जयपुर. नाहरगढ़ किले को लेकर एनजीटी (नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल) ने बड़ा फैसला दिया है. नाहरगढ़ किले में चल रही सभी वाणिज्य गतिविधियों पर एनजीटी ने रोक लगा दी है. जनहित याचिका पर प्रधान पीठ ने फैसला दिया है. नाहरगढ़ फोर्ट पर अवैध वाणिज्य गतिविधियों को एनजीटी ने बेहद गंभीर माना है. एनजीटी के फैसले से पर्यटन और पुरातत्व विभाग को बड़ा झटका लगा है. सोमवार को एनजीटी की 6 सदस्यीय प्रधान पीठ ने मामले की सुनवाई की. पीठ ने आमेर विकास एवं प्रबंधन प्राधिकरण पर जुर्माना भी लगाया गया है.जनहित याचिका राजेंद्र तिवारी ने लगाई गई थी.
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जस्टिस आदर्श कुमार गोयल, जस्टिस शिव कुमार सिंह, जस्टिस बृजेश सेठी समेत अन्य ने सुनवाई की है. एनजीटी ने जयपुर कलेक्टर की ओर से नाहरगढ़ किले क्षेत्र को डिनोटिफाई करने को भी गलत माना है. एनजीटी ने कहा है कि संरक्षित वन क्षेत्र में वाणिज्य गतिविधियां गलत हैं. एनजीटी के इस फैसले से नाहरगढ़ किले की सभी वाणिज्य गतिविधियां बंद हो जाएंगी. पड़ाव रेस्टोरेंट, बार, वैक्स म्यूजियम, शीशमहल फूड फोर्ट समेत अन्य गतिविधियां बंद करने के आदेश दिए है. नाहरगढ़ किले पर वन विभाग गाइड लाइन तय करेगा. प्रधान पीठ के पूर्ण हस्ताक्षर के बाद फैसला लागू होगा.
नाहरगढ़ किला को लेकर एनजीटी का आदेश वन विभाग की जांच रिपोर्ट के आधार एनजीटी ने सुनाया अहम निर्णय
याचिकाकर्ता राजेंद्र तिवारी ने वन विभाग के जांच अधिकारी का आभार जताया है. वन विभाग के अधिकारी की निष्पक्ष जांच रिपोर्ट के आधार पर एनजीटी ने नाहरगढ़ किले की कमर्शियल गतिविधियों को बंद करने के आदेश जारी किए हैं. एनजीटी की 6 सदस्य प्रधान पीठ ने नाहरगढ़ किला परिसर में गैर वानिकी गतिविधियों को गंभीर मानते हुए रोक लगा दी है. वाइल्ड लाइफ कानून के खिलाफ नाहरगढ़ किले पर आरटीडीसी की ओर से रेस्टोरेंट, बीयर बार, पार्किंग, असंवैधानिक टेंडर, किले पर बिना अनुमति के रात्रि 12 बजे तक लोगों का प्रवेश करने समेत अन्य गतिविधियां चलाई जा रही है.
परिवादी नाहरगढ़ किले पर असंवैधानिक गतिविधियों को लेकर एनजीटी पहुंचा. संबंधित विभाग की अनदेखी के चलते नाहरगढ़ किले पर गतिविधियां संचालित हो रही थी. वन विभाग के जांच अधिकारी एसीएफ गजनफर अली जैदी की निष्पक्ष जांच रिपोर्ट को एनजीटी के समक्ष पेश किया गया तो एनजीटी ने इसे गंभीर माना. अब नाहरगढ़ किले का अधिकार वन विभाग के पास जाएगा. वन विभाग ईको टूरिज्म विकसित करेगा. आगे वाइल्डलाइफ कानून के आधार पर कार्रवाई की जाएगी.
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मामले की जांच वन विभाग के एसीएफ ने की थी
जनहित याचिका के आधार पर मामले की जांच करने वाले वन विभाग के एसीएफ गजनफर अली जैदी ने बताया कि नाहरगढ़ किला वन विभाग की संपत्ति है. एनजीटी ने राजेंद्र तिवारी की पीआईएल पर बहुत अच्छा फैसला दिया है. मामले की जांच पड़ताल के दौरान कई तथ्य सामने आए. 1961 के नोटिफिकेशन के दौरान नारगढ़ के लिए को पुरातत्व विभाग ने ले लिया था. 1980 में नाहरगढ़ सेंचुरी घोषित हुई थी. नाहरगढ़ किले का पूरा रिकॉर्ड फॉरेस्ट डिपार्टमेंट के पक्ष में था.
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नाहरगढ़ किले पर चल रही कमर्शियल गतिविधियों को लेकर वर्ष 2019 में नोटिस भी दिया गया था. नोटिस देकर पूछा गया था कि क्या आपने फॉरेस्ट डिपार्टमेंट से परमिशन या एनओसी ली है? लेकिन संबंधित डिपार्टमेंट की ओर से कोई संतोषप्रद जवाब नहीं मिला. जब पूरा मामला एनजीटी के सामने गया तो मामले को बारीकी से देखा गया और गंभीर मानते हुए कमर्शियल गतिविधियों को नाहरगढ़ किले पर बंद करने के आदेश दिए गए। जल महल के सामने का एरिया इको टूरिज्म के लिए सबसे अच्छा एरिया है. इको टूरिज्म से एक गरीब बस्तियों के लोगों को रोजगार मिलेगा. नाहरगढ़ फोर्ट पर अब वन विभाग इको टूरिज्म के लिए प्लान तैयार करेगा.