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दर्द किया बयांः रेस्टोरेंट और ढाबा संचालकों के लिए नाइट कर्फ्यू लॉकडाउन के बराबर - Night curfew in Jaipur

कोरोना के बढ़ते संक्रमण के मद्देनजर राज्य सरकार ने राजधानी में नाइट कर्फ्यू और धारा 144 लागू कर रखी है, जिसका सबसे ज्यादा असर रेस्टोरेंट और ढाबों पर पड़ रहा है. उनके लिए ये नाइट कर्फ्यू फुल लॉकडाउन साबित हो रहा है.

Effect of night curfew on restaurants,  Lockdown effect
रेस्टोरेंट पर नाइट कर्फ्यू का असर

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Published : Dec 6, 2020, 11:07 PM IST

जयपुर.गुलाबी नगर की वो रात अब नजर नहीं आती, जब बेतहाशा वाहनों के बीच सड़कें जाम से अटी रहती थी. ढाबों और रेस्टोरेंट में शामें सजा करती थी. कोरोना के बढ़ते संक्रमण के मद्देनजर राज्य सरकार ने राजधानी में नाइट कर्फ्यू और धारा 144 लागू कर रखी है, जिसका सबसे ज्यादा असर रेस्टोरेंट और ढाबों पर पड़ रहा है. उनके लिए ये नाइट कर्फ्यू फुल लॉकडाउन साबित हो रहा है.

रेस्टोरेंट पर नाइट कर्फ्यू का असर

अपने परिवार के लिए चार पैसे कमाने पुष्कर सिंह भरतपुर से जयपुर आया और यहां एक रेस्टोरेंट में काम करने लगा, लेकिन कोरोना और लॉकडाउन की ऐसी मार पड़ी कि उसे हताश घर लौटना पड़ा. लॉकडाउन खुला तो सांस में सांस आई और दोबारा जयपुर आया, लेकिन जिस रेस्टोरेंट में वो नौकरी करता था वहां स्टाफ आधे से भी कम कर दिया गया. जैसे-तैसे नौकरी मिली तो राज्य सरकार ने बढ़ते कोरोना संक्रमण को देखते हुए शहर में नाइट कर्फ्यू लगा दिया. फिर क्या था पुष्कर सिंह को दोबारा नौकरी से निकाल दिया गया और अब वो पूरी तरह बेरोजगार हो चुका है.

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पुष्कर सिंह जैसे सैकड़ों लोग हैं, जो शहर के रेस्टोरेंट और ढाबों में काम करते थे लेकिन नाइट कर्फ्यू लगने की वजह से जिन रेस्टोरेंट और ढाबों में शाम ढलने के साथ शहर वासियों का जमावड़ा लगता था, वो अब सूने पड़े रहते हैं. आलम ये है कि रेस्टोरेंट और ढाबा संचालकों को मौजूदा स्टाफ को अपनी जेब से सैलरी देनी पड़ रही है. ऊपर से लाइट और मेंटेनेंस का खर्चा अलग.

रेस्टोरेंट मैनेजरों की मानें तो पहले ही स्टाफ को आधे से कम कर दिया गया है, लेकिन उनकी सैलरी निकल जाए इतनी भी आमदनी नहीं हो पा रही. ये नाइट कर्फ्यू उनके लिए पूर्ण लॉकडाउन के समान ही है. इन रेस्टोरेंट और ढाबों में काम करने वाले वेटर और सफाई कर्मचारियों की मानें तो दिन भर में इक्का-दुक्का ग्राहक ही यहां पहुंचते हैं. ऐसे में यहां ना तो अब सफाई का काम बचा है और ना सर्विंग का. रेस्टोरेंट की हालत देख संचालकों से किस मुंह से सैलरी मांगे ये भी सोचना पड़ता है.

राजधानी में 600 से ज्यादा रूफटॉप और दूसरे रेस्टोरेंट संचालित है, लेकिन इन सभी में औसतन 10 ग्राहक भी नहीं पहुंच रहे. कुछ रेस्टोरेंट जो लाखों के किराए पर संचालित हैं, उनके संचालक तो सिर पकड़े बैठे हैं. लॉकडाउन की मार झेल चुके ये रेस्टोरेंट कहीं ना कहीं अब नाइट कर्फ्यू से बेहाल हैं और बड़ी संख्या में इन रेस्टोरेंट और ढाबों से जुड़े कर्मचारी बेरोजगारी की चादर ओढ़े जा रहे हैं.

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