जयपुर. राजस्थान प्रदेश के सरपंच संघ अध्यक्ष भवरलाल जानू ने राजस्थान सरकार द्वारा ग्राम पंचायतों के ब्याज रहित पीडी खाते खोले जाकर संवैधानिक वित्तीय अधिकारों में की जा रही कटौती को रोकने के लिए भाजपा के राष्ट्रीय प्रवक्ता और जयपुर ग्रामीण सांसद कर्नल राज्यवर्धन राठौड़ को ज्ञापन दिया. इस दौरान उनके साथ लगभग 400 सरपंच रहे.
सरपंचों के पक्ष में आए कर्नल राज्यवर्धन सिंह राठौड़ कर्नल राज्यवर्धन ने ज्ञापन लेकर कहा कि प्रदेश की कांग्रेस सरकार का गांव के विकास से कोई सरोकार नहीं है, वह तो लगातार सिर्फ अपनी स्वार्थ सिद्धि की ओर ध्यान दे रही है. प्रधानमंत्री मोदी जी ने 2014 में गांवों के विकास को गति देने के लिए सीधे ग्राम पंचायत के खाते में विकास के लिए पैसा भेजने की जो प्रक्रिया शुरू की थी, पीडी खाते खोलकर प्रदेश की कांग्रेस सरकार उसमें अड़ंगा लगा रही है. पीडी अकाउण्ट खोलने से अब पैसा सरपंच के खाते में ना जाकर ट्रेजरी अकाउण्ट में जाएगा और उस पर वही कानून लागू होंगे, जो ट्रेजरी अकाउण्ट में लागू होते हैं.
राठौड़ ने कहा कि सरपंच प्रजोजल तो बना सकते हैं, लेकिन पैसा नहीं निकाल सकते. एक करोड़ से उपर की राशि का प्रपोजल बनते ही वित्त विभाग की अनुमति आवश्यक है और ऐसा भी नहीं है कि एक पंचायत का एक करोड़ से उपर हो. जब जिले में सारे खर्चे जाऐंगे तो कुल मिलाकर कोई भी खर्चा एक करोड़ से उपर ही होगा. उन्होंने कहा कि जब प्रधानमंत्री जी ने किसी काम को सरल किया तो उस काम को जलेबीनुमा बनाने का किसी को कोई हक नहीं है. जनता ने आपको चुनकर जिम्मेदारी दी है, लेकिन उस जिम्मेदारी को पूरा करने के लिए जो ताकत चाहिए, प्रदेश सरकार उसे आपसे छीन रही है.
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कर्नल राज्यवर्धन ने कहा कि प्रदेश की कांग्रेस सरकार सरपंचों के 6,500 करोड़ रुपये रोककर बैठी है. 14वें फाइनेंस कमीशन का पैसा जो कि केन्द्र सरकार का पैसा है, उसकी 2019 की पहली किश्त तो सरपंचों के खाते में पहुंच चुकी है, लेकिन दूसरी किश्त 1400 करोड़ बकाया है. 2019 का ही राज्य सरकार का 1100 करोड़ भी अभी तक नहीं दिया गया है. इसके अलावा 2020-21 के 4000 करोड़ रुपये भी अभी राज्य सरकार के पास ही हैं, सरपंचो को नहीं दिया गए हैं. ऐसे में ग्राम पंचायतों की प्रशासनिक व्यवस्था पूरी तरह चरमरा गई है और गांवों में विकास कार्य पूरी तरह ठप हो गए हैं.