जयपुर.प्रदेश में ग्राम सेवा सहकारी समितियों (पैक्स व लैम्पस) में संचालक मंडल के चुनाव के दौरान व्यवस्थापक/सहायक व्यवस्थापक पद पर स्क्रीनिंग के नाम पर चुनावी रेवड़ियां बांटी जा रही हैं. चुनावी आचार संहिता के बावजूद नियमानुसार स्क्रीनिंग का काम नहीं हो (Screening in Village service cooperative societies) सकता, लेकिन यह स्क्रीनिंग कोई और नहीं बल्कि खुद सहकारिता विभाग ही करवा रहा है. मतलब विभाग ही यहां चुनावी आचार संहिता तोड़ रहा है.
प्रदेश में करीब 7300 ग्राम सेवा सहकारी समितियों में से करीब 6500 समितियों में चुनाव चल रहे (Election in Village Service Cooperative Societies) हैं. विगत 31 जुलाई को चुनाव कार्यक्रम जारी होने के साथ ही इन समितियों में आदर्श चुनाव आचार संहिता लागू हो गई थी. नियमानुसार चुनावी आचार संहिता के दौरान ना तो तबादले हो सकते हैं ना ही नियुक्ति और स्क्रीनिंग. बकायदा विभाग की ओर से इन चुनाव के लिए बनाए गए चुनाव प्राधिकार अधिकारी संजय माथुर ने सहकारी समितियों के रजिस्ट्रार और वरिष्ठ आईएएस अधिकारी मुक्तानंद अग्रवाल समेत सभी समितियों के संचालक मंडल बैंकों और स्क्रीनिंग कमेटी से जुड़े अधिकारियों को इस संबंध में पत्र भी लिखा गया. ताकि चुनाव के दौरान आचार संहिता की पूरी पालना हो लेकिन ऐसा नहीं हुआ.
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स्क्रीनिंग के जरिए होती है नियुक्ति, पाली में 22 अगस्त को हो गई स्क्रीनिंग बैठक:स्क्रीनिंग के जरिए ग्राम सेवा सहकारी समितियों में सहायक व्यवस्थापक व व्यवस्थापकों को नियमित किया जाता है. मतलब दूसरे शब्दों में कहें तो स्क्रीनिंग के जरिए नियुक्ति का काम होता है. पाली में कुछ ग्राम सेवा सहकारी समितियों में सोमवार को समिति अध्यक्ष और सीसीबी के निर्वाचित अध्यक्ष ने स्क्रीनिंग कमेटी की बैठक बुलाकर स्क्रीनिंग का काम कर लिया. खास बात यह है कि जब चुनाव आचार संहिता लागू हो गई तो इन सहकारी समितियों के अध्यक्ष और सीसीबी के पूर्व निर्वाचित अध्यक्ष व संचालक मंडल नियम अनुसार कोई बैठक बुला ही नहीं सकता. लेकिन बैठक भी बुलाई गई और बकायदा उसमें सहकारिता विभाग के स्क्रीनिंग कमेटी से जुड़े अधिकारी भी शामिल हुए.
विभिन्न जिलों में चल रहा स्क्रीनिंग का काम, इस तरह प्रभावित होंगे चुनाव:पाली ही नहीं बल्कि विभिन्न जिलों में ग्राम सेवा सहकारी समितियों में चुनाव के दौरान स्क्रीनिंग कमेटी की बैठक से जुड़ा काम चल रहा है. मतलब संबंधित समिति से जुड़े अध्यक्ष और संचालक मंडल चुनाव के दौरान उस समिति के व्यवस्थापक और सहायक व्यवस्थापकों को स्क्रीनिंग के जरिए नियमित करने के रूप में चुनावी रेवड़ियां बांट रहे हैं. ग्राम सेवा सहकारी समितियों (पैक्स व लैम्पस) में सहायक व्यवस्थापक और व्यवस्थापक का महत्वपूर्ण रोल होता है. यह सीधे तौर पर उस समिति से जुड़े मतदाताओं से निरंतर संपर्क में रहते हैं. यही कारण है कि चुनाव के दौरान यदि उन्हें नियमितीकरण का तोहफा मिलेगा तो वे भी उनके पक्ष में रहेंगे जिन्होंने उन्हें नियमित करने में अहम भूमिका निभाई. सीधे तौर पर इससे चुनाव और मतदाता दोनों प्रभावित होंगे.