जयपुर. कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष सचिन पायलट की चिट्ठी के बाद प्रदेश की गहलोत सरकार एमबीसी में 5 आरक्षण की पालना को लेकर हरकत पर आ गई है. कार्मिक विभाग की ओर से सोमवार देर रात को नया सर्कुलर जारी किया गया. जिसमें सभी विभागों में 5 फीसदी आरक्षण की पालना सुनिश्चित करने के निर्देश दिए गए हैं.
सरकारी भर्तियों में एमबीसी आरक्षण (Most Backward Class) की पालना सुनिश्चित करने के लिए कार्मिक विभाग की ओर से नया सर्कुलर जारी किया गया है. सर्कुलर में कहा गया है कि कई विभागों की ओर से एमबीसी आरक्षण की पालना नहीं हो रही है, जो उचित नहीं है. राज्य सरकार की ओर से 5 फीसदी आरक्षण का प्रावधान किया गया है. इसकी पालना हर हाल में करनी होगी.
कार्मिक विभाग की ओर से जारी आदेश की प्रति सभी प्रमुख सचिव की ओर से सरकार के अतिरिक्त मुख्य सचिव, प्रमुख सचिव, संभागीय आयुक्त और जिला कलेक्टर को भेजी गई है. साथ ही सचिव राजस्थान लोक सेवा आयोग, सचिव राजस्थान अधीनस्थ एवं मंत्रालयिक सेवा चयन बोर्ड को भी भेजी गई है.
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बता दें कि पिछले दिनों पूर्व उप मुख्यमंत्री और पूर्व कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष सचिन पायलट ने मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को एमबीसी को 5 फीसदी आरक्षण की पालना नहीं होने को लेकर एक पत्र भेजा था. जिसमें पुराने वादे को याद दिलाया था. वहीं सरकार से बाहर होने के बाद सचिन पायलट की ओर से यह पहला पत्र भेजा गया था. अब राज्य सरकार की ओर से पुराने आदेश को सख्ती से लागू करने के लिए जारी कर दिए गए हैं.
पायलट ने अपने पत्र में लिखा है कि कांग्रेस पार्टी के विधानसभा चुनाव के 2018 के घोषणा पत्र में इसे शामिल किया गया था. इसके साथ ही साल 2011 में कांग्रेस सरकार के समय ही यह समझौता हुआ था कि 4 प्रतिशत अतिरिक्त पद (छाया पद) एमबीसी के लिए सुरक्षित रखे जाएंगे.
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सचिन पायलट ने पत्र में कहा था कि वर्तमान कांग्रेस सरकार फरवरी 2019 में सरकार और एमबीसी के प्रतिनिधियों के बीच हुए समझौते के अनुसार एमबीसी के लिए 5 प्रतिशत पद और प्रक्रियाधीन भर्तियों में 4 प्रतिशत अतिरिक्त पद स्वीकृत करने के आदेश जारी होने के बाद भी इक्का-दुक्का भर्तियों को छोड़कर शेष भर्तियों में पूरा 5 प्रतिशत आरक्षण नहीं दे रही है.
मुख्यमंत्री कर सकते हैं बड़ा फैसला
जानकारों की मानें तो 17 सितंबर को लेकर मुख्यमंत्री अशोक गहलोत बड़ी मीटिंग ले सकते हैं. जिसमें युवाओं को सरकारी नौकरी में प्राथमिकता देने को लेकर भी बड़ा फैसला हो सकता है. इसके अलावा भी अन्य मुद्दों पर चर्चा की जा सकती है. इस मीटिंग में बाहरी राज्यों के अभ्यर्थियों की नौकरियों में प्राथमिकता पर भी कोई निर्णय हो सकता है.
दरअसल गुर्जर आंदोलन के बाद में सरकार और गुर्जर संघर्ष समिति के बीच हुए समझौते के तहत सभी विभागों में गुर्जर समाज सहित 5 जातियों को एमबीसी में शामिल किया गया है, जिन्हें अलग से आरक्षण देने का प्रावधान किया गया था लेकिन कई भर्तियों में 5 फीसदी आरक्षण नहीं जा रहा था. ऐसे में गुर्जर समाज में भी इसको लेकर कई बार नाराजगी व्यक्त करते हुए आंदोलन की चेतावनी दी थी.