री ने राज्यों के मुख्यमंत्रियों से की चर्चा

उन्होंने ग्रामीण क्षेत्रों में मनरेगा के तहत मजदूरों के लिए न्यूनतम 200 दिवस रोजगार उपलब्ध कराने का भी आग्रह किया. मुख्यमंत्री ने कहा कि अब केन्द्र और राज्य सरकारों को दोहरे मोर्चे पर लड़ाई लड़नी है. एक तरफ कोरोना से जीवन बचाने की जंग तो दूसरी तरफ आजीविका बचाने और आर्थिक हालात पटरी पर लाने की लड़ाई. उन्होंने कहा कि लॉकडाउन के कारण केन्द्र और राज्यों के राजस्व संग्रहण पर विपरीत असर पड़ा है. केन्द्र की मदद के बिना यह असंभव है कि राज्य इस संकट का मुकाबला कर सकें. इसके लिए जरूरी है कि केन्द्र जल्द से जल्द व्यापक आर्थिक प्रोत्साहन पैकेज उपलब्ध कराए. एमएसएमई, मैन्युफैक्चरिंग, सर्विस, टूरिज्म, रियल एस्टेट सहित तमाम सेक्टर्स को संबल की जरूरत है. इकोनॉमिक रिवाइवल के लिए जरूरी है कि ऐसे उपाय हों जिससे लोगों की क्रय शक्ति बढे़, उन्हें रोजगार मिले और उद्योगों को भी राहत मिले.

महामारी के समय में बेरोजगारी दर हुई 37.8

गहलोत ने कहा कि केन्द्र और राज्य सरकारों के लिए इस समय सबसे बड़ी प्राथमिकता जरूरतमंद वर्ग की मदद करना है. हमें ऐसी योजनाओं पर काम करना होगा जिससे बड़ी संख्या में लोगों को सामाजिक सुरक्षा मिले. उन्होंने कहा कि इस समय बेरोजगारी की दर 37.8 प्रतिशत हो गई है जो सर्वाधिक है. गहलोत ने कहा कि केन्द्र की ओर से घोषित लॉकडाउन का राज्य सरकारों और आमजन ने पूरी इच्छाशक्ति और संकल्प के साथ पालन किया है. अब अगले चरण में विभिन्न जोन के निर्धारण और प्रतिबंधों को लागू करने का अधिकार राज्यों को मिलना चाहिए. केन्द्र सरकार के मानक दिशा-निर्देशों के अनुरूप रहते हुए राज्यों को यह अधिकार मिले जिससे कि वे स्थानीय स्तर पर यह तय कर सकें कि किन गतिविधियों के लिए उन्हें छूट देनी है और किन को प्रतिबंधित रखना है.

गहलोत ने कहा कि संकट की इस घड़ी में किसानों को संबल देना हम सबकी प्राथमिकता होनी चाहिए. उन्होंने कहा कि किसानों को उनकी उपज का सही मूल्य मिले इसके लिए जरूरी है कि न्यूनतम समर्थन मूल्य पर गेहूं, चने और सरसों की खरीद की सीमा को कृषि उत्पादन के 25 प्रतिशत से बढ़ाकर 50 प्रतिशत तक किया जाए.

अजमेर भी पहुंचा टिड्डी दल

मुख्यमंत्री ने प्रधानमंत्री को प्रदेश में टिड्डी के प्रकोप की जानकारी दी और इसके नियंत्रण में सहयोग का आग्रह किया. उन्होंने कहा कि बीते साल टिड्डियों के हमले के कारण प्रदेश के 12 जिलों में फसलों और वनस्पति को बुरी तरह नुकसान पहुंचा था. इस साल 11 अप्रैल से ही प्रदेश में टिड्डियों के हमले शुरू हो गए हैं और अजमेर तक भी टिडडी दल पहुंच गए हैं. गहलोत ने प्रधानमंत्री का ध्यान विश्व खाद्य संगठन की उस चेतावनी की ओर भी दिलाया जिसमें बताया गया है कि अफ्रीका, ईरान, भूमध्यसागर के देशों में बड़ी संख्या में टिड्डियों का प्रजनन हो रहा है. इससे राजस्थान और गुजरात के बुरी तरह प्रभावित होने की आशंका है.

मुख्यमंत्री ने कहा कि कोरोना महामारी का बड़ा प्रतिकूल प्रभाव उद्योग और व्यापार जगत पर पड़ा है. डेढ़ महीने से अधिक समय से औद्योगिक गतिविधियां ठप हैं. ऐसे में उन्हें उबारने के लिए केन्द्र एक व्यापक आर्थिक प्रोत्साहन पैकेज उपलब्ध कराए, जैसा वर्ष 2008 में पूर्व प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह के समय दिया गया था.

गहलोत ने प्रधानमंत्री से कहा कि राज्यों को मिलने वाली शुद्ध ऋण सीमा को जीडीपी के 3 प्रतिशत से बढाकर 5 प्रतिशत बिना शर्तों के की जाए. उन्होंने कहा कि इस मुश्किल समय में राज्य सरकार जरूरतमंद, निराश्रित और बेसहारा लोगों को संबल देने के लिए तमाम जरूरी कदम उठा रही हैं. ऐसे में उन्हें वित्तीय संसाधनों की कमी नहीं रहे इसके लिए यह अनुमत किया जाए. उन्होंने एफआरबीएम एक्ट के तहत राजकोषीय घाटे की सीमा 6 माह तक जीडीपी के 3 प्रतिशत से बढाकर 5 प्रतिशत तक करने का सुझाव दिया.

मुख्यमंत्री ने कहा कि कोरोना के कारण हर राज्य की स्थानीय परिस्थितियों और आर्थिक स्थिति को देखते हुये जीएसटी के तहत राज्यों को वर्ष 2022 तक दी जाने वाली क्षतिपूर्ति की अवधि को 5 वर्ष और बढ़ाया जाए.

केन्द्र सरकार इस सकंट में अर्थव्यवस्था को उबारने के लिए राजकोषीय व्यय को दे बढ़ावा

गहलोत ने कहा कि भारत सरकार को केन्द्र प्रवर्तित योजनाओं के तहत केन्द्रांष की राषि की प्रथम किस्त शीघ्र बिना किसी शर्त के जारी करनी चाहिए और राषि जारी करने की प्रक्रिया को कठिन बनाया गया है, जो अनुचित है. उन्होंने कहा कि केन्द्र प्रवर्तित योजनाओं पर राज्यों में आवश्यकता आधारित आवंटन की नई नीति उपयुक्त नहीं है. इससे राज्य इन योजनाओं का संचालन ठीक से नहीं कर पाएंगे. श्री गहलोत ने कहा कि केन्द्र सरकार इस चुनौतीपूर्ण समय में अर्थव्यस्था को उबारने के लिए राजकोषीय व्यय को बढ़ावा दे.

मुख्यमंत्री ने कहा कि राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा योजना में लाभार्थियों के चयन का आधार वर्ष 2011 की जनगणना है. वर्तमान विशेष परिस्थितियों को देखते हुए लाभार्थियों की संख्या को 2019-20 की अनुमानित जनसंख्या के आधार पर तुरन्त बढ़ाया जाए. श्री गहलोत ने कहा कि राज्य सरकार ने मई महीने में एफसीआई से 21 रूपए प्रति किलो की बाजार दर से गेहूं खरीदकर करीब 54 लाख ऐसे लोगों को वितरित किया है जिन्हें एनएफएसए का लाभ नहीं मिल पा रहा था. इन लोगों को प्रति व्यक्ति 10 किलो खाद्यान्न उपलब्ध कराने के लिए राज्य सरकार ने करीब 78 करोड़ रूपए खर्च किए हैं. उन्होंने प्रधानमंत्री से कहा कि लॉकडाउन के कारण विषम वित्तीय हालात को देखते हुए राज्य सरकार हर महीने यह खाद्यान्न उपलब्ध नहीं करा पाएगी. उन्होंने इन वंचित लोगों को खाद्य सुरक्षा का लाभ मिले इसके लिए केन्द्र सरकार से सहायता का अनुरोध किया.

राजस्थान में रोज हो रहे 12 हजार कोरोना के टेस्ट

गहलोत ने कहा कि हमारी सरकार कोरोना संक्रमण की स्थिति को प्रदेश में स्वास्थ्य ढांचे को मजबूत करने की चुनौती के रूप में ले रही है. पहले हमें जांच के लिए दिल्ली और पूना सैम्पल भेजने पड़ते थे. अब राजस्थान ने करीब 12 हजार टेस्ट प्रतिदिन की क्षमता हासिल कर ली है. इस महीने के अंत तक हम प्रतिदिन 25 हजार जांच करने की स्थिति में होंगे. उन्होंने बताया कि प्रदेश में कोरोना संक्रमितों की मृत्यु दर राष्ट्रीय औसत से कम है. साथ ही डबलिंग रेट जहां राष्ट्रीय स्तर पर 12 दिन है. वहीं राजस्थान में यह 18 दिन है. हमारे राज्य में कोरोना संक्रमितों की रिकवरी दर राष्ट्रीय औसत 30 प्रतिशत के मुकाबले 57 प्रतिशत है. उन्होंने कहा कि गैर कोविड रोगियों के लिए गांव-गांव में 428 आउटडोर मोबाइल वैन संचालित करने के साथ ही मातृ एवं शिशु कल्याण सेवाओं, टीकाकरण आदि में कोई बाधा नहीं आने दी है.

ABOUT THE AUTHOR

...view details