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कानोता बांध के पानी को ढूंढ नदी में छोड़ दिया जाए तो मिल सकता है नया जीवन...सुनिए किसने क्या कहा

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Published : Jun 26, 2022, 10:18 PM IST

जयपुर जिले के निकट कानोता बांध का निर्माण क्षेत्र में पीने के पानी और सिंचाई की आपूर्ति के लिए करवाया गया था. लेकिन आज कानोता बांध भराव क्षमता के मुताबिक पानी तो भरा है. लेकिन वह बांध और उसमें भरा पानी जनता के किसी काम नहीं आ रहा है. जिसको लेकर क्षेत्रीय विधायक ने सीएम अशोक गहलोत को पत्र लिखा (Laxman Meena wrote letter to CM) है.

release water of Kanota Dam in dhondh river
कानोता बांध

बस्सी (जयपुर). राजस्थान में कानोता बांध के निर्माण क्षेत्र में पीने के पानी और सिंचाई की आपूर्ति के लिए करवाया गया था. लेकिन अब कानोता बांध में क्षमता के मुताबिक पानी तो भरा है. बांध और उसमें भरा पानी जनता के उपयोग में नहीं आ रहा है. जिसको लेकर स्थानीय विधायक ने सीएम गहलोत को पत्र लिखकर मांग की है कि कानोता बांध के पानी को ढूंढ नदी में छोड़ा जाए, जिससे बांध को नया जीवन मिल (Laxman Meena wrote letter to CM) सके.

राजधानी जयपुर के निकट रामगढ़ बांध के बाद दूसरे सबसे बड़े कानोता बांध को जिस उद्देश्य के लिए बनाया गया था. आज वह उद्देश्य पूरी तरह मर चुका है. वर्ष 2000 मे 17 फीट गहराई, 2.59 किलोमीटर लंबाई, 402 वर्गमीटर कैचमेंट एरिया में 14.15 एमसीएम भराव क्षमता वाले कानोता बांध का निर्माण आसपास के क्षेत्र में पीने के पानी और सिंचाई की आपूर्ति के लिए करवाया गया था. लेकिन आज कानोता बांध भराव क्षमता के मुताबिक पानी तो भरा है. वह बांध और उसमें भरा पानी जनता के किसी काम नहीं आ रहा. सिवाय मछलीपालन और मूर्ति विसर्जन के. इस बांध में पानी की आवक से आसपास का जलस्तर ऊंचा जरूर हुआ है. लेकिन सिंचाई के लिए बनी नहरों में पानी न छोड़े जाने से नहरों के आसपास गांवों मे सिंचाई लुप्त होने के कगार पर है.

विधायक लक्ष्मण मीना ने क्या कहा...

बांध निर्माण के शुरुवाती दिनों में तो इसका उपयोग सिंचाई और पीने के पानी के रूप मे किया गया. वर्तमान में यह बांध सिंचाई और पीने के पानी के लिए अनुपयोगी साबित हो रहा है. इतना ही नहीं, अब तो इस बांध में भरने वाला पानी पशु-पक्षियों और मछलियों के लिए मौत का कारण भी बन रहा है. इसका कारण इस बांध में जयपुर शहर के साथ ही जलमहल से आने वाला गंदा और कैमिकल युक्त पानी है. इस गंदे और कैमिकल युक्त पानी से हर साल हजारों की संख्या मे मछलियों के साथ पशु-पक्षियों की भी मौत हो जाती है. जिस उद्देश्य के लिए कानोता बांध का निर्माण करवाया गया था, यदि उस उद्देश्य की पूर्ति के लिए इस बांध का और इसमें भरने वाले पानी का उपयोग किया जाए तो इस बांध को भी नया जीवन मिल सकता है.

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बस्सी विधायक ने पत्र लिखकर ढूंढ नदी में पानी छोड़ने की मांग की : बस्सी विधायक लक्ष्मण मीना ने लोगों की मांग और उनके हित में इस संदर्भ में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को पत्र लिखा है. पत्र में उन्होंने पत्र में मांग की है कि कानोता बांध का पानी नहर के माध्यम से सिंचाई के लिए उपलब्ध करवाया जाए. इसके साथ ही विधायक ने पत्र के माध्यम से आग्रह किया कि इस बांध में गंदा पानी न छोड़ा जाए और इसकी मरम्मत भी की जाए. विधायक लक्ष्मण मीना ने बताया कि कानोता बांध की टेरिटरी में दर्जनभर से भी अधिक गांव बसे हुए हैं. जिनमें एक लाख से भी अधिक जनसंख्या निवास करती है. इसमें अधिकांश लोग किसान हैं और खेती पर आश्रित हैं. इनमें सुमेल, विजयपुरा, बगराना, कानोता, रामरतनपुरा, नायला, ड्योडा चौड़, कूंथाड़ा खुर्द, हीरावाला, गीलावाला, दयारामपुरा, रामसर पालावाला, जीतावाला, खोखावाला, रूपा की नांगल जैसे कई गांव शामिल हैं. साथ ही बताया कि यदि कानोता बांध का पानी ढूंढ नदी में छोड़ दिया जाए तो इससे इस नदी को जीवन तो मिलेगा ही, साथ ही यह पानी कानोता-बस्सी क्षेत्र के सांभरिया, बराला, अचलपुरा, सिंडोली, सांख से लेकर कोटखावदा तक की खेती के लिए सिंचाई का जरिया बन सकती है. इसके अलावा यह आसपास के सैकड़ों कुओं और ट्यूबवैल को भी रीचार्ज कर सकती है.

पूर्व विधायक कन्हैयालाल मीणा ने क्या कहा...

बीजेपी के पूर्व विधायक ने साधा निशाना: वहीं, बीजेपी के पूर्व विधायक कन्हैयालाल मीणा ने कांग्रेस सरकार पर आरोप लगाते हुए कहा कि बस्सी विधायक को सरकार पर दबाव बनाना चाहिए. केवल पत्र लिखने से काम नहीं होता. साथ ही उन्होंने कहा कि अगर बांध में से ढूंढ नदी में पानी छोड़ा जाता है तो आसपास के लोगों को सिंचाई के लिए भरपूर फायदा होगा.

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