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Special: कचरा बीनने वाले बच्चों का भविष्य संवारने वाली 'दादी मां' बनी समाज के लिए मिसाल

हर उस चेहरे को मुस्कान दो जिसकी आंखों में आंसू हो. इसी भावना से प्रेरित होकर जयपुर के महेश नगर गंदे नाले के पास वाल्मीकि समाज की बस्ती में कचरा बीनने वाले गरीब बच्चों को पिछले 17 साल से पढ़ा रही 64 वर्षीय विमला कुमावत बच्चों की दादी मां बन गई है. जिन्होंने वाकई मां शब्द को सार्थक किया है.

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कचरा बीनने वाले बच्चों का भविष्य संवारने वाली 'दादी मां' बनी समाज के लिए मिसाल

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Published : May 10, 2020, 5:38 PM IST

जयपुर.जिस मां ने हमें सबकुछ सिखाया उसे हम दे भी क्या सकते हैं. यही वजह है कि धरती पर मां को भगवान से उंचा दर्जा प्राप्त है. विमला कुमावत भी एक ऐसा ही नाम हैं, जिनको अब दादी मां के नाम से जाना जाता है. विमला कुमावत 400 गरीब बच्चों को निःशुल्क पढ़ा रही हैं.

कचरा बीनने वाले बच्चों का भविष्य संवारने वाली 'दादी मां' बनी समाज के लिए मिसाल

विमला ने वाल्मीकि समाज की बस्ती के कचरा बीनने वाले 5 बच्चों को घर पर पढ़ाना शुरू किया था. बच्चे बढ़ने लगे तो महेश नगर में निर्माणाधीन सामुदायिक केन्द्र के भवन में पढ़ाने लगी. सामुदायिक केन्द्र का उद्घाटन होने के बाद नाले के पास तिरपाल लगाकर स्कूल चलाया. विमला की निस्वार्थ सेवा देख लोग भी मदद के लिए आगे आने लगे. उन्होंने नाले के पास स्कूल भवन बनवा दिया. जिसमें अब विमला 400 विद्यार्थियों को निःशुल्क पढ़ा रही हैं.

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वहीं विमला ने स्कूल में छात्रावास भी बनवाया है, जिसमें 40 गरीब बच्चे रह रहे हैं. वे बच्चों को पढ़ाने के साथ ही खाना खिलाना, छोटे बच्चों को नहलाना, नाखून काटना जैसे काम भी स्वयं करती हैं. यही वजह है कि यहां रह रहे बच्चों के लिए विमला ही सबकुछ है.

बच्चों के रुचि के काम भी सिखाती हैं विमला

सेवा भारती के इस स्कूल में छात्रों को पढ़ाई के साथ भजन, गीत, राष्ट्रभक्ति गीतों के साथ संस्कृत के श्लोक भी सिखाए जाते हैं. साथ ही वाद्ययंत्रों की तालीम भी स्वयं दादी मां और उनके साथी छात्रों को देते हैं. यही नहीं जिन छात्रों को रूचि है, उन्हें विमला सिलाई भी सिखाती हैं. कचरा बीनने वाले इन छात्रों को इस पाठशाला में मिली तालीम से वे आगे बढ़ गए. 8वीं तक यहां पढ़कर कुछ दूसरे स्कूल और कॉलेजों में शिक्षा ले रहे हैं.

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विमला कुमावत ने अपने सफर को भी ईटीवी भारत की टीम के साथ साझा किया. उन्होंने बताया कि वर्षों पहले राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रचारक धन प्रकाश त्यागी ने उन्हें गरीब बच्चों को शिक्षित करने जैसे पुण्य कार्य के प्रति प्रोत्साहित किया था. शुरू में बस्ती वाले भी बच्चों को पढ़ने नहीं भेजते थे. तब लगता था कि वो इस कार्य को नहीं कर पाएंगी, लेकिन आज बच्चे उनसे किस कदर घुल मिल गए हैं कि उनका मन बच्चों के बिना कहीं नहीं लगता.

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आरएसईबी से सेवानिवृत पति, तीन बेटे और बहूएं भी उनका पूरा सहयोग करती है. साथ ही उनका 11 शिक्षकों का स्टाफ भी कम मानदेय लेकर उनका पूरा सहयोग करता है. आज मदर्स डे पर ईटीवी भारत विमला कुमावत और इन जैसी महिलाओं का सलाम करता है, जो विपरित परिस्थितियों में भी समाज हित में अपना सर्वस्व न्यौछावर कर देती हैं.

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