जयपुर. राजस्थान में 15वीं विधानसभा का पांचवा सत्र चल रहा है. पहले दिन सरकार ने अपना सबसे महत्वपूर्ण काम विश्वास मत हासिल कर पूरा किया. अब 21 अगस्त को सुबह 11 बजे से फिर विधानसभा की कार्रवाई शुरू होगी.
विधायक भूले अपनी जिम्मेदारी सरकार के पक्ष में वोट कर सरकार के लिए अपनी जिम्मेदारी तो विधायकों ने पूरी कर दी लेकिन जिस जनता ने उन्हें जीता कर विधानसभा में भेजा उन्हें भूल गए. कुछ विधायक अब सरकार बचाने और कुछ विपक्ष पर हमला करने में ही जुटे हैं.
राजस्थान विधानसभा में लगने वाले सवाल क्षेत्रीय जनता की सुविधाएं और समस्याओं को उठाने के लिए लगाए जाते हैं. कायदे से हर विधायक की ओर से सदन में सवाल उठाए जाने चाहिए लेकिन वास्तविकता कुछ और ही है. कांग्रेस पार्टी के 107 विधायकों में से महज 7 विधायक ही ऐसे हैं, जिन्होंने इस बार विधानसभा में सवाल लगाए हैं. इनमें विधायक पानाचंद मेघवाल, रफीक खान, रामलाल जाट, भरत सिंह कुंदनपुर, राजकुमार शर्मा, राम नारायण मीणा और हरीश मीणा शामिल है. बाकी बचे कांग्रेस के विधायकों का काम राम भरोसे ही चल रहा है.
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यह स्थिति तो तब है जब प्रदेश की जनता कोरोना के कहर से जूझ रही है. महामारी और लॉकडाउन के दौरान रोजगार कम हुए और टिड्डी दल के हमले के साथ ही प्राकृतिक आपदाओं का भी जोर रहा. इन सब के बावजूद भी कांग्रेस विधायकों ने अपनी जनता से जुड़े सवाल नहीं उठा कर अपनी ही कार्यशैली पर सवाल खड़े किए हैं.
पायलट कैंप का हाल...
पायलट कैंप की बात की जाए तो उनके दावे ही जनता के काम नहीं होने के थे, लेकिन उनमें भी 19 में से महज एक हरीश मीणा ने ही जनता से जुड़े सवाल लगाए हैं. राजस्थान में सियासी संकट के बीच पायलट कैंप हमेशा सरकार में से जुड़ी समस्याएं नहीं सुने जाने की बात कहते थे. लेकिन विधानसभा सत्र आहूत होने के 5 दिन पहले ही कांग्रेस आलाकमान ने दोनों गुटों में सुलह करवा दी. उसके बावजूद भी जनता की समस्याओं की बात करने वाले पायलट कैंप के महज एक विधायक को ही उनकी जनता की समस्या याद आई. बाकी सब विधायक अपने क्षेत्र की जनता के बीच पहुंचकर शक्ति प्रदर्शन तो करते नजर आए लेकिन विधानसभा में सवाल लगाकर उन्होंने जनता की समस्याओं को नहीं उठाया.
गहलोत कैंप उलझा सरकार बचाने में...
वहीं बात की जाए गहलोत खेमे की तो स्पीकर सीपी जोशी को हटाकर 87 विधायक गहलोत खेमे में मौजूद थे लेकिन सवाल महज 6 विधायकों ने ही लगाए. हालांकि प्रदेश में 22 विधायक मंत्री भी हैं और मंत्री सवाल नहीं लगाते हैं फिर भी केवल 7 विधायकों का ही कांग्रेस खेमे की ओर से जनता की आवाज विधानसभा में उठाना कहीं ना कहीं सवाल खड़े करता है.
निर्दलीय विधायक भी भूले जिम्मेदारी...
सबसे चौंकाने वाली बात यह है कि राजस्थान में भाजपा और कांग्रेस के अलावा माकपा के दो, बीटीपी के दो, आरएलडी का एक और 13 निर्दलीय विधायक भी हैं. इनमें से माकपा को छोड़ बाकी सभी विधायक गहलोत खेमे की ओर से की गई बड़े बंदी में मौजूद थे. माकपा के दोनों विधायकों गिरधारी महिया और बलवान पूनिया की ओर से जनता से जुड़े सवाल विधानसभा में लगाए गए हैं. लेकिन इनके अलावा बीटीपी ,आरएलडी और निर्दलीय विधायकों की ओर से केवल दो निर्दलीय विधायक संयम लोढ़ा और बलजीत यादव ने ही सवाल लगाए.
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कहा जाता है कि किसी पार्टी से संबंध नहीं रखने वाले निर्दलीय विधायकों का विधानसभा में लगने वाले सवाल ही सबसे बड़ा आसरा होता है और जनता के काम करवाने का सबसे बड़ा जरिया भी. लेकिन 13 निर्दलीय विधायकों में से केवल दो निर्दलीय विधायकों ने ही अपनी जनता के सवाल लगाना उचित समझा बाकी सब विधायक शायद यह सोचकर सवाल लगाना भूल गए कि वह अब सरकार में मंत्री हैं.