जयपुर. राजस्थान सरकार के महत्वाकांक्षी अभियान प्रशासन शहरों के संग अभियान के बीच इको सेंसेटिव जोन में बसे लोगों को पट्टे देने का रास्ता साफ हो गया है. यहां सालों से बसे आशियाना को पट्टे दिए जा सकेंगे. हालांकि क्षेत्र में नए स्थाई निर्माण पर अभी भी रोक रहेगी. जबकि खाली भूखंड का पट्टा लेने से पहले भूखंड मालिक को एक शपथ पत्र देना होगा कि वो यहां कोई नया निर्माण नहीं करेगा. इस संबंध में जेडीए और निगम प्रशासन को जल्द मार्गदर्शन भी दे दिया जाएगा. ताकि अभियान के तहत पट्टे देने की गति बढ़े.
देशभर के सेंचुरीज के इको सेंसिटिव जोन को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने आदेश जारी किया था. इस आदेश में सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि किसी भी नेशनल पार्क या सेंचुरी का इको सेंसिटिव जोन कम से कम एक किलोमीटर की परिधि में होने चाहिए. जयपुर के जेडीए और हेरिटेज निगम क्षेत्र में आने वाले नाहरगढ़ सेंचुरी का इको सेंसिटिव जोन सेंचुरी की बाउंड्री से जीरो से तेरह किलोमीटर तक है. ऐसे में नाहरगढ़ सेंचुरी के इको सेंसिटिव जोन को लेकर वन विभाग से मार्गदर्शन मांगा गया था. इस पर वन विभाग ने इको सेंसिटिव जोन का निर्धारण करने के लिए 8 मार्च 2019 को जारी अधिसूचना के हवाले से स्थिति स्पष्ट की है.
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सेंचुरी के एक किमी ने किया जा सकता निर्माण: वन विभाग के अनुसार जोन में आवासीय भू रूपांतरण जिला कलेक्टर की अध्यक्षता में गठित मॉनिटरिंग कमेटी की सिफारिश पर किया जा सकता है. सेंचुरी से एक किलोमीटर की दूरी तक या इको सेंसिटिव जोन की सीमा तक उस दायरे में नया निर्माण नहीं किया जा सकता है. लेकिन स्थानीय लोग आवासीय आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए आवासीय निर्माण कर सकते हैं. इको सेंसिटिव जोन के इलाकों में बसे लोगों को पट्टे देने के संबंध में वन विभाग ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट के आदेश के अनुसार इको सेंसिटिव जोन में कोई भी नया स्थाई निर्माण नहीं किया जाना चाहिए, लेकिन पहले से ही निर्मित भवन के लिए पट्टे देने पर कोई प्रतिबंध स्पष्ट रूप से अंकित नहीं किया हुआ है ऐसे में वन विभाग से मिले मार्गदर्शन के बाद अब जल्द इको सेंसेटिव एरिया में पट्टे देने को लेकर यूडीएच और एलएसजी विभाग जेडीए और निगम प्रशासन को मार्गदर्शन प्रदान करेगा.