जयपुर. प्रदेश में चल रही सियासी उठापटक के बीच सबकी निगाहें गहलोत मंत्रिमंडल के विस्तार पर टिकी हैं, लेकिन इस बीच नरेंद्र मोदी मंत्रिमंडल विस्तार की सुगबुगाहट भी शुरू हो गई है. इसके साथ ही यह चर्चा भी अब आम होने लगी है कि अगर विस्तार हुआ तो क्या राजस्थान में मंत्री पद का कोटा बढ़ेगा या फिर पर जो मंत्री हैं उनके पर कतरे जाएंगे.
दरअसल, केंद्रीय मंत्रिमंडल का विस्तार होगा या नहीं और होगा तो कब तक होगा इसको लेकर अभी कुछ भी साफ नहीं है, लेकिन संभावनाएं जताई जा रही हैं कि जल्द ही यह विस्तार हो सकता है. अब अगर मंत्रिमंडल का विस्तार होता है तो राजस्थान में से किन नए चेहरों को मोदी मंत्रिमंडल में जगह मिलेगी और इन पुराने चेहरों को बाहर का रास्ता दिखाया जाएगा इस पर सबकी निगाहें हैं.
Modi 2.0 मंत्रिमंडल विस्तार की सुगबुगाहट तेज Modi 2.0 में राजस्थान को दमदार मंत्रालय, इसलिए उम्मीद ज्यादा
Modi 1.0 में राजस्थान से 8 मंत्री शामिल थे, जिनमें 2 मंत्री तत्कालिक राज्यसभा सांसद केजी अल्फोंस और विजय गोयल थे. इसके अलावा लोकसभा सांसदों में निहालचंद मेघवाल, पीपी चौधरी, सी आर चौधरी, कर्नल राज्यवर्धन सिंह राठौड़, अर्जुन राम मेघवाल और गजेंद्र सिंह शेखावत को मंत्रिमंडल में स्थान मिला था, लेकिन मोदी सरकार टू में राजस्थान से महज तीन ही सांसदों को जगह मिल पाई, जिनमें जल शक्ति मंत्रालय में कैबिनेट मंत्री के रूप में गजेंद्र सिंह शेखावत, कृषि राज्य मंत्री के तौर पर कैलाश चौधरी और अर्जुन राम मेघवाल को भारी उद्योग राज्यमंत्री का पद मिला है.
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इसी तरह राजस्थान राज्यसभा से आने वाले किसी भी भाजपा सांसद को मोदी सरकार 2.0 के मंत्रिमंडल में स्थान नहीं मिला, लेकिन कोटा सांसद ओम बिरला को लोकसभा अध्यक्ष बनाकर एक भारी-भरकम जिम्मेदारी राजस्थान के खाते में डाल दी गई थी. ऐसे में अगर मोदी सरकार 2.0 का विस्तार हुआ भी तो राजस्थान से 1-2 सांसदों को ही मौका मिल सकता है.
Modi 2.0 के विस्तार में मंत्रियों में भी बदलाव की संभावना
भाजपा के गलियारों में चर्चा इस बात की भी है कि अगर मोदी मंत्रिमंडल का विस्तार होता है तो राजस्थान से एक मौजूदा मंत्री को बदला जा सकता है. राजस्थान से 3 सांसदों को मंत्रिमंडल में स्थान मिला है, वे तीनों ही अलग-अलग प्रमुख समाज से आते हैं, जिनमें जाट समाज, अनुसूचित जाति समाज और राजपूत समाज है. राजस्थान में इन तीनों ही समाजों का अच्छा खासा वोट बैंक है. पार्टी प्रदेशध्यक्ष सतीश पूनिया भी जाट समाज से आते हैं और केंद्रीय कृषि राज्यमंत्री कैलाश चौधरी भी इसी समाज से आते हैं. ऐसे में अगर कुछ बदलाव होता है तो पार्टी को प्रदेश के मौजूदा बड़े पदों पर आसीन पदाधिकारियों और जातिगत संतुलन पर भी फोकस करना होगा.
इन सांसदों के नामों पर काफी चर्चा
प्रदेश भाजपा के सियासी गलियारों में कई सांसदों के नामों की चर्चा इन दिनों आम है. खासतौर पर मोदी मंत्रिमंडल विस्तार में जिन नए चेहरों को शामिल किया जा सकता है उसको लेकर चर्चाएं जोरों पर हैं. बताया जा रहा है कि मंत्रिमंडल का विस्तार होता है तो उसमें संभवतया सांसद दीया कुमारी को नए और महिला चेहरे के रूप में लिया जा सकता है. इसी तरह सांसद राहुल कस्वां, सीपी जोशी के नाम की भी चर्चा है. वहीं, अनुसूचित जनजाति समाज से आने वाली जसकौर मीणा और राज्यसभा सांसद डॉ. किरोड़ी लाल मीणा के नामों की चर्चा भी जोरों पर है.
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संगठनात्मक जिम्मेदारी वाले सांसदों को भी मिल सकता है सत्ता में भागीदारी का मौका!
एक चर्चा यह भी है कि वरिष्ठ सांसद जो भाजपा में संगठनात्मक पद पर तैनात हैं उनमें से भी कुछ एक को मोदी मंत्रिमंडल विस्तार में स्थान दिया जा सकता है, अगर ऐसा हुआ तो राजस्थान से राज्यसभा सांसद और संगठन में महामंत्री भूपेंद्र यादव और राष्ट्रीय प्रवक्ता कर्नल राज्यवर्धन सिंह राठौड़ को मौका मिलने की संभावना है. वहीं, पूर्व राष्ट्रीय उपाध्यक्ष और वर्तमान राज्यसभा सांसद ओम माथुर का नाम भी चर्चाओं में है.
अगले साल होने वाले विधानसभा चुनाव वाले राज्यों पर रहेगा फोकस
राजस्थान में अगला विधानसभा चुनाव 2023 में होना है, लेकिन उससे पहले अगले साल उत्तर प्रदेश सहित देश के कुछ राज्यों में चुनाव होना है, ऐसे में मोदी मंत्रिमंडल का विस्तार होगा तो उसमें पूरा फोकस जिन राज्यों में अगले साल चुनाव होना है वहीं पर होगा और वहां के जातिगत समीकरणों के साथ ही अन्य सोशल इंजीनियरिंग पर ध्यान में रखते हुए ही विस्तार होगा. ऐसे में राजस्थान पर मंत्रिमंडल विस्तार के दौरान ज्यादा फोकस या तवज्जो मिले इसकी संभावना कम ही रहेगी.