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SPECIAL : अधूरा स्मार्ट बन रहा जयपुर...स्मार्ट सिटी में राहगीरों के लिए प्रोजेक्ट ही नहीं - Non Motorized Vehicle Jaipur

लॉ कमीशन ऑफ इंडिया शहरों के सुनियोजित और स्मार्ट डवलपमेंट में राहगीरों के लिए सुगम राह और सड़क पर नॉन मोटराइज्ड वाहनों की संख्या बढ़ाने की जरूरत जता चुका है. सड़क पर ईंधन युक्त वाहनों का दबाव इतना बढ़ गया है कि राहगीरों के लिए जगह सिकुड़ती जा रही है. जयपुर के स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट के तहत पेडेस्ट्रियन, क्रॉसिंग फुटपाथ जैसे प्रोजेक्ट्स शामिल ही नहीं है.

Jaipur Smart City Transport System
अधूरा स्मार्ट बन रहा जयपुर

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Published : Apr 11, 2021, 7:45 PM IST

Updated : Apr 11, 2021, 10:01 PM IST

जयपुर.राजधानी को स्मार्ट सुविधाओं से सुसज्जित बनाने की दिखावटी योजनाओं के बीच राहगीरों और नॉन मोटराइज्ड व्हीकल्स को बिसरा दिया गया है. जयपुर में पैदल चलना कितना चुनौतीपूर्ण है. देखिये ये रिपोर्ट

जयपुर में राहगीरों के लिए कब आएगा प्रोजेक्ट

शहर की सड़कों का ट्रैफिक पैदल चलने वाले लोगों के लिए भी किसी चुनौती से कम नहीं. पैदल चलने वाले लोग आए दिन सड़क पार करते हुए दुर्घटना का शिकार होते हैं. इसी को ध्यान में रखते हुए तीन दशक पहले अजमेरी गेट पर पैदल रोड क्रॉस करने वालों के लिए अंडर पास बनाया गया था. लेकिन फिलहाल इस पर ताला जड़ा हुआ है. यहां से गुजरने वाले लोगों को सुविधा होने के बावजूद भी जान हथेली पर लेकर रोड क्रॉस करनी पड़ती है.

रोड क्रॉस करने वालों को परेशानी

उधर, नारायण सिंह सर्किल, टोंक पुलिया पब्लिक ट्रांसपोर्ट स्टेशन होने के चलते यहां लाखों लोगों की आवाजाही रहती है. इसी को ध्यान में रखते हुए यहां फुट ओवर ब्रिज बनाए गए. जिसका लोगों को काफी फायदा भी मिला. हालांकि मेंटेनेंस के अभाव में फिलहाल यहां एस्केलेटर बंद पड़े हैं. वहीं स्मार्ट सिटी में शामिल जयपुर शहर में नए फुटपाथ, पैदल यात्रियों के लिए क्रॉसिंग जैसी सुविधा वाले प्रोजेक्ट आ नहीं रहे.

कई स्थानों पर अंडर पास की जरूरत

जयपुर में सड़क पर किसका कितना हिस्सा

  • दोपहिया का हिस्सा 31.70%
  • कार और टैक्सी का हिस्सा 18.71%
  • बस और मिनी बस का हिस्सा 18.49%
  • राहगीरों का हिस्सा 16.06%
  • ऑटो रिक्शा का हिस्सा 8.61%
  • साइकिल सवारी का हिस्सा 6.01%
  • मेट्रो का हिस्सा 0.42%
    अजमेर पर अंडर पास, लेकिन गेट पर ताला

हालांकि राष्ट्रीय शहरी परिवहन नीति में स्पष्ट है कि सड़क पर चलने का पहला अधिकार राहगीर का है. इसके बाद नॉन मोटराइज्ड वाहन, फिर सार्वजनिक परिवहन और अंत में ईंधन युक्त वाहनों का नंबर आता है. लेकिन हकीकत यह है कि सड़कों पर सालाना 12 फीसदी की दर से ईंधन युक्त वाहनों का दबाव बढ़ने से स्मार्ट सिटी की परेशानी बढ़ रही है.

नारायण सिंह सर्किल पर एस्केलेटर खराब है

स्मार्ट सिटी के 2401 करोड़ रुपए के प्रोजेक्ट में इन कार्यों की प्रस्तावित लागत महज 45 करोड रुपए है. शायद यही वजह है की ये प्रोजेक्ट अधिकारियों की प्राथमिकता सूची से गायब है. खैर, राजधानी के कुछ प्रमुख चौराहों और स्टेशन पर फुटओवर ब्रिज और अंडर पास की मांग उठने लगी है. जरूरत है वर्तमान में संचालित पेडेस्ट्रियन क्रॉसिंग के प्रोजेक्ट को दुरुस्त करते हुए नए प्रोजेक्ट ले जाएं ताकि राहगीरों की राह सुगम हो.

Last Updated : Apr 11, 2021, 10:01 PM IST

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