जयपुर. विधानसभा कार्यवाही के दौरान बुधवार को शून्यकाल में आरएलपी विधायक नारायण बेनीवाल ने स्थगन प्रस्ताव के जरिए ओबीसी आरक्षण में कटौती और विसंगति का मामला उठाते हुए ओबीसी वर्ग से जुड़े युवाओं की मांग सदन में रखी. उन्होंने कहा कि 17 अप्रैल 2018 को ओबीसी आरक्षण को लेकर राजस्थान में जो परिपत्र सरकार लेकर आई थी उसके बाद होरिजेंटल आरक्षण में कई प्रकार की विसंगति आई और ओबीसी वर्ग के युवाओं के सपने भी चकनाचूर हो गए.
बेनीवाल ने कहा कि चाहे पुलिस कांस्टेबल भर्ती हो, सब इंस्पेक्टर भर्ती हो या पटवारी और कृषि पर्यवेक्षक सहित अन्य भर्ती, उसमें अंतिम रूप से चयनित हुए (Narayan Beniwal Demands in Rajasthan Assembly) ओबीसी वर्ग के युवाओं की संख्या बेहद कम है, जो आरक्षण में विसंगति के कारण है. बेनीवाल ने कहा कि यह मामला बहुत बड़ा है और सदन में इस पर बहस होनी चाहिए. वहीं, कांग्रेस विधायक दिव्या मदेरणा ने 17 अप्रैल 2008 को जारी हुए इस पत्र को रद्द करने की मांग सदन में की.
बहरोड़ से निर्दलीय विधायक बलजीत यादव ने स्थगन प्रस्ताव के जरिए ही ओबीसी आरक्षण में विसंगति के कारण युवा वर्ग के साथ हो रहे अन्याय के मामले में अपनी बात रखी. उन्होंने कहा कि साल 2019 से लेकर अब तक एक लाख भर्तियां हुईं, जिसमें ओबीसी का सिलेक्शन जीरो रहा. बलजीत यादव ने यह भी कहा कि आज कंप्यूटर शिक्षक का पेपर आईएएस की परीक्षा जैसा आ रहा है तो वहीं कांस्टेबल का पेपर आईपीएस परीक्षा के जैसे दिया जा रहा है. ऐसे में गरीब किसान का बेटा आखिर कैसे पास हो पाएगा और उसे कैसे नौकरी मिल पाएगी.