जयपुर. राजस्थान में विधानसभा सत्र के दौरान हर किसी ने देखा कि कैसे सत्ताधारी दल के खिलाफ प्रमुख विपक्षी दल भाजपा के विधायकों ने मोर्चा खोला. इसके विपरीत एक मांग ऐसी भी है जिस पर सत्ताधारी दल कांग्रेस हो, प्रमुख विपक्षी दल भाजपा हो या फिर बीटीपी, माकपा या निर्दलीय विधायक सभी एक स्वर में बोलते नजर आए.
विधानसभा में पक्ष-विपक्ष के आरोप-प्रत्यारोप के बीच राजस्थान पुलिस की बात पर सभी पार्टियां एक साथ सहमति जताते हुए देखी गई. राजस्थान पुलिस का ग्रेड पे 2400 से 3600 करने के लिए सभी दलों का समर्थन मिला. राजस्थान पुलिस की ओर से चलाए जा रहे Twitter और Facebook पर अभियान को सीधे तौर पर राजस्थान के विधायकों का भी समर्थन मिला है लेकिन उसके बावजूद भी पुलिसकर्मियों के हाथ अभी खाली हैं.
दरअसल, राजस्थान में कांस्टेबलों का कहना है कि चाहे कोरोना काल हो या फिर कोई त्योहार हो, 24 घंटे ड्यूटी देने वाले कांस्टेबलों को महज 2400 ग्रेड पे ही दिया जाता है. ऐसे में उनकी आर्थिक स्थिति खराब है. हार्ड ड्यूटी देने के बावजूद भी सही वेतनमान नहीं मिलने के कारण पुलिसकर्मी तनाव में रहते हैं. इसका असर पुलिस कार्यप्रणाली पर भी देखा जा सकता है. हालांकि पुलिस कर्मियों की मांगों को लेकर उनका कोई संगठन नहीं है.
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पुलिसकर्मी अपनी मांग सीधे सरकार के सामने नहीं रख सकते हैं. ऐसे में ट्विटर फेसबुक और व्हाट्सएप के जरिए तो सोशल मीडिया पर यह अभियान चल ही रहा है. इसके साथ ही राजस्थान के 72 से ज्यादा विधायकों ने इस मांग को पूरी करने के लिए मुख्यमंत्री को पत्र लिखा है. इन 72 विधायकों में 36 विधायक कांग्रेस पार्टी के हैं, जिनमें चार मंत्री भी शामिल हैं. वहीं 23 विधायक भाजपा के, मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी के दोनों विधायक, बीटीपी के दोनों विधायक, आरएलपी के 2 विधायक और निर्दलीय 7 विधायकों ने मुख्यमंत्री अशोक गहलोत तक पत्र के माध्यम से यह मांग पहुंचाई है.
हालांकि विधानसभा सत्र के दौरान भी यह मांगें मुख्यमंत्री तक पहुंच रही थी, लेकिन अब तक इन मांगों को पूरा नहीं किया गया है. वहीं विभिन्न समाजों की 7 संस्थाओं ने भी मुख्यमंत्री को इन मांगें पूरा करने के लिए पत्र लिखे हैं.
पुलिस कर्मियों की राजस्थान सरकार से यह है मांगें-
- पुलिस कांस्टेबल का ग्रेड पे 2400 से बढ़ाकर 3600 किया जाए
- मैच भत्ता 2000 से बढ़ाकर 4000 किया जाए
- हार्ड ड्यूटी एलाउंस साडे चार रुपए प्रति घंटे से बढ़ाकर 10 रुपये प्रति घंटे किया जाए
- वर्दी भत्ता 7000 से बढ़ाकर 10000 वार्षिक किया जाए
- वाहन भत्ता पेट्रोल 50 रुपये मासिक से बढ़ाकर 2000 रुपये प्रतिमाह किया जाए
- मोबाइल रिचार्ज 500 रुपये मासिक किया जाए
- गृह जिले में ट्रांसफर 14 साल से कम कर 5 साल में किया जाए