जयपुर.कोरोना जैसी विश्वव्यापी महामारी से निपटने के लिए प्रदेश के कोरोना वॉरियर्स पूरी मुस्तैदी के साथ मुकाबला कर रहे हैं. इस दौरान नर्सिंग कर्मचारी जान की परवाह किए बगैर अपना काम पूरा कर रहे हैं. इन नर्सेज कर्मचारियों की बदौलत आज हम प्रदेश में कोरोना वायरस के संक्रमण पर काबू पाने में काफी हद तक कामयाब भी हुए हैं.
नर्सिंग स्टाफ ने गहलोत सरकार से की मांग कोरोना वॉरियर्स का कहना है कि जब वे हर संकट के मोर्चे पर मजबूती से खड़े हैं तो फिर सरकार उनके सम्मान को लेकर गंभीर क्यों नही है. कोरोना के इस संकट में सरकार ने नर्सेज को अलग से प्रोत्साहन राशि के रूप में 2500 रुपए दिए हैं. लेकिन उन्हें लगता है कि सरकार उनकी इस सेवा भाव को पैसे से तोल उनका अपमान कर रही है.
पढ़ें-राज्यों की सहमति से प्रवासी और श्रमिक जा सकेंगे घर, प्रशासन पुख्ता व्यवस्था करे: CM गहलोत
राजस्थान नर्सेज एसोसिएशन महिला विंग की प्रदेश अध्यक्ष विनीता शेखावत का कहना है, कि कोरोना के इस लड़ाई में प्रदेश के 30 हजार से अधिक नर्सेज कोरोना जैसी महामारी में सरकार के साथ कंधे से कंधा मिला कर काम कर रही है. उनका कहना है कि ग्राउंड जीरो पर काम करने के लिए नर्सेज ही मैदान में हैं, फिर चाहे रोगियों की जांच हो या फिर उनका उपचार.
सरकार नर्सिंग स्टाफ की मांगों पर नहीं देती है ध्यान
शेखावत ने कहा कि प्रदेश के नर्सिंग कर्मचारी पूरी तत्परता के साथ काम कर रहे हैं. उनका कहना है कि सरकार ने आज तक जब भी नर्सेज को कोई जिम्मेदारी दी, तब-तब नर्सिंग स्टाफ ने उसे पूरी लगन के साथ पूरा किया. विनीता शेखावत का कहना है कि लेकिन अफसोस तब होता है जब सरकार उसी नर्सिंग स्टाफ की मांगों पर कोई ध्यान नहीं देती.
सरकार पदनाम का तोहफा दें...
विनीता शेखावत का कहना है, कि इस कोरोना महामारी के वक्त सरकार ने सभी नर्सेज कमर्चारियों को प्रोत्साहन राशि के रूप में 2500 रुपए दिए हैं. लेकिन इन कर्मचारियों को सरकार के इस राशि की जरूरत नहीं है. उन्होंने बताया कि नर्सिंग कर्मचारी चाहते हैं कि 12 मई को अंतरराष्ट्रीय नर्स दिवस पर सरकार पदनाम का तोहफा दें.
इस मांग पर नहीं आएगा वित्तीय भार
राजस्थान नर्सेज एसोसिएशन महिला विंग की प्रदेश अध्यक्ष का कहना है कि नर्सिंग कर्मचारियों की ये ऐसी मांग है जिसमें सरकार के ऊपर किसी तरह का वित्तीय भार नहीं आएगा. वर्तमान में राजस्थान में नर्सिंग ग्रेड फर्स्ट और नर्स ग्रेड सेकेंड के नाम से पुकारा जाता है, जो नर्सिंग कमर्चारियों को अपमानित करने वाला लगता है. जबकि केंद्र में नर्सिंग ऑफिसर और सीनियर नर्सिंग ऑफिसर के पद नाम से पुकारा जाता है.
विनीता शेखावत का कहना है कि नर्सिंग कर्मचारी लंबे समय से पदनाम बदलने की मांग करते आ रहे हैं. उन्होंने बताया कि पूर्ववती सरकार के वक्त तो इसको लेकर वार्ता का दौर भी चला था. विनीता का कहना है कि प्रदेश की गहलोत सरकार कमर्चारियों की हितैसी रही है. उन्हें पूरी उम्मीद है कि इस बार 12 मई को अंतरराष्ट्रीय नर्स दिवस पर सरकार नर्सिंग कर्मचारियों को पदनाम का तोहफा देगी.