जयपुर. 17 मई को खत्म होने वाले लॉकडाउन के बाद कि रणनीति को लेकर प्रधानमंत्री नरेंद मोदी ने सभी राज्यों के मुख्यमंत्रियों के साथ चर्चा की. इस दौरान मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी से मनरेगा की तर्ज पर ही शहरी क्षेत्रों के लिए भी रोजगार की गारंटी देने वाली योजना शुरू करने का आग्रह किया है.
सीएम अशोक गहलोत ने कहा कि लॉकडाउन के कारण दिहाड़ी पर गुजर-बसर करने वाले, गरीब, मजदूर और जरूरतमंद तबके की आजीविका बुरी तरह प्रभावित हुई है. उन्हें रोजगार मिलता रहे, इसके लिए जरूरी है केन्द्र मनरेगा की भांति ही शहरी क्षेत्र के लिए भी ऐसी योजना लाने पर विचार करें. सीएम गहलोत सोमवार को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के साथ मुख्यमंत्रियों की वीडियो कॉन्फ्रेंस में कोरोना से बचाव, लॉकडाउन और इस संकट से मुकाबला करने के लिए सुझावों के साथ-साथ राज्य सरकार की ओर से उठाए गए कदमों की जानकारी दे रहे थे.
उन्होंने ग्रामीण क्षेत्रों में मनरेगा के तहत मजदूरों के लिए न्यूनतम 200 दिवस रोजगार उपलब्ध कराने का भी आग्रह किया. मुख्यमंत्री ने कहा कि अब केन्द्र और राज्य सरकारों को दोहरे मोर्चे पर लड़ाई लड़नी है. एक तरफ कोरोना से जीवन बचाने की जंग तो दूसरी तरफ आजीविका बचाने और आर्थिक हालात पटरी पर लाने की लड़ाई. उन्होंने कहा कि लॉकडाउन के कारण केन्द्र और राज्यों के राजस्व संग्रहण पर विपरीत असर पड़ा है. केन्द्र की मदद के बिना यह असंभव है कि राज्य इस संकट का मुकाबला कर सकें. इसके लिए जरूरी है कि केन्द्र जल्द से जल्द व्यापक आर्थिक प्रोत्साहन पैकेज उपलब्ध कराए. एमएसएमई, मैन्युफैक्चरिंग, सर्विस, टूरिज्म, रियल एस्टेट सहित तमाम सेक्टर्स को संबल की जरूरत है. इकोनॉमिक रिवाइवल के लिए जरूरी है कि ऐसे उपाय हों जिससे लोगों की क्रय शक्ति बढे़, उन्हें रोजगार मिले और उद्योगों को भी राहत मिले.
महामारी के समय में बेरोजगारी दर हुई 37.8
गहलोत ने कहा कि केन्द्र और राज्य सरकारों के लिए इस समय सबसे बड़ी प्राथमिकता जरूरतमंद वर्ग की मदद करना है. हमें ऐसी योजनाओं पर काम करना होगा जिससे बड़ी संख्या में लोगों को सामाजिक सुरक्षा मिले. उन्होंने कहा कि इस समय बेरोजगारी की दर 37.8 प्रतिशत हो गई है जो सर्वाधिक है. गहलोत ने कहा कि केन्द्र की ओर से घोषित लॉकडाउन का राज्य सरकारों और आमजन ने पूरी इच्छाशक्ति और संकल्प के साथ पालन किया है. अब अगले चरण में विभिन्न जोन के निर्धारण और प्रतिबंधों को लागू करने का अधिकार राज्यों को मिलना चाहिए. केन्द्र सरकार के मानक दिशा-निर्देशों के अनुरूप रहते हुए राज्यों को यह अधिकार मिले जिससे कि वे स्थानीय स्तर पर यह तय कर सकें कि किन गतिविधियों के लिए उन्हें छूट देनी है और किन को प्रतिबंधित रखना है.
गहलोत ने कहा कि संकट की इस घड़ी में किसानों को संबल देना हम सबकी प्राथमिकता होनी चाहिए. उन्होंने कहा कि किसानों को उनकी उपज का सही मूल्य मिले इसके लिए जरूरी है कि न्यूनतम समर्थन मूल्य पर गेहूं, चने और सरसों की खरीद की सीमा को कृषि उत्पादन के 25 प्रतिशत से बढ़ाकर 50 प्रतिशत तक किया जाए.
अजमेर भी पहुंचा टिड्डी दल
मुख्यमंत्री ने प्रधानमंत्री को प्रदेश में टिड्डी के प्रकोप की जानकारी दी और इसके नियंत्रण में सहयोग का आग्रह किया. उन्होंने कहा कि बीते साल टिड्डियों के हमले के कारण प्रदेश के 12 जिलों में फसलों और वनस्पति को बुरी तरह नुकसान पहुंचा था. इस साल 11 अप्रैल से ही प्रदेश में टिड्डियों के हमले शुरू हो गए हैं और अजमेर तक भी टिडडी दल पहुंच गए हैं. गहलोत ने प्रधानमंत्री का ध्यान विश्व खाद्य संगठन की उस चेतावनी की ओर भी दिलाया जिसमें बताया गया है कि अफ्रीका, ईरान, भूमध्यसागर के देशों में बड़ी संख्या में टिड्डियों का प्रजनन हो रहा है. इससे राजस्थान और गुजरात के बुरी तरह प्रभावित होने की आशंका है.