जयपुर.राजस्थान में चल रहे सियासी महासंग्राम के बीच गहलोत कैंप के विधायकों का बुधवार को बाड़ेबंदी का 32वां दिन है. इन 32 दिनों में कांग्रेस के विधायक पहले 12 जुलाई से 31 जुलाई तक जयपुर की फेयर माउंट होटल में रहे. वहीं 31 जुलाई को तमाम विधायकों को जैसलमेर भेज दिया गया और आज 12 अगस्त को यह तमाम विधायक जैसलमेर से वापस जयपुर आ रहे हैं. लेकिन अब भी बाड़ेबंदी से इनकी छुट्टी नहीं हुई है, बल्कि बाड़ेबंदी पार्ट-3 आज से शुरू होगा. जिसमें इन विधायकों को फिर जयपुर के होटल फेयरमाउंट में ले जाया जाएगा.
गहलोत कैंप के विधायकों ने गुनगुनाया गाना "ऐसे नजरें फेर ली मतलब निकल जाने के बाद", आखिर क्या है मतलब? - विधायकों की जुगलबंदी
प्रदेश में चल रहे सियासी घमासान का पटाक्षेप तो हो गया है, लेकिन गहलोत कैंप के विधायकों की बाड़ेबंदी अभी भी खत्म नहीं हुई है. बुधवार को सभी विधायकों को जैसलमेर से जयपुर लाया गया. जहां सभी विधायकों को बाड़ेबंदी पार्ट-3 के तहत एक बार फिर जयपुर के फेयरमाउंट होटल में रखा जाएगा. जैसलमेर से रवाना हुए विधायकों ने बस में ही गाने गुनगुनाए. जिनके कई राजनीतिक मायने निकाले जा रहे हैं.
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जैसलमेर से जयपुर के लिए रवाना होने से पहले विधायकों ने फिर सियासी गाने गए. जिनके कई मतलब निकल रहे हैं. राजस्थान के मुख्य सचेतक महेश जोशी ने गाना गुनगुनाया 'दिल मेरा लेने की खातिर मिन्नतें क्या-क्या न की, ऐसे नजरें फेर ली मतलब निकल जाने के बाद' इस गाने का मतलब ही अपने आप में एक बड़ा संकेत दे रहा था. तो वहीं दूसरा गाना जो विधायकों ने गाया वह था, 'रंग और नूर की बारात किसे पेश करूं यह मुलाकातों की हंसी रात किसे पेश करूं'. यह दोनों गाने ही वर्तमान सियासी हालातों में अपने आप में कई संकेत दे रहे हैं.