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भाजपा के 'लेटर बम' विवाद से जुड़े विधायकों को स्थगन के जरिए बोलने का मिला मौका - BJP letter bomb controversy

भाजपा के 'लेटर बम' विवाद से जुड़े विधायकों को गुरुवार को विधानसभा में स्थगन के जरिए बोलने का मौका मिला. सदन में गुरुवार को विधायक शोभा चौहान, जोराराम कुमावत और प्रताप सिंह सिंघवी ने अपनी बात रखी.

Rajasthan Legislative Assembly,  BJP letter bomb controversy
विधायकों को स्थगन के जरिए बोलने का मिला मौका

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Published : Feb 25, 2021, 4:00 PM IST

जयपुर. विधानसभा में सदन के भीतर पक्षपात का आरोप लगाकर अपनी ही पार्टी के नेता प्रतिपक्ष और उप नेता के खिलाफ पत्र लिखने वाले भाजपा विधायकों को गुरुवार को सदन में स्थगन के जरिए बोलने का मौका मिला. भाजपा के लेटर बम से जुड़े विधायक शोभा चौहान, जोराराम कुमावत और प्रताप सिंह सिंघवी ने स्थगन के जरिए सदन में मामले उठाए, तो वहीं विशेष उल्लेख के तहत भी कई विधायकों को मौका मिला.

विधायकों को स्थगन के जरिए बोलने का मिला मौका

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शून्यकाल में स्थगन प्रस्ताव की शुरुआत लेटर बम में हस्ताक्षर करने वाली विधायक शोभा चौहान से हुई. शोभा चौहान ने सोजत में ट्रॉमा सेंटर शुरू करवाने और सरकारी अस्पतालों में खाली पड़े चिकित्सा कर्मियों के पद जल्द भरने का मुद्दा उठाया.

लापता छात्र का उठाया मामला

इसके बाद सुमेरपुर से विधायक जोराराम कुमावत ने अपने क्षेत्र में लापता हुए छात्र मनोहर के अपहरण के 4 साल से अधिक समय बीतने के बावजूद पुलिस की ओर से अब तक उसका पता नहीं लगा पाने का मामला उठाया. साथ ही इस पूरी घटना की जांच एसओजी, एटीएस या सीबीआई में से किसी से करवाने की मांग भी की.

प्रताप सिंह सिंघवी ने उठाया रामगढ़ बांध का मुद्दा

नेता प्रतिपक्ष के खिलाफ पत्र लिखने वाले विधायकों में शामिल प्रमुख विधायक प्रतापसिंह सिंघवी ने भी स्थगन के जरिए शून्यकाल में जयपुर के रामगढ़ बांध में अतिक्रमण का मुद्दा उठाया. सिंघवी ने यह मामला उठाते हुए केचमेंट एरिया से धन्ना सेठों के अतिक्रमण हटाने की मांग उठाई. सिंघवी ने कहा कि कई संस्थाओं न्यायपालिका और समाचार पत्रों ने यह मामला भी उठाया है, लेकिन बांध के कैचमेंट एरिया से अब तक अतिक्रमण नहीं हटाए गए.

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सिंघवी ने इस दौरान सदन में बांध की फोटो भी दिखाई और कहा कि साल 1896 में इस बांध की नींव रखी गई थी और साल 1930 में इसका लोकार्पण हुआ. उन्होंने कहा कि 2275 वर्ग मील का क्षेत्रफल था और कम बारिश में भी यह बांध कम से कम साढ़े 14 फुट पानी से भरा रहता था, लेकिन आज स्थितियां विपरीत है.

प्रताप सिंह सिंघवी ने कहा कि प्रशासन छोटे-मोटे गरीबों के आवास और दुकानों को तो तुरंत हटाने की कार्रवाई करता है, लेकिन इस बांध के कैचमेंट एरिया में बड़े-बड़े फॉर्मों को हटाने और धन्ना सेठों और अधिकारियों के निर्माण को हटाने से बचता है.

छगन सिंह और शंकर सिंह रावत ने भी उठाया मामला

सतीश पूनिया को लिखे पत्र में हस्ताक्षर करने वाले विधायकों में शामिल आहोर विधायक छगन सिंह और ब्यावर विधायक शंकर सिंह रावत ने भी शून्य काल में नियम 295 के तहत अपने क्षेत्र के मामले उठाए. छगन सिंह ने जहां आहोर में आईसीयू और ट्रॉमा सेंटर बनाए जाने की मांग की और पीएचसी को सीएचसी में क्रमोन्नत करने की भी मांग उठाई, तो वहीं शंकर सिंह रावत ने ब्यावर में एक अवैध कॉम्प्लेक्स के निर्माण का मामला उठाते हुए सरकार से कार्रवाई की मांग की.

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