जयपुर. देश में कई पब्लिक सर्विस डिपार्टमेंट में लगे अधिकारियों के कार्यों को एक्नॉलेज करने के लिए हर साल 21 अप्रैल को नेशनल सिविल सर्विस डे मनाया जाता है. यह दिन सिविल सेवकों के लिए एक रिमाइंडर भी है, जो सामूहिक रूप से देश की एडमिनिस्ट्रेटिव मशीनरी को चलाते हैं और वे देश के नागरिकों की सेवा के लिए समर्पित हैं. जयपुर में गुरुवार को सिविल सर्विस डे मौके पर आयोजित कार्यक्रम में राज्यपाल कलराज मिश्र ने मौजूदा परिस्थितियों पर चिंता जाहिर की. उन्होंने कहा कि जब तक फाइल आगे नहीं बढ़ती जब तक सुविधा शुल्क नहीं देते. इस परिपाटी को बदलने की जरूरत है.
फाइल समय पर क्लियर नहीं होना चिंता का विषय : राज्यपाल कलराज मिश्र ने नेशनल सिविल सर्विस डे पर ओटीएस में आयोजित कार्यक्रम में सिविल सेवा से जुड़े अधिकारियों से कहा कि राष्ट्र धर्म का मतलब संविधान है. आप लोकतंत्र के सजग प्रहरी हैं. हम अपनी जिम्मेदारी निभाएं तो सुशासन होगा. आपसे जनता को उत्कृष्ट कार्य की उम्मीद होती है. जनता से आपका सीधा संबंध है. इसलिए उनकी अपेक्षाओं को (Convenience Fee for Service Delivery Issue) प्राथमिकता के साथ पूरा करना चाहिए.
मिश्र ने कहा कि फाइलों के माध्यम आम जनता का अधिकारियों से सीधा संवाद होता है. जल्दी फाइल क्लियर होनी चाहिए, लेकिन आज चिंता का विषय है कि फाइलें पड़ी रहती हैं. ऐसे में जनता सोचती है कि इनको कुछ चाहिए. जब तक सुविधा शुल्क नहीं दिया जाएगा, फाइल आगे नहीं बढ़ेगी. इस परिपाटी को बदलने की जरूरत है. मिश्र ने भ्रष्टाचार पर कटाक्ष करते हुते कहा कि राज्य सरकार जन कल्याण योजनाएं लाती है, लेकिन उन सुविधाओं का लाभ आम जनता तक अपेक्षाकृत नहीं पहुंच रहा है. ऐसी स्थिति में जरूरत है कि हम सुविधा शुल्क तो खत्म करके जनता को सीधा सुविधाओं का लाभ दें.
नियमों के लोक कल्याण कार्य जलिट नहीं हो : राज्यपाल ने कहा कि (National Civil Service Day 2022 in Jaipur) लोक सेवकों को नियमों में रहकर ही कार्य करना चाहिए. लेकिन यह भी ध्यान रखना चाहिए कि नियमों के चलते लोक कल्याण का कार्य जटिल न बन जाए. उन्होंने कहा कि हरेक मसले पर संवैधानिक प्रावधानों में संशोधन की बात पर जोर देने के बजाय जड़ और अव्यावहारिक हो चुके नियमों को परिस्थितियों के अनुसार बदलने के लिए भी प्रयास किया जाना चाहिए.
आज मनाया जा रहा सिविल सर्विस डे : नेशनल सिविल डे पर ओटीएस आयोजित कार्यक्रम में लाल बहादुर शास्त्री प्रशासनिक प्रशिक्षण संस्थान (LBSNAA) के पूर्व निदेशक संजीव चोपड़ा ने कहा कि जब भी नोट एड्रेस के बारे में कहा जाता है, तब 2000 शब्दों की जगह बड़े मुद्दों को लेकर बात करनी होती है. फॉर्मल स्टेट को फॉर्मल गवर्नेस सिस्टम अपनाना जरूरी है और कैसे काम हम मिशन में लेते हैं, यह अहम है. कॉर्पोरेट गवर्नेंस का नया फंडा आया है. प्रशासन का मतलब प्लान होता है, राजनीतिक निर्णय गवर्नेंस नहीं हैं. इस अवधारणात्मक भिन्नता को पहचानना जरूरी है. उन्होंने कहा कि बॉलीवुड में ऐसा हो सकता है कि आप एक्टर के लड़के हो इसलिए वहां हो. लेकिन सिविल सेवा में ऐसा नहीं है.