बस्सी (जयपुर). राजस्थान में कानोता बांध के निर्माण क्षेत्र में पीने के पानी और सिंचाई की आपूर्ति के लिए करवाया गया था. लेकिन अब कानोता बांध में क्षमता के मुताबिक पानी तो भरा है. बांध और उसमें भरा पानी जनता के उपयोग में नहीं आ रहा है. जिसको लेकर स्थानीय विधायक ने सीएम गहलोत को पत्र लिखकर मांग की है कि कानोता बांध के पानी को ढूंढ नदी में छोड़ा जाए, जिससे बांध को नया जीवन मिल (Laxman Meena wrote letter to CM) सके.
राजधानी जयपुर के निकट रामगढ़ बांध के बाद दूसरे सबसे बड़े कानोता बांध को जिस उद्देश्य के लिए बनाया गया था. आज वह उद्देश्य पूरी तरह मर चुका है. वर्ष 2000 मे 17 फीट गहराई, 2.59 किलोमीटर लंबाई, 402 वर्गमीटर कैचमेंट एरिया में 14.15 एमसीएम भराव क्षमता वाले कानोता बांध का निर्माण आसपास के क्षेत्र में पीने के पानी और सिंचाई की आपूर्ति के लिए करवाया गया था. लेकिन आज कानोता बांध भराव क्षमता के मुताबिक पानी तो भरा है. वह बांध और उसमें भरा पानी जनता के किसी काम नहीं आ रहा. सिवाय मछलीपालन और मूर्ति विसर्जन के. इस बांध में पानी की आवक से आसपास का जलस्तर ऊंचा जरूर हुआ है. लेकिन सिंचाई के लिए बनी नहरों में पानी न छोड़े जाने से नहरों के आसपास गांवों मे सिंचाई लुप्त होने के कगार पर है.
बांध निर्माण के शुरुवाती दिनों में तो इसका उपयोग सिंचाई और पीने के पानी के रूप मे किया गया. वर्तमान में यह बांध सिंचाई और पीने के पानी के लिए अनुपयोगी साबित हो रहा है. इतना ही नहीं, अब तो इस बांध में भरने वाला पानी पशु-पक्षियों और मछलियों के लिए मौत का कारण भी बन रहा है. इसका कारण इस बांध में जयपुर शहर के साथ ही जलमहल से आने वाला गंदा और कैमिकल युक्त पानी है. इस गंदे और कैमिकल युक्त पानी से हर साल हजारों की संख्या मे मछलियों के साथ पशु-पक्षियों की भी मौत हो जाती है. जिस उद्देश्य के लिए कानोता बांध का निर्माण करवाया गया था, यदि उस उद्देश्य की पूर्ति के लिए इस बांध का और इसमें भरने वाले पानी का उपयोग किया जाए तो इस बांध को भी नया जीवन मिल सकता है.