जयपुर.प्रदेश के मंत्री क्षेत्र के विकास के लिए कृत संकल्पित होने का दावा करते हैं. विकास के बड़े-बड़े दावे करते है. गरीबों की हर जगह मदद करने का वादा किया जाता है लेकिन हम आप को उन मंत्रियों की सूची बता रहे हैं, जिन्होंने विवेकानुदान कोष से मिलने वाले अनुदान को एक साल का समय पूरा होने पर भी खर्च नहीं किया.
कैबिनेट मंत्रियों और संसदीय सचिवों को मिलने वाले विवेकानुदान कोष की हकीकत देखने पर पता चलता है कि जनता की मदद की बात कहने वाले मंत्री अभी तक एक रुपया भी खर्च नहीं कर पाए. जबकि गहलोत सरकार अपने कार्यकाल का एक साल पूरा करने जा रही है. ऐसा नहीं है कि प्रदेश की गहलोत मंत्रियों ने ही इस राशि को खर्च नहीं किया, पूर्ववर्ती वसुंधरा सरकार के भी कुछ मंत्री ऐसे हैं, जिन्हें गरीब और जरूरत मंद के लिए मिलने वाली इस राशि को खर्च नहीं किया. अगर ये मंत्री इस राशि को खर्च करते तो किसी गरीब जरूरत मंद को सहायता मिलती.
क्या होता है विवेकानुदान कोष...
यह फंड सरकार 1959 से देती आ रही है. जिसमें सीएम, कैबिनेट मंत्री, संसदीय सचिव अपने क्षेत्र या अन्यत्र कहीं जाए और कोई जरूरतमंद मिले तो उसमें से वो उसे वो फंड जारी कर सकते हैं. माना जाता है कि कैबिनेट मंत्री, संसदीय सचिव जनता के बीच में रहते हैं, जगह-जगह जनसुनवाई सहित क्षेत्र में दौरे के समय उन्हें जरूरतमंद मिल जाते हैं. ऐसे में मंत्री उनसे मुंह ना मोड़े और फंड के जरिए मदद के हाथ बढ़ाए.
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ईटीवी भारत ने इस फंड की पड़ताल की तो सामने हकीकत सामने आई. जिनके लिए ये फंड बना उन्होंने खुद ही इसकी तरफ कभी मुड़कर नहीं देखा.