जयपुर. राजधानी की सड़कों पर अक्सर तेज रफ्तार के चलते सड़क दुर्घटनाएं घटित होती हैं और जब तक पुलिसकर्मी ट्रैफिक प्वाइंट पर खड़े हैं तब तक उन्हें देख चालक वाहन निर्धारित गति सीमा में ही चलाते हैं. लेकिन पुलिसकर्मियों को नदारद देख वाहन चालक गति सीमा की लिमिट को लांघने से बिल्कुल भी बाज नहीं आते हैं. अब तक पुलिस ओवरस्पीडिंग करने वाले चालकों के खिलाफ इंटरसेप्टर और फिर हैंड स्पीड गन के माध्यम से कार्रवाई करती आई है.
हालांकि इंटरसेप्टर वाहन और हैंड स्पीड गन लेकर खड़े पुलिसकर्मी को कई मीटर दूर से ही देखने के बाद वाहन चालक अपने आप वाहनों की गति को धीरे कर देते हैं. जैसे ही वाहन चालक इंटरसेप्टर और हैंड स्पीड गन को क्रॉस कर जाते हैं, उसके बाद वह फिर से अपने वाहनों की स्पीड को बढ़ा लेते हैं. अब ऐसे वाहन चालकों के खिलाफ कार्रवाई करने के लिए जयपुर ट्रैफिक पुलिस को एक नया रामबाण मिला है.
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राजधानी में ओवर स्पीडिंग के चलते होने वाली सड़क दुर्घटनाओं पर अंकुश लगाने के लिए पुलिस मुख्यालय की ओर से जयपुर ट्रैफिक पुलिस को अत्याधुनिक टेक्नोलॉजी से युक्त 6 'नाइट हॉक' डिवाइस दी गई है (Night Hawk Device of Jaipur Police). इस डिवाइस को बड़ी आसानी से बाइक पर फिट किया जा सकता है और केवल एक पुलिसकर्मी इस पूरी डिवाइस को ऑपरेट करते हुए ओवर स्पीडिंग करने वाले वाहन चालकों के खिलाफ कार्रवाई कर सकते हैं.
डिजिटली काम करती है नाइट हॉक: डीसीपी ट्रैफिक श्वेता धनखड़ ने बताया कि नाइट हॉक अब तक की सबसे बेहतर डिजिटली काम करने वाली डिवाइस है. अब तक ट्रैफिक पुलिस जितनी भी डिवाइस ओवर स्पीडिंग के खिलाफ कार्रवाई करने के लिए प्रयोग में लेती आई है. वह तमाम डिवाइस एनालॉग काम करती थी. साथ ही रात के समय में ओवर स्पीडिंग के खिलाफ कार्रवाई करना संभव नहीं था. लेकिन नाइट हॉक के आने के बाद अब रात में भी ओवर स्पीडिंग करने वाले वाहनों को बड़ी आसानी से आईडेंटिफाई कर उनके खिलाफ कार्रवाई की जा रही है. नाइट हॉक डिवाइस 15 मीटर की दूरी से ही ओवर स्पीडिंग कर रहे वाहन को आईडेंटिफाई कर उसकी फोटो और वीडियो कैप्चर कर लेती है. जो डिवाइस ऑपरेट करने वाले पुलिसकर्मी को डिवाइस से कनेक्टेड मोबाइल पर दिखाई देती है. जयपुर शहर में मौजूद 35 ब्लैक स्पॉट जहां पर सर्वाधिक सड़क हादसे घटित होते हैं, वहां पर रोटेशन में नाइट हॉक डिवाइस के जरिए ओवरस्पीडिंग करने वाले वाहन चालकों के खिलाफ कार्रवाई की जा रही है.
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ऑटो मोड पर काम करती है नाइट हॉक डिवाइस: नाइट हॉक डिवाइस की सबसे बड़ी खासियत यह है कि इसे ऑटो मोड पर भी स्विच किया जा सकता है और ऐसे में यह अपने आप ओवर स्पीडिंग करने वाले वाहनों को कैप्चर करती है. जब यह डिवाइस ऑटो मोड पर काम करती है तो उस दौरान पुलिसकर्मी को इसे ऑपरेट करने और इस पर नजर रखने की जरूरत नहीं होती है. ट्रैफिक एएसआई रामनिवास ने बताया कि डिवाइस को ऑपरेट करने वाला पुलिसकर्मी ट्रैफिक पॉइंट से 1 किलोमीटर की दूरी पर बाइक पर इस डिवाइस को सेट करके ओवर स्पीडिंग करने वाले वाहनों को कैप्चर करता है. उसके बाद वह ओवरस्पीडिंग करने वाले वाहन की जानकारी वायरलेस के जरिए ट्रैफिक पॉइंट पर तैनात पुलिस कर्मियों को देता है. जिस पर ट्रैफिक पॉइंट पर उक्त वाहन को रोककर उसे वीडियो दिखाकर ओवर स्पीडिंग का चालान किया जाता है और 1 हजार रुपए की जुर्माना राशि वसूली जाती है. नाइट हॉक डिवाइस को पुलिसकर्मी बाइक पर फिट करने के बाद शहर के किसी भी मुख्य मार्ग की साइड लेन में इसे लेकर खड़ा हो जाता है और मुख्य मार्ग से गुजरने वाले तमाम वाहनों पर नजर रखता है.
नाइट हॉक डिवाइस को ऑपरेट करना बेहद आसान: नाइट हॉक डिवाइस को ऑपरेट करने वाले पुलिसकर्मी प्रेम चंद ने बताया कि इस डिवाइस को ऑपरेट करना बेहद आसान है. इसे साइड लेन, फुटपाथ और किसी भी चौराहे के किनारे खड़े होकर बड़ी आसानी से ऑपरेट किया जा सकता है. यह डिवाइस बेहद छोटी है जिसके चलते वाहन चालकों की नजर इस पर नहीं पड़ती है. लेकिन यह डिवाइस सड़क पर से गुजरने वाले हर वाहन पर अपनी पैनी नजर रखी है. रात के वक्त भी नाइट हॉक डिवाइस बेहद कारगर सिद्ध हो रही है. जो ओवर स्पीडिंग करने वाले वाहनों की स्पीड कैप्चर करने के साथ ही उनके नंबर प्लेट को भी एकदम साफ कैप्चर कर रही है. राजधानी में प्रतिदिन एक नाइट हॉक डिवाइस से ओवर स्पीडिंग करने वाले 200 वाहन चालकों के खिलाफ कार्रवाई की जा रही है.