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घरों में बंधी गायों को भी खोलकर ले जा रहे निगम के कर्मचारी, निगम में गाय पालने की अनुमति देने का प्रावधान नहीं

अवैध डेयरियों और आवारा पशुओं को लेकर सख्त हुए राजस्थान हाई कोर्ट के निर्देशों पर जयपुर नगर निगम प्रशासन लगातार कार्रवाई कर रहा है. कोर्ट ने तो यहां तक निर्देश दिए हैं कि अवैध डेयरियों के बिजली और पानी के कनेक्शन भी काट दी जाए. कार्रवाई में घरों में बंधी हुई गायों को भी खोल कर हिंगोनिया गौशाला भेजा जा रहा है.

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Published : Aug 14, 2019, 1:59 AM IST

जयपुर. हाईकोर्ट के निर्देश पर जयपुर नगर निगम अवैध डेयरियों और आवारा पशुओं के खिलाफ कार्रवाई कर रहा है. इस दौरान निगम की पशु प्रबंधन टीम घरों में पाली जा रही गायों को भी पकड़ कर हिंगोनिया गौशाला भेज रही है. कारण है कि निगम में गायों को पालने के लिए अनुमति देने का प्रावधान ही नहीं है. ऐसे में अब गाय पालने के लिए नियम बनाने की मांग उठ रही है. वहीं बीजेपी पार्षद इसे गलत बताते हुए कांग्रेस सरकार के खिलाफ आक्रामक नज़र आए.

निगम में गाय पालने की अनुमति देने का प्रावधान नहीं

अवैध डेयरियों को लेकर सख्त हुए राजस्थान हाई कोर्ट के निर्देशों पर जयपुर नगर निगम प्रशासन लगातार कार्रवाई कर रहा है. कोर्ट ने तो यहां तक निर्देश दिए हैं कि अवैध डेयरियों के बिजली और पानी के कनेक्शन भी काट दी जाए. ऐसे में नगर निगम अब कार्रवाई करने में जुटा हुआ है. कार्रवाई में घरों में बंधी हुई गायों को भी खोल कर हिंगोनिया गौशाला भेजा जा रहा है. धार्मिक आस्था के चलते जो लोग एक गाय पाल रहे हैं, उन पर हो रही कार्रवाई को बीजेपी पार्षदों ने गलत बताया. उन्होंने कहा कि कांग्रेस शासन में यही अपेक्षा है. कांग्रेस का गाय पर न तो ध्यान है और न ही लगाव.

दरअसल, नगर निगम में गाय पालने के लिए अनुमति देने का कोई प्रावधान ही नहीं है. इस पर डिप्टी मेयर मनोज भारद्वाज ने एक बार फिर कोर्ट का दरवाजा खटखटाने की बात कही. उन्होंने कहा कि निगम के अधिकारी हाई कोर्ट में जाकर पक्ष रखेंगे.

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हालांकि पूर्व में जुर्माना देकर गाय छोड़ने की प्रक्रिया तय थी. ये प्रक्रिया भी फिलहाल अपनाई नहीं जा रही. वहीं निगम की कार्रवाई को लेकर मेयर विष्णु लाटा ने तर्क दिया कि कुछ लिस्ट हाईकोर्ट से उन्हें मिली है, जिन पर नियमों के तहत कार्रवाई की जा रही है. उन्होंने कहा कि लोगों के पास घर में जगह नहीं होती इसलिए वो पशुओं को सड़क पर छोड़ देते हैं. ऐसे में ये पशु आवारा पशुओं की श्रेणी में आ जाते हैं. जिन्हें पकड़कर हिंगोनिया गौशाला भेज दिया जाता है.

हालांकि उन्होंने मिल रही शिकायतों पर गाय पालन के लिए नियम बनाए जाने के लिए यूडीएच मंत्री को पत्र लिखने की बात कही. बहरहाल, नगर निगम में नियमों के अभाव में धार्मिक आस्था से खिलवाड़ को लेकर सवाल उठ रहे हैं. देखना होगा की हाईकोर्ट और यूडीएच मंत्री के स्तर पर क्या भविष्य में इसके प्रावधानों में कोई बदलाव होता है या नहीं

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